4. Soils of Bihar (बिहार की मिट्टियाँ)
4. Soils of Bihar
(बिहार की मिट्टियाँ)
भूपटल के सबसे ऊपरी भाग में मिलने वाला असंगठित पदार्थ को मिट्टी कहते हैं। यह जैविक एवं अजैविक तत्वों के ऋतुक्षरण से प्राप्त मलवा के द्वारा निर्मित होता है। मृदा वनस्पति का मूल आधार होता है। मृदा का निर्माण उच्चावच, ढाल, जलवायु, चट्टानों की संरचना इत्यादि पर निर्भर करता है। बिहार की 90% क्षेत्र जलोढ़ मृदा के अन्तर्गत आता है। शेष 10% भाग अन्य प्रकार की मिट्टी है। भौतिक, रासायनिक तथा रचनात्मक विशेषताओं के आधार पर बिहार में 8 प्रकार की मिट्टी पायी जाती है।
1. पर्वतपदीय मिट्टी/भाँवर मिट्टी
2. तराई मिट्टी
3. बांगड़ मिट्टी
4. खादर मिट्टी
5. बलसुन्दरी मिट्टी
6. टाल मिट्टी
7. बल्थर या लाल-पीली मिट्टी
8. लाल बलूई मिट्टी
1. पर्वतपदीय मिट्टी या भावर मिट्टी
पर्वतपदीय मिट्टी प० चम्पारण के उ०-प० भाग में शिवालिक पर्वत के पदीय भाग में मिलती है। यह नदियों के द्वारा लायी गई बोल्डर क्ले, कंकड़-पत्थर से निर्मित भूभाग है। कहीं-2 अधिक वर्षा एवं नमी के कारण दलदली मिट्टी का प्रमाण मिलता है जिस कारण प्रकृति अम्लीय होती है तथा जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक होती है।
2. तराई मिट्टी
तराई मिट्टी का विस्तार पर्वतपदीय मिट्टी के दक्षिणी भाग में हुआ है। इसका विस्तार प० चम्पारण से किशनगंज तक हुआ है। यह इसकी चौड़ाई 5 से 7 किमी० है। इसमें पर्याप्त मात्रा में नमी और हयूमस पायी जाती है। इसका रंग भूरा पीला, प्रकृति अम्लीय होती है। अत्यधिक नमी वाले क्षेत्र में यहाँ भी दलदली मिट्टी का विकास हुआ है। यह मिट्टी गन्ना, धान और जूट कृषि के लिए प्रसिद्ध है।
3. बाँगड़ मिट्टी
इसे भांगर भा पुरानी जलोढ़ मिट्टी भी कहते हैं। इस मिट्टी का विकास तराई मिट्टी के दक्षिण में एक पट्टी के रूप में हुआ है। इसका सर्वाधिक विस्तार पूर्णिया और सहरसा के कोसी नदी घाटी क्षेत्र में हुआ है और ज्यों-2 पश्चिम की ओर जाते हैं त्यों-2 इसकी चौड़ाई कम होते जाती है।
इस मिट्टी में चुने की मात्रा अधिक होने के कारण क्षारीय होती है। थोड़ा-बहुत बाँगड़ मिट्टी का विस्तार मुंगेर, भागलपुर, कैमूर और बक्सर जिला में भी देखा जा सकता है। इन जिलों में इस मिट्टी को “केवाल” मिट्टी कहा जाता है। इसका रंग गाढ़ा-भूरा और काला होती है। सिंचाई की सुविधा वाले प्रदेश में धान, गेहूँ की खेती की जाती है और असिंचित प्रदेशों में तेलहन और दलहन की खेती की जाती
4. खादर मिट्टी
इसे “नवीन जलोढ़ मिट्टी” कहा जाता है। इसका निर्माण बाढ़ द्वारा लायी गयी मिट्टी के कारण होता है। इसका रंग भूरा और उर्वरता अधिक होती है। खादर मिट्टी में रेत बड़े पैमाने पर पायी जाती है। खादर मिट्टी में गेहूँ, धान और गन्ना के लिए उपयुक मानी जाती है। यह मिट्टी गंगा की घाटी, गण्डक, कोसी और महानन्दा नदी के निचली घाटी प्रदेश में पायी जाती है।
5. बलसुन्दरी मिट्टी
यह बाँगड़ मिट्टी का ही एक विशिष्ट रूप है जिसमें बालू और क्ले की मात्रा अधिक होती है। इसका विस्तार सारण, गोपालगंज, सहरसा दरभंगा, मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में देखा जा सकता है। सारण और गोपालगंज में कहीं-2 बलसुन्दरी मिट्टी के ऊपर लवणीय मिट्टी का विकास हुआ है। बलसुन्दरी मिट्टी मक्का, गन्ना, गेहूँ, आम, लीची इत्यादि की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
6. टाल मिट्टी
टाल मिट्टी गंगा के दक्षिणी भाग में तट के सहोर 8-10 किमी० चौड़ी पट्टी में पायी जाती है। इस मिट्टी के निर्माण में गंगा नदी के द्वारा लायी गयी जलोढ़ को तटीय भागों में निक्षेपण करने से हुआ है। यह अत्याधिक उर्वर मिट्टी है। इसकी विशेषताएं खादर और बांगड़ मिट्टी से मिलती-जुलती है। वर्षा ऋतु में बाढ़ के पानी के कारण खरीफ फसल का उत्पादन नहीं हो पाता है लेकिन रबी की फसल बड़े पैमाने पर उगायी जाती है।
7. बल्थर या लाल-पीली मिट्टी
इस मिट्टी का निर्माण छोटानागपुर से निकलने वाली नदियों के द्वारा लायी गयी मलवा के निक्षेपण से हुआ है। इसका रंग पीला या लाल होता है। यह मिट्टी कैमर पठार, राजमहल की पहाड़ी में पायी जाती है। इसमें जल-संग्रह करने की क्षमता कम होती है। लेकिन लोहे की मात्रा पर्याप्त होती है। यह सामान्यतः मोटे अनाजों के लिए प्रसिद्ध है।
8. लाल बलूई मिट्टी
लाल बलूई मिट्टी का विस्तार कैमूर और रोहतास के पठारी भागों में देखा जा सकता है। इसमें बालू की मात्रा अधिक होती है। इसकी उर्वरा शक्ति भी कम होती है। यह भी मोटे अनाजों के लिए प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि बिहार में स्थानीय विशेषताओं के कारण अलग-2 क्षेत्र में अलग-2 मृदा का विकास हुआ है।
Read More:
2. बिहार का प्राकृतिक प्रदेश / भौतिक इकाई
4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव
9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण
12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग
15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान
16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप
17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान
19. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र
20. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर