Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

BA SEMESTER/PAPER IVCARTOGRAPHY(मानचित्र कला)

39. Relief and Slope Analysis / उच्चावच एवं ढाल विश्लेषण

Relief and Slope Analysis

(उच्चावच एवं ढाल विश्लेषण)



उच्चावच (Relief)

     धरातल के किसी भूभाग का सबसे अधिक तथा सबसे कम ऊँचाई में जो अन्तर होता है, वह उस भूभाग का उच्चावच (Relief) कहलाता है। उच्चावच कई विधियों द्वारा दर्शाया जाता है, जैसे समुद्रतल स्थल की ऊँचाई (Spot height), समोच्च रेखायें (Contour lines), छाया (Shading) एवं रंग (Colouring)।

    “धरातलीय मानचित्र में Spot height किसी स्थान का समुद्रतल से ऊंचाई दिखता है। नीचे चित्र में Spot height, समोच्च रेखा द्वारा, छाया द्वारा तथा रंग द्वारा दिखाया गया है। यह रंग भारत के सर्वेक्षण विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त है। मैदानी भाग को हरा रंग से, अधिक ऊँचे भाग को भूरा, पठारी भाग को पीला तथा जलीय भाग को नीला रंग से प्रदर्शित किया जाता है।

    समोच्च रेखा द्वारा धरातल पर विद्यमान अनेक भूआकृतियों को दिखाया जाता है। यह समोच्च रेखा का मान, उसकी आकृति दो समोच्च रेखा के बीच की दूरी से पता चलता है कि धरातल पर कौन-सा पहाड़ी भाग है और कौन सा मैदानी भाग कहाँ झील है तो कहाँ जलप्रपात तो कहाँ पर घाटी है। अतः भू-आकृतियों को प्रदर्शित करने का यह उत्तम विधि है।

    समोच्च रेखा के माध्यम से धरातल की ढाल तथा उसकी दिशा की भी जानकारी होती है। किस स्थान की ढाल कैसी है, इसकी जानकारी भी समोच्च रेखा देती है। जहाँ समोच्च रेखा सटी-सटी रहती है, वहाँ की ढाल तीव्र होती है तथा जहाँ पर समोच्च रेखा दूर-दूर पर रहती है, वहाँ की ढाल कम रहती है।

     ऐसे तो हैश्यूर विधि (Hachure Method), ब्लॉक आरेख (Block diagram) द्वारा भी उच्चावच प्रदर्शित किया जाता है। परन्तु समोच्च रेखा सबसे अधिक उपयुक्त है। समोच्च रेखा द्वारा किसी क्षेत्र का प्रोफाइल (Profile) बनाया जाता है।

ढाल (Slope)

   मानचित्र (Map) में भूमि की ऊँचाई गहराई तथा पृथ्वी की सतह की सूक्ष्म स्थलाकृतियों (Details of topography) को मुख्यतः समोच्च रेखाओं (Contours lines) के द्वारा दिखलाया जाता है। इसीलिए समोच्च्च रेखाओं की आकृति (Shape) और पारस्परिक समोच्च रेखाओं के बीच की दूरी (Relative distance) की सहायता से मानचित्र में विभिन्न स्थल रूपों (Land forms) को पहचाना जाता है।

     प्रत्येक स्थलरूप को दिखाने के लिए समोच्च रेखाओं की एक निश्चित आकृति होती है और प्रत्येक में उनकी पारस्परिक दूरी भी विशेष प्रकार की होती है। उदाहरण स्वरूप एक गुम्बद (Dome), एक शंक्वाकार पहाड़ी (Conical hill) दोनों में समोच्च रेखायें लगभग गोलाकार (Round) होती है परन्तु इन स्थलरूपों में उनकी पारस्परिक दूरी अलग-अलग होती है।

     इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की समोच्च रेखायें एक-दूसरे के लगभग समानान्तर होती है। परन्तु उनकी पारस्परिक दूरी अलग-अलग होती है। जहाँ भूमि की ढाल अधिक होती है (जैसे एक कगार (Escarpment), वहाँ समोच्च रेखायें लगभग समानान्तर और एक-दूसरे के बहुत समीप होती है।

    दूसरी ओर जहाँ भूमि की ढाल बहुत कम होगी वहाँ भी समोच्च रेखायें लगभग समानान्तर परन्तु एक-दूसरे से बहुत दूर-दूर पर होती है। इसी प्रकार सम ढाल (Regular slope), असमान ढाल (Irregular slope) सोपान ढाल (Terraced slope), नतोदर ढाल (Concave slope) तथा उन्नतोदर ढाल (Convex slope) इत्यादि में समोच्च रेखाओं की पारस्परिक दूरी अलग-अलग होती है।

     मानचित्र में स्थल रूपों को पहचानने तथा उनका वर्णन और व्याख्या करने के लिए समोच्च रेखाओं की आकृति तथा उनकी पारस्परिक दूरी का विश्लेषण करना आवश्यक है। मानचित्र के किन्हीं दो स्थानों के बीच की ढाल की गणना (Calculation) करने के लिए दो तथ्यों की आवश्यकता होती है-

(1) दोनों स्थानों के बीच की ऊँचाई का अन्तर (Difference of elevation), जिसे लम्बवत् अन्तर (Vertical interval) कहा जाता है।

(2) दोनों स्थानों के बीच की क्षैतिजीय दूरी (Horizontal distances) जिसे क्षैतिजीय अन्तर अथवा क्षैतिजीय तुल्यांक (Horizontal equivalent) कहा जाता है।

      मान लिया जाए कि एक पहाड़ी की चोटी A की ऊँचाई समुद्रतल से 3275 मीटर है और उसके नीचे स्थित नदी घाटी का निम्नतल (Bottom) B की ऊँचाई समुद्रतल से 2475 मीटर है। A और B बिन्दुओं के बीच की ढाल ज्ञात करना है।

      सबसे पहले A और B के बीच लम्बवत् अन्तर 3275-2475 = 800 मीटर हुआ। यदि मानचित्र में इन स्थानों की दूरी 8 सेन्टीमीटर है और मानचित्र का मापक 1 सेमी. = 5 किमी. है तो A और B की वास्तविक दूरी अर्थात् उनके बीच क्षैतिजीय दूरी 40 किमी. होगी।

     A और B स्थानों के बीच की ढाल को निम्नलिखित अनुपात से व्यक्त किया जा सकता है-

Relief and Slope Analysis

     यहाँ ध्यान देने की एक आवश्यक बात यह है कि ढाल व्यक्त करने वाले भिन्न में अंश (Numerator), हमेशा इकाई (Unit) में होता है और अंश (Numerator) तथा हर (Denominator) दोनों मापन की एक ही इकाई (Unit of measurement), होती है।

    उपरोक्त उदाहरण में ढाल व्यक्त करने वाला भिन्न है, जिसमें अंश (Numerator) ‘एक’ है और हर (Denominator) ‘पचास’ है। दोनों मापन की 50 एक ही इकाई ‘मीटर’ में है। इस सम्बंध को एक अनुपात (Ratio) के रूप में अर्थात् 1: 50 में व्यक्त किया जा सकता है।

    ढाल व्यक्त करने वाले भिन्न 1/50 अथवा अनुपात 1:50 से यह समझना चाहिए कि 50 मीटर की क्षैतिजीय दूरी पर भूमि पहले की अपेक्षा एक मीटर नीची हो जाती है। इस नियम का उल्लंघन करके ढाल को ‘फीट प्रति मील’ अथवा ‘सेंटीमीटर प्रति किलोमीटर’ में व्यक्त करने का प्रचलन सा हो गया है।

     जैसा कि हम पहले देख चुके हैं कि ढाल का क्षैतिज रेखा से कोणीय दूरी (Angular distance) अर्थात् अंशों (Degrees) में भी व्यक्त किया जाता है। उपरोक्त उदाहरण में वर्णित दो स्थानों को यदि चित्र में A और B मान लिया जाए तो AB रेखा की लम्बाई 2 मील है। A से AC लम्ब है जो A और B के बीच के लम्बवत् अन्तर अर्थात् 4750 फीट का प्रतिनिधित्व करती है। C पर AB, के बराबर और समानान्तर CB1 रेखा खींची गयी है तथा A और B के बीच के क्षैतिजीय दूरी है। CB को मिला दिया। यह AB से AB’ की झुकाव अर्थात् A और B के बीच की ढाल का प्रतिनिधित्व करती है।

     ABC एक समकोण त्रिभुज है, जिसका आधार AB 2 मील है तथा लम्ब AC = 4750 फीट है।

 

    अब साधारण tan टेबुल से जिस कोण का tan मान (Value) .4481 है, उसका मान Log Table द्वारा अंशों में निकाल लिया जा सकता है।

जैसे- .44981 का tan का मान 24°12′ होता है। अर्थात् AB की ढाल 24°12′ की हुई है।

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home