31. Wind Rose / Star Diagram (पवनारेख / तारा आरेख)
31. Wind Rose / Star Diagram
(पवनारेख / तारा आरेख)
पवनारेखों को तारा आरेख भी कहा जाता है। किसी स्थान के पवनों की दिशा तथा बारंबारता प्रकट करने के लिए इस आरेख का प्रयोग किया जाता है।
तारा आरेखों को वृत्त या घड़ी आरेख (Clock Diagram), रोज आरेख (Rose Diagram) तथा वेक्टर आरेख (Vector Diagram) आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। इन आरेखों के द्वारा सदिश या वेक्टर मूल्यों को केंद्र या मूल बिंदु से संबंधित दिशाओं में सरल रेखाएँ या कॉलम खींचकर प्रकट करते हैं तथा इन आरेखों या कॉलमों की लंबाइयों को दिए हुए मूल्यों के अनुपात में मापनी (Scale) के अनुसार निश्चित करते हैं।
किसी स्थान पर दिशाओं के अनुसार वर्ष में पवनों की बारंबारता दिखलाने के लिए यह आरेख बहुत उपयोगी होते हैं परंतु आर्थिक वितरण जैसे व्यापार की दिशा अथवा विभिन्न दिशाओं में जनसंख्या के स्थानांतरण के आंकड़ों को भी इन आरेखों के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
पवनारेख के प्रकार (Types of Wind Rose)
1. साधारण पवनारेख (Simple Wind Rose):-
इस आरेख के द्वारा किसी स्थान की एक वर्ष में पवन की दिशा तथा शांत दिनों की संख्या को प्रदर्शित किया जाता है। पवन चलने के दिनों को लंबी रेखाओं द्वारा तथा शांत पवन वाले दिनों को केन्द्र पर बनाये गये छोटे वृत्त के भीतर अंकों में लिखकर इंगित करते हैं।
उदाहरण:
(i) निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से जयपुर का पवनारेख बनाइए।
Wind Direction / पवन की दिशा | |||||||||
N | NE | E | SE | S | SW | W | NW | Calm | |
No. of Days | 24 | 23 | 25 | 15 | 29 | 58 | 77 | 79 | 17 |
रचना विधि:
साधारण पवनारेख बनाने हेतु पहले सुविधानुसार कोई अर्द्धव्यास लेकर एक छोटा वृत्त खींचते हैं एवं इसके भीतर शांत पवनों की दिश (17) लिखते हैं। इसके बाद वृत्त के केन्द्र से दी हुई दिशाओं की ओर सरल रेखाएँ खींचते हैं। अब इन रेखाओं में किसी उचित मापनी के अनुसार वृत्त की परिधि से मापते हुए संबंधित दिनों की संख्या के बराबर दूरियाँ काटकर रेखाओं के सिरों का सरल रेखाओं द्वारा मिला देते हैं। इस प्रकार बने अष्टभुज के प्रत्येक कोने पर उसकी दिशा लिख देते हैं एवं आरेख के नीचे दिनों की मापनी बनाकर Windrose पूर्ण कर लेते हैं।
सामान्यतः साधारण पवन आरेख में पवन की आठ दिशाएँ (उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम) प्रकट की जाती है परंतु आवश्यकता होने पर उत्तर-उत्तर पूर्व, उत्तर पूर्व-पूर्व आदि शेष आठ दिशाओं की पवनों की बारंबारताओं को भी आरेख में प्रदर्शित किया जा सकता है।
2. पवन तथा दृश्यता रोज (Wind and Visibility Rose):
ये साधारण पवनारेखों की भाँति ही बनाए जाते हैं, परन्तु इनमें केवल इतना अंतर है कि इस आरेख में किसी स्तंभ की लंबाई उस दिशा में चलने वाली पवनों के कुल दिनों में उत्तम दृश्यता (Good Visibility) अथवा अत्यल्प दृश्यता (Bad Visibility) के दिनों की बारंवारता का प्रतिशत प्रकट करती है।
उदाहरण :
(ii) किसी काल्पनिक स्थान पर प्रेक्षित निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर एक पवन तथा दृश्यता रोज की रचना कीजिए।
पवन की दिशा |
|||||||||
पवन की बारम्बारता (दिन) | N | NE | E | SE | S | SW | W | NW | Calm |
30 | 20 | 30 | 50 | 12 | 20 | 80 | 100 | 23 | |
अत्यल्प दृश्यता की बारंबारता (दिन) | 12 | 14 | 18 | 20 | 3 | 3 | 8 | 5 | – |
रचना विधि:
पवन तथा दृश्यता रोज बनाने के लिए सर्वप्रथम एक छोटा वृत्त बनाकर उसमें शांत दिनों की संख्या (23) लिख दिया जाता है। उसके बाद कोई उचित मापनी लेकर पहले बतलाई गयी विधि के अनुसार वृत्त की परिधि से संबंधित दिशाओं में अत्यल्प दृश्यता की बारंबारताओं के प्रतिशत मूल्यों के बराबर लंबाईयों वाले स्तंभ खींचा जाता है। अंत में अब आरेख के नीचे मापनी बनाकर आरेख पूर्ण कर लिया जाता है।