15. What is religion? Characteristics of religion and description of Indian religions (धर्म क्या है? धर्म की विशेषताएँ तथा भारतीय धर्मों का विवरण)
15. What is religion? Characteristics of religion and description of Indian religions
(धर्म क्या है? धर्म की विशेषताएँ तथा भारतीय धर्मों का विवरण)
धर्म शब्द का अर्थ है ‘धारणा’। धारणा से तात्पर्य उन आदर्शों की अन्तरंग प्रतिष्ठापना से है जो व्यक्ति और समाज को श्रेष्ठता और सद्भावना की दिशा में प्रेरित करते हैं। धर्म का दूसरा अर्थ है अभ्युदय और निश्रेयस अर्थात् उन गतिविधियों को अपनाया जाना जो कल्याण और प्रगति का शालीनता युक्त पथ प्रशस्त करती हैं।
स्मृतिकारों ने धर्म को कर्तव्यपालन के अर्थ में लिया है। सामान्य अर्थों में धर्म अलौकिक शक्ति पर विश्वास है। प्रत्येक समाज व समुदाय में धर्म किसी न किसी रूप में अवश्य पाया जाता है। धर्म जीवन को सम्पूर्णता प्रदान करने की एक विधि है।
डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार, जिन सिद्धान्तों के अनुसार हम अपना दैनिक जीवन व्यतीत करते हैं तथा जिनके द्वारा हमारे सामाजिक सम्बन्धों की स्थापना होती है, वही धर्म है। यह जीवन का सत्य है और हमारी कृति को निर्धारित करने वाली शक्ति है।”
जेम्स फ्रेजर के अनुसार, “धर्म से मैं मनुष्य से श्रेष्ठ उन शक्तियों की सन्तुष्टि या आराधना समझता हूं जिसके सम्बन्ध में यह विश्वास किया जाता है कि प्रकृति और मानव जीवन को मार्ग दिखलाती व नियन्त्रित रखती है।
प्रसिद्ध समाजशास्त्री मैलिनोवस्की के अनुसार, धर्म क्रिया का एक तरीका है, साथ ही विश्वासों की एक व्यवस्था भी। धर्म समाजशास्त्रीय घटना के साथ-साथ एक व्यक्तिगत अनुभव भी है।” इस परिभाषा से स्पष्ट है कि धर्म विश्वासों की एक व्यवस्था है। यह विश्वास आत्मा, परमात्मा या अलौकिक शक्ति आदि पर हो सकता है। तथा व्यवस्था का आशय आराधना, पूजा-पाठ, प्रार्थना या भक्ति से है।
ईमाइल दुर्खीम के अनुसार, “धर्म पवित्र वस्तुओं से सम्बन्धित विश्वासों एवं आचरणों की समग्रता है, जो इन पर विश्वास करने वालों को एक नैतिक समुदाय के रूप में संयुक्त करती है।”
जॉनसन के अनुसार, “धर्म कम या अधिक रूप में उच्च आलौकिक क्रम या प्राणियों, शक्तियों, स्थानों एवं अन्य तत्वों के सम्बन्ध में विश्वास व व्यवहारों की एक स्थिर प्रणाली है।”
स्वामी विवेकानन्द के अनुसार, “धर्म वह है जो मानव को इस संसार एवं परलोक में आनन्द की खोज के लिए प्रेरित करता है।”
मजूमदार एवं मदान के अनुसार, “धर्म किसी आलौकिक और अतीन्द्रिय शक्ति के भय का एक मानवीय प्रत्युत्तर है। यह व्यवहार की अभिव्यक्ति अथवा परिस्थितियों से किए जाने वाले अनुकूलन का वह रूप है, जो आलौकिक शक्तियों की धारणा से प्रभावित होता है।”
धर्म की विशेषताएँ-
धर्म की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।:-
(1) अतिमानवीय व अलौकिक शक्ति पर प्रभाव:-
धर्म में यह स्वीकार किया जाता है कि निश्चित रूप से कोई न कोई ऐसी अलौकिक शक्ति है जो मानव शक्ति से श्रेष्ठ व मानव से परे रहकर विश्व का संचालन करती है।
(2) पवित्रता की धारणा:-
धर्म पवित्र वस्तुओं से सम्बन्धित विश्वासों एवं क्रियाओं की एक समन्वित व्यवस्था है अर्थात् धार्मिक विश्वासों, वस्तुओं, स्थानों, आदि में पवित्रता का भाव पाया जाता है।
(3) धार्मिक क्रियाकलाप:-
प्रत्येक धर्म में कुछ न कुछ क्रियाकलाप अवश्य पाए जाते हैं जिन्हें पूर्ण करके व्यक्तियों को आत्मिक सुख प्राप्त होता है।
(4) भय की धारणा:-
धर्म में भय की धारणा होती है, इसलिए व्यक्ति धार्मिक क्रियाकलापों के माध्यम से पारलौकिक या अलौकिक शक्ति को प्रसन्न करने का प्रयास करता है तथा धार्मिक क्रियाकलापों में ऐसे कार्य करता है जिससे अलौकिक शक्ति द्वारा उसकी इच्छाएं पूर्ण हों और वह ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहता जो धर्म के विरुद्ध हो।
(5) धर्म वैयक्तिक व सामाजिक:-
धर्म व्यक्तिगत अनुभवों के साथ-साथ सामाजिक अनुभवों से भी सम्बन्धित होता है।
(6) तर्क का अभाव:-
धर्म का आधार विश्वास है, अतः इसमें तर्क का कोई स्थान नहीं होता है और न ही वैज्ञानिक आधार पर इसे सही या गलत बताया जा सकता है।
(7) सार्वभौमिकता:-
धर्म प्राचीन समय से ही किसी न किसी रूप में रहा है। इसका रूप परिवर्तन अवश्य हो सकता है।
भारतीय धार्मिक संरचना
भारतीयों के जीवन में धर्म का प्रमुख स्थान रहा है। वह जन्म से मृत्यु तक धार्मिक संस्कारों से आबद्ध है। हमारे अनेक धार्मिक कृत्य, रीति-रिवाज व स्तुतियाँ, आदि वैदिक काल से चले आ रहे हैं और आज भी हमारे धर्म सम्बन्धी कार्य वेदों के अनुसार होते हैं। भारत में धार्मिक स्वतन्त्रता प्राचीन काल से रही है, यही कारण है कि भारत-भू पर विविध धर्मों एवं धार्मिक विचारों व सम्प्रदायों का प्रादुर्भाव समय के साथ होता रहा है। इसके साथ ही बाहर से आए धर्म एवं धार्मिक विचारों का परिष्कार भी हुआ। भारत के प्रमुख धर्म निम्नलिखित हैं:
(1) हिन्दू धर्म देश का सबसे प्रमुख धर्म है। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अनुसार, हिन्दू वह है जो भारत में उत्पन्न किसी धर्म को मानता है तथा जो भारत में भारतीय माता-पिता की सन्तान है। इस महासभा के अनुसार सनातनी, आर्य समाजी, जैन, सिख, बौद्ध, ब्राह्मण, आदि सभी हिन्दू कहे जा सकते हैं। यह सत्य ही कहा है कि भाषा भारतीय लोगों को भौगोलिक समुदायों में बांटती है, धर्म उन्हें समान्तर परतों में बांटता है।
हिन्दू धर्म की तीन विशेषताएँ हैं:-
(i) एक सर्वोच्च सत्ता तथा अनेक छोटे देवताओं में प्रत्येक हिन्दू धर्मावलम्बी पूर्ण आस्था रखता है।
(ii) इसकी प्रवृत्ति सहनशीलता की है तथा कोई भी हिन्दू देवी या देवता विशेष की आराधना कर सकता है, उस पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।
(iii) यह कर्म, पुनर्जन्म और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलने में विश्वास रखता है। गीता की यह सूक्ति ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनः’ (Action is the duty, Reward is not the concern)
सभी भारतीयों में मान्यता पाती है।
हिन्दू धर्म की अपनी एक विशेष सामाजिक व्यवस्था होती है जिसके मुख्य तत्व जाति, समुदाय, संयुक्त परिवार प्रणाली, बाल-विवाह की प्रथा, सार्वभौमिक विवाह प्रथा, आदि हैं।
भारत में धर्म के अनुसार जनसंख्या का वितरण- 2011
क्रम संख्या | धार्मिक समुदाय | प्रतिशत |
1.
2. 3. 4. 5. 6. 7. |
हिंदू
मुस्लिम ईसाई सिख बौद्ध जैन अन्य |
79.8
14.2 2.3 1.7 0.7 0.4 0.9 |
कुल योग | 100.00 |
(2) मुस्लिम (Muslims) या इस्लाम धर्म का जन्म अरब देश में हुआ, किन्तु यह भारत में 12वीं शताब्दी के लगभग उत्तर-पश्चिम की ओर आने वाले आक्रमणकारियों द्वारा लाया गया। अतः इसका विस्तार उत्तर-पश्चिमी भारत तक ही सीमित रहा, किन्तु शनैः-शनैः यह गंगा की घाटी में फैल गया तथा पश्चिम बंगाल में भी इसने अपनी जड़ें जमा लीं। प्रायद्वीप भारत में यह अधिक नहीं फैल सका और इसलिए वहां 15% से अधिक मुस्लिम नहीं हैं। मुस्लिम अधिकतर पश्चिमी भागों में पाए जाते हैं।
(3) ईसाई (Cristians):–
सीरिया के ईसाई जो ईसा शताब्दी के प्रारम्भिक काल में ट्रावनकोर-कोचीन में आ बसे थे, वह अन्य मिशनरी ईसाइयों से भिन्न हैं। रोमन, कैथोलिक, ऐंग्लिकन तथा बैपटिस्ट ईसाइयों की संख्या ही भारत में अधिक है। ईसाई धर्म का विस्तार भारत में पहाड़ी जातियों तथा हिन्दुओं की निम्न जातियों में अधिक हो पाया है। इस समय ईसाइयों का केन्द्रीकरण विशेषतः केरल, गोआ, दमन, दीव, पाण्डिचेरी, नगालैण्ड, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ही है।
(4) सिख (Sikhs):-
इस धर्म का जन्म 16वीं शताब्दी में वैष्णव धर्म से पृथक् होकर हुआ। यह धर्म प्राचीन हिन्दू धर्म को एक शुद्ध धर्म के रूप में अपनाने का ही प्रयास था जिसने बहु-देवों, मूर्ति पूजा, जाति प्रथा, तीर्थयात्रा और पुनर्जन्म का खण्डन किया। मुसलमानों की राजनीतिक क्रूरता तथा हिन्दुओं की सामाजिक क्रूरता के फलस्वरूप ही सिक्खों ने एक शान्तिमय पथ के स्थान पर एक सैनिक धर्म का अवलम्बन किया।
इस धर्म के दो सिद्धान्त हैं- लम्बे बाल रखना तथा धूम्रपान न करना। इनके पास सदैव कच्छा, कृपाण, कंघी, कड़ा और केश रहते हैं जिनसे इन्हें अन्य धर्मावलम्बियों के बीच सरलतापूर्वक पहचाना जा सकता है। यह प्रारम्भ में अविभाजित पंजाब में केन्द्रित थे। अब पंजाब, हरियाणा, उत्तरी गंगा नहर (राजस्थान एवं दिल्ली व चण्डीगढ़) में अधिक फैले हैं। ये बड़े हट्टे-कट्टे होते हैं और इसलिए ये भारतीय सेना में बड़ी संख्या में मिलते हैं।
(5) जैन (Jains):-
जैन धर्म हिन्दू धर्म की ही एक शाखा मानी जाती है। यद्यपि जैन धर्मावलम्बी हिन्दू धर्म के सिद्धान्तों को मानते हैं, किन्तु यह जीवों के प्रति अहिंसा पर अधिक जोर देते हैं। ये अधिकांशतः व्यापारी और धनवान होते हैं तथा भारत में दूर-दूर तक फैले हैं।
(6) बौद्ध (Buddhist):-
बौद्ध धर्म भी हिन्दू धर्म की ही एक शाखा है। इसे गौतम बुद्ध ने छठी शताब्दी ई. पू. में चलाया था। इसका सबसे अधिक प्रचार गंगा की घाटी में ही हुआ। यह धर्म नीति पर अवलम्बित है। यद्यपि भारत में यह धर्म 10वीं शताब्दी के बाद से लोप हो गया, किन्तु आज महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम तथा सिक्किम के पहाड़ी भागों में इनके अनुयायी मिलते हैं।
(7) पारसी (Zoroastrian):–
पारसी लोग भारत में 7वीं शताब्दी में फारस के मुस्लिम धर्म की क्रूरता से बचने के लिए आए और भारत के पश्चिमी तटीय भागों में बस गए। यह लोग सूर्य और अग्नि की पूजा करते हैं। यह अधिकांशतः व्यापारी उद्योगी हैं। इनका सबसे अधिक केन्द्रीकरण मुम्बई नगर में है।
निष्कर्ष:
उपर्युक्त वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत के निवासियों का सम्बन्ध किसी-न-किसी धर्म से है। अधिकांश धर्मों का सम्बन्ध तीर्थ स्थानों से बताया जाता है। उदाहरणार्थ, काशी धर्म और संस्कृति से सम्बन्धित है। यहाँ अनेक हिन्दू मन्दिर हैं। हिन्दुओं के लिए गंगा सबसे पवित्र नदी है जिसके तट पर मृत्यु अथवा अन्त्येष्टि क्रिया से आत्मा को शान्ति प्राप्त होना माना जाता है।
अलीगढ़, हैदराबाद और देवबन्द के विश्वविद्यालय मुस्लिम संस्कृति के केन्द्र हैं। सिखों के पंजाब में ननकाना साहब और अमृतसर तथा बिहार में पटना साहिब, जैनियों के राजस्थान (महावीरजी, दिलवाड़ा, रणकपुर, ऋषभदेव), गुजरात (पालीताना, गिरनार) बिहार (सम्मेद शिखर) तथा पारसियों के मुम्बई नगर में सांस्कृतिक केन्द्र हैं। बौद्ध गया (बिहार), सारनाथ (उत्तर प्रदेश), सांची (मध्य प्रदेश) में बोध के विहार हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, जगन्नाथपुरी, द्वारिका, रामेश्वरम्, वाराणसी, कांजीवरम् सभी हिन्दुओं के लिए पूज्य स्थान हैं।
Read More:
- 1. मानव विकास सूचक / Human Development Index
- 2. मानव एवं वातावरण के बीच के सम्बन्ध
- 3. पर्वतीय वातावरण में मानवीय क्रिया-कलाप
- 4. मरूस्थलीय वातावरण में मानवीय क्रिया-कलाप
- 5. विषुवतरेखीय प्रदेशों में मानवीय क्रिया-कलाप
- 6. समशीतोष्ण घास के मैदानों में मानवीय क्रिया-कलाप
- 7. मानसून क्षेत्र की मुख्य विशेषताओं का वर्णन
- 8. बुशमैन की शारीरिक तथा सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं का वर्णन
- 9. एस्किमों के निवास तथा सामाजिक-आर्थिक अध्ययन
- 10. गोंड जनजाति के निवास तथा आर्थिक-सामाजिक क्रिया-कलाप
- 11. संथाल जनजाति के वास स्थान, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विशेषताएँ
- 12. What is species? Classify it. (प्रजाति क्या है? इसका वर्गीकरण कीजिए।)
- 13. Describe the internal and external characteristics of species classification (प्रजातियों के वर्गीकरण के आन्तरिक एवं बाह्य लक्षणों का वर्णन कीजिए।)
- 14. Explain habitat as a cultural expression/ सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के रूप में निवास स्थान को समझाइए।
- 15. What is religion? Characteristics of religion and description of Indian religions (धर्म क्या है? धर्म की विशेषताएँ तथा भारतीय धर्मों का विवरण)
- 16. Description of sources and characteristics of Hindu religion (हिन्दू धर्म के स्रोत तथा लक्षणों का विवरण)