Unique Geography Notes हिंदी में

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BA SEMESTER/PAPER IVECONOMIC GEOGRAPHY (आर्थिक भूगोल)

15. The Dairy farming in the world (विश्व में दुग्ध व्यवसाय)

15. The Dairy farming in the world

(विश्व में दुग्ध व्यवसाय)



प्रश्न प्रारूप

Q. Discuss the dairy farming in the world.

(विश्व में दुग्ध व्यवसाय का वर्णन करें।)

उत्तर- दूध पशुपालन विश्व के प्रत्येक देश में कुछ-न-कुछ होता है परन्तु कुछ भागों में यह व्यवसाय व्यापारिक स्तर पर किया जाता है। इन प्रदेशों में बड़े पैमाने पर पशुचारा तथा उनको खिलाने लायक अनाजों का उत्पादन होता है। आधुनिक समय में तीव्रगामी परिवहन तथा प्रशीतलन विधि से यह उद्योग और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है। दुग्ध पशुपालन की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

(i) इस प्रकार की कृषि में दुधारु पशुओं का विशेष महत्त्व होता है।

(ii) इसमें अधिक पूँजी, प्रचुर श्रम तथा मवेशियों के रखने की वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग होता है।

(iii) कार्य के आकार एवं उपयोग में भिन्नता होती है।

(iv) दूध एवं दूध सामग्रियों का वितरण सापेक्ष दूरी के अनुसार होता है। ताजा दूध निकट के नगरों में तथा मक्खन एवं पनीर दूर के नगरों से प्राप्त किया जाता है।

(v) इस उद्योग में कुछ देशों ने विशेषीकरण प्राप्त कर लिया है।

(vi) इस उद्योग का विकास कम जनसंख्या वाले देशों में हुआ है।

(vii) यह व्यवसाय विश्व के समशीतोष्ण क्षेत्र में ही अधिक विकसित है।

विश्व में दुग्ध उत्पादन

       दूध की प्राप्ति गाय, भैंस, भेड़ तथा बकरी से होती है। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1988 में विश्व भर में कुल 53 करोड़ टन दूध का उत्पादन था। विश्व भर में कुल दूध उत्पादन में पिछले तीन दशकों में आश्चर्यजनक रूप से लगभग दोगुना से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। 30 साल बाद अर्थात 2018 में कुल दुग्ध उत्पादन 84.3 करोड़ टन हो गया है। साधारण शब्दों में कहें तो तीन दशक के भीतर कुल दूध उत्पादन में लगभग 60 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

    दूध का उत्पादन विश्व में निम्नलिखित क्षेत्रों से होता है।

विश्व में शीर्ष 10 दुग्ध उत्पादक देश (2019)

क्रम  देश उत्पादन (प्रतिशत में)
1. भारत 21
2. अमेरिका 11
3. पाकिस्तान  06
4. ब्राजील 04
5. चीन  04
6. रूस  04
7. जर्मनी 04
8. तुर्की 03
9. फ्रांस 03
10. न्यूजीलैंड 02

प्रमुख क्षेत्र

    विश्व में पशुपालन के प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं-

(1) उत्तरी अमेरिका का U.S.A. तथा कनाडा का मध्य पूर्वी भाग।

(2) पश्चिमी यूरोप का उत्तरी भाग, फ्रांस, जर्मनी, हॉलैंड, डेनमार्क, ग्रेट ब्रिटेन तथा U.S.S.R का पश्चिमी भाग।

(3) दक्षिणी अमेरिका के अर्जेन्टाइना

(4) आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड

(5) गौण क्षेत्र पश्चिमी U.S.A., मध्य चिली, द० अफ्रीका तथा पूर्वी जापान।

(1) उत्तरी अमेरिका:

     दूध कृषि व्यवसाय U.S.A. तथा कनाडा में विकसित हैं। यहाँ के सभी बड़े नगरों के पास ताजे दूध के लिए यह किया जाता है। इसका सबसे अधिक केन्द्रीकरण U.S.A. के मक्का पट्टी के उत्तर ग्रेट लेक्स तथा सेंट लारेंस प्रदेश में हुआ है। यह घनी शहरी आबादी के पास स्थित है, जहाँ दूध, मक्खन एवं पनीर की बड़ी माँग है। यहाँ भी अनुकूल जलवायु तथा पहाड़ी प्रदेश अन्य कृषि के लिए अनुपयुक्त हैं। यहाँ क्यूवेक एवं ओण्टोरियो में लगभग 4000 से अधिक पनीर बनाने के कारखाने हैं। कनाडा से पनीर ब्रिटेन भेजा जाता है।

    U.S.A. में दूध उत्पादक क्षेत्र अटलांटिक तट से लेकर प० में मिसौरी नदी तक फैला है। न्यू इंगलैंड स्टेट, पेन्सिलवानिया, न्यूयार्क एवं विस्कौन्सिन राज्यों में दूध उत्पादन अधिक होता है। यहाँ दूध उत्पादन के लिए निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं-

(i) ऊँची-नीची पहाड़ी भूमि पर पशु-चरण होता है।

(ii) ग्रीष्मकालीन वर्षा तथा कम गर्मी से घासें उगती है।

(iii) निकट की मक्का पट्टी से मकई से साइलेज बनाने की सुविधा।

(iv) निकट के बंदगाह से दूध पदार्थों के निर्यात की सुविधा

(v) समशीतोष्ण जलवायु के कारण दूध खराब नहीं होता है।

(vi) मशीनों का विभिन्न कार्यों में प्रयोग।

(vii) अच्छी नस्लों की जर्सी, गार्न से, आयर शायर आदि से अधिक दूध की प्राप्ति।

(viii) यातायात तथा शीतलन विधि की सुविधा।

     दूध तथा मक्खन के उत्पादन में U.S.A. का स्थान विश्व में रूस के बाद दूसरा तथा पनीर के उत्पादन में प्रथम है। इसने 1981 में विश्व का 15-6% दूध तथा मक्खन एवं 21-3% पनीर का उत्पादन किया।

(2) पश्चिम यूरोपीय प्रदेश:

    यह प्रदेश अच्छी मिट्टी एवं नम जलवायु के मुलायम घासों के लिये प्रसिद्ध है। यह दूध उत्पादन के लिए आदर्श है। यहाँ के दूध क्षेत्र प० फ्रांस, हॉलैंड, डेनमार्क, स्वेडन, ब्रिटेन तथा रूस तक फैला है।

    हॉलैंड में विशाल मैदान, नम जलवायु, उपजाऊ घास तथा उच्च गायों से अधिक दूध मिलता है। हॉलैंड का एडाम पनीर विश्व विख्यात है। डेनमार्क विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। समस्त डेनमार्क एक गऊशाला है। यहाँ दूध की नदी बहती है। यहाँ के लोगों की यह मुख्य पेशा है। यहाँ के दूध विकास के निम्न कारण हैं-

(i) यहाँ खनिजों का अभाव है।

(ii) जलवायु नम एवं अनुकूल।

(iii) छोटे-छोटे खेतों में घास

(iv) खेती के स्थान पर घासों का उत्पादन

(v) यहाँ दुग्ध शालाएँ लगभग 8000 से अधिक सहकारी समितियाँ द्वारा संचालित।

(vi) यहाँ 80% मक्खन तथा 10% पनीर

(viii) गाएँ उत्तम नस्ल की है।

        आधुनिक युग में पशुपालन वैज्ञानिक तरीकों से व्यावसायिक आधार पर हो रहा है। उत्तरी अमेरिका का प्रेयरी क्षेत्र, ब्राजील का पठारी भाग और अर्जेण्टीना में विस्तृत पम्पास घास स्थल, वेनेजुएला का लानोस घास स्थल, दक्षिणी अफ्रीका का वेल्ड क्षेत्र, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड की शीतोष्ण घास भूमि, कैस्पियन सागर के पूर्व तथा अरल सागर के उत्तर के विस्तृत भाग व्यापारिक पशुपालन के उल्लेखनीय क्षेत्र हैं।

     व्यापारिक पशुपालन उद्योग पूर्णतया प्राकृतिक चरागाहों पर आश्रित नहीं है। विस्तृत क्षेत्रों में चारे की फसलों और पौष्टिक घासों की खेती की जाती है। पशुओं को सुख-सुविधा सम्पन्न बाड़ों में रखकर खिलाया-पिलाया जाता है। विशेष नस्ल के पशु पाले जाते हैं, जिनकी दूध या मांस उत्पादन क्षमता अत्यधिक होती है। पशुओं के प्रजनन, नस्ल सुधार, रोगों की रोकथाम तथा बीमार पशुओं के इलाज, आदि की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है। पशुओं को बड़े-बड़े बाड़ों में रखा जाता है।

      डेनमार्क तथा न्यूजीलैण्ड में बड़े पैमाने पर दुग्ध व्यवसाय होता है। आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड में भेड़ ऊन तथा मांस के लिए व्यापारिक स्तर पर पाली जाती हैं। व्यापारिक पशुचारण में लोगों को प्रवास नहीं करना पड़ता है। वे एक ही स्थान पर हते हैं। चारे की फसलों की खेती तथा दूध और मांस से संसाधित पदार्थ बनाने के लिए मशीनों का अत्यधिक प्रयोग होता है। इन संसाधित पदार्थों का बाजा अन्तर्राष्ट्रीय है।

       भारत में डेरी कृषि का विकास सहकारी समितियों द्वारा किया जाता है। गुजरात की अमूल डेयरी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। अधिकांश राज्यों में डेयरी विकास बोर्ड बनाए गए हैं। झांसी में चारा शोध संस्थान तथा करनाल में डेरी शोध संस्थान का भी गठन किया गया है। भारत में अधिकांश दूध गायों से नहीं बल्कि भैंसों से प्राप्त किया जाता है।

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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