3. Special Economic Zone (विशेष आर्थिक क्षेत्र)
Special Economic Zone
(विशेष आर्थिक क्षेत्र)
परिभाषा
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) एक ऐसे भौगोलिक प्रदेश है जहाँ देश का सामान्य आर्थिक कानून पूरी तरह से लागू नहीं होती। दूसरे शब्दों में ‘SEZ’ शुल्क मुक्त आर्थिक क्षेत्र है जहाँ पर विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है और उत्पादकों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
ऐतिहासिक पक्ष
रॉबर्ट सी हेवर्ड के अनुसार SEZ की अवधारणा काफी प्राचीन है। प्राचीनतम SEZ का प्रमाण यूनान के टायर नगर से मिलता है। 1960 ई० में चीन ने SEZ का निर्माण कर अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने के प्रयास किया। जबकि भारत ने अप्रैल 2000 ई० में पहले SEZ नीति की घोषणा की।
प्रकार/वर्गीकरण
SEZ कई प्रकार के हो सकते हैं। जैसे- मुक्त व्यापार क्षेत्र (Free Trade Zone) निर्यात संवर्धन क्षेत्र (Export Prossising Zone), मुक्त क्षेत्र (Free Zone), औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Estate), मुक्त बंदरगाह, नगरीय उद्यम क्षेत्र इत्यादि।
उद्देश्य
SEZ की स्थापना के पीछे कई उद्देश्य है।
(1) उद्योगों के विकास हेतु विदेशी एवं घरेलू निवेशकों को उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराना।
(2) निर्यात को बढ़ावा देना।
(3) अधिक से अधिक रोजगार उत्पन्न करना।
(4) पिछड़े हुए क्षेत्रों को विकसित करना।
(5) सामाजिक-आर्थिक विषमता को कम करना।
(6) औद्योगीकरण तथा नगरीकरण को बढ़ावा देना।
स्वरूप एवं विशेषता
किसी भी एक आदर्श SEZ के अंतर्गत एक हजार हेक्टेयर भूमि पर स्थापित किया जा सकता है और उसमें कम से कम 10 हजार करोड़ रूपये का निवेश होना चाहिए। पुनः उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए:-
(1) SEZ के अंतर्गत कार्य करने वाले इकाइयों के द्वारा वस्तु तथा सेवाओं का मुक्त संचलन होना चाहिए।
(2) विश्व स्तर की आधारभूत संरचना का विकास किया जाना चाहिए।
(3) निर्माण या उत्पादन का कार्य गहन तरीके से होना चाहिए।
(4) निर्यात अभिमुख होना चाहिए।
(5) उन्नत तकनीक होना चाहिए।
(6) उचित प्रबंधन तथा उच्च तकनीक का उपयोग होना चाहिए।
वर्तमान स्थिति एवं महत्त्व
वर्तमान में 379 SEZs अधिसूचित हैं, जिनमें से 265 चालू हैं। लगभग 64% SEZ पाँच राज्यों- तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित हैं। इससे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। SEZ पर बाबा कल्याणी समिति की सिफारिशों के अनुसार, SEZ में MSME योजनाओं को जोड़कर तथा वैकल्पिक क्षेत्रों को क्षेत्र-विशिष्ट SEZ में निवेश करने की अनुमति देकर MSME निवेश को बढ़ावा देना है।
इसके अतिरिक्त सक्षम और प्रक्रियात्मक छूट के साथ-साथ SEZ को अवसंरचनात्मक स्थिति प्रदान करने हेतु वित्त तक उनकी पहुँच में सुधार करके तथा दीर्घकालिक ऋण को सक्षम करने के लिये भी अग्रगामी कदम उठाए गए। कुछ SEZ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
(1) काण्डला तथा सूरत- गुजरात
(2) कोचीन- केरल
(3) सांताक्रुज- मुम्बई
(4) फाल्टा- पश्चिम बंगाल
(5) चेन्नई- तमिलनाडु
(6) विशाखापतनम- आन्ध्र प्रदेश
(7) नोएडा- उत्तर प्रदेश
(8) इंदौर- मध्य प्रदेश
(9) राजीव गाँधी इंटेफोर्ट पार्क- हिंजेवादी, पूना।
(10) जयपुर- राजस्थान
(11) सिंगुर (टाटा मोटर्स कंपनी)- पश्चिम बंगाल
नोट: टाटा मोटर्स कंपनी 2008 में सिंगूर परियोजना को छोड़ने के बाद कंपनी ने अपनी विनिर्माण इकाई को साणंद, गुजरात में स्थानांतरित कर दिया।
(12) नन्दीग्राम (सलीम अली ग्रुप केमिकल फैक्ट्री)- पश्चिम बंगाल
आलोचना
भारत की SEZ नीति का काफी विरोध किया जा रहा है क्योंकि किसानों का आरोप है कि सरकार किसानों से जबरन कृषि योग्य भूमि छीन रही है और भूमि का सही मुआवजा नहीं दे रही है। नंदीग्राम तथा सिंगुर विवाद इसके उदाहरण है। पुनः विद्वानों का कहना है कि SEZ देश के अन्दर एक औपनिवेशिक क्षेत्र के रूप में सक्रिय होगा जो धीरे-2 देश की आर्थिक संप्रभुता पर प्रहार करेगी।
निष्कर्ष
किसानों के द्वारा लगाया गया आरोप काफी गंभीर है। अतः सरकार को चाहिए कि किसानों की शिकायत सुनकर न केवल उनके समस्याओं का समाधान करे बल्कि SEZ की स्थापना वैसे बंजर भूमि एवं पत्थरीली भूमि पर किया जाय जिसका प्रयोग आज नहीं किया जा रहा है।
पुनः SEZ के अन्तर्गत निवेश करने वाली कंपनियों को पर्यावरण को क्षति नहीं पहुंचाने वाले तकनीकी प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाय। पुनः स्थानीय लोगों को तरजीह दी जाय।
उपरोक्त सुझावों पर अमल करने के बाद ही SEZ आर्थिक विकास के दूत बन सकेंगे।