19. Rural Market Center in Bihar (बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र)
19. Rural Market Center in Bihar
(बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र)
प्रश्न प्रारूप
Q. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्रों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
बिहार के ग्रामीण-नगरीय क्षेत्रों के विकास के क्रम में कई ग्रामीण बाजार केन्द्रों का विकास हुआ है। ग्रामीण बाजार में प्राय: हाट मेला कस्बाई बाजार, सप्ताहिक बाजार या पाक्षिक बाजार इत्यादि के नाम से जानते है। ग्रामीण बाजार केन्द्र बड़े नगर और ग्रामीण क्षेत्र के बीच योजक कड़ी का कार्य करते हैं।
ग्रामीण बाजार केन्द्रों का विकास:-
बिहार में ऐसे ग्रामीण बाजार केन्द्रों का विकास लगभग पुरे बिहार में हुई है। ऐसे बाजार जैसे क्षेत्रों पर विकसित होते हैं जहाँ पर सड़कों का चौराहा हो या कोई सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ केन्द्र हो या कोई जलाशय उपलब्ध हो सोनपुर, बाढ़, बख्तियारपुर, बिहटा, तारेगना, अकबरपुर, रजौली, गिरियक इत्यादि ऐसे बाजार केंद्र हैं जो पटना महानगर के इर्द-गिर्द स्थित हैं।
ग्रामीण बाजार केन्द्रों की भूमिका:-
बिहार के ग्रामीण बाजार केन्द्रों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित भूमिकाएँ रेखांकित की जा सकती हैं-
(1) ग्रामीण बाजार केन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों की मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति करते हैं तथा उनका जीवन स्तर सुधारने में मदद करते हैं।
(2) ग्रामीण बाजार आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु होता है। यहाँ द्वितीयक तथा तृतीयक प्रकार के आर्थिक गतिविधि सम्पन्न किये जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने कृषि उत्पादों को ग्रामीण बाजार केन्द्र में आकर बेचते हैं अपनी आवश्यकता की चीजें खरीदकर ले जाते हैं।
(3) ग्रामीण बाजार केन्द्र नवो उत्पाद विसाण का केन्द्र होता है। इसका तात्पर्य है कि किसानों के कृषि कार्य से संबंधित नवीन उपकरण, बीज, उर्वरक इत्यादि सबसे पहले ग्रामीण बाजार केन्द्र तक पहुंचते है और वहाँ से उनका धीरे-2 ग्रामीण क्षेत्रों में विसरण होता है।
(4) ग्रामीण बाजार केन्द्र बफर स्टॉक का कार्य करते हैं। जैसे- ग्रामीण बाजार केन्द्रों में ‘Cold Storage’ स्थापित होते है जहाँ किसान अपने उत्पादों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखते हैं।
(5) ग्रामीण कृषि और कुटीर उद्योग से संबंधित उत्पादों का विपनण का कार्य किया करते है।
(6) ग्रामीण बाजार केन्द्र सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केन्द्र बिन्दु होता है। जैसे- एक ओर ग्रामीण केन्द्रों में आर्थिक गतिविधियाँ चल रही होती है वहीं दूसरी ओर मनोरंजन से जुड़े हुए गतिविधि भी चल रहे होते हैं।
(7) ग्रामीण बाजार केन्द्र सूचना के प्रमुख केन्द्र होते हैं। यहाँ विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित NGO, नुक्कड़ नाटक इत्यादि के माध्यम से सरकारी कार्यक्रम, परिवार नियोजन, साक्षरता, स्वास्थ संबंधित जानकारी इत्यादि आसानी से सम्प्रेषित करते हैं।
(8) ग्रामीण बाजार केन्द्र विभिन्न जातियों और सम्प्रदायों को मिलने-जुलने का अवसर प्रदान करता है जिससे सामाजिक एकता बनी रहती है।
(9) ग्रामीण बाजार में साहुकार, छोटे-छोटे बैंक, बीमा एजेन्ट, व्यापारी इत्यादि का जमघट होता है। ये किसानों को जरूरत के उननुसार धन उपलब्ध करवाते हैं और किसानों के उत्पादों को खरीदकर राष्ट्रीय एवं अन्तरर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाते हैं।
(1) ग्रामीण बाजार केन्द्र प्रादेशिक असमानता को दूर करने में सहायक है।
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि ग्रामीण बाजार केन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों में न केवल आर्थिक गतिविधियों को संचालित करता है बल्कि समस्त सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का भी केन्द्र बिन्दु होता है।
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