2. Complete Educational Psychology Capsule 2 / सम्पूर्ण शिक्षा मनोविज्ञान
2. Complete Educational Psychology Capsule 2
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Education (शिक्षा)
शिक्षा एक जीवनपर्यन्त चलने वाली बालक के प्राकृतिक विकास की प्रक्रिया है, जिसे सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है। यह देश, काल व स्थान आदि के बन्धनों से मुक्त होती है। अर्थात वास्तव में शिक्षा एक अनियंत्रित वातावरण है, जिसमें रहते हुए बालक स्वतन्त्रतापूर्वक अपनी प्रकृति एवं क्षमता के अनुसार विभिन्न अनुभवों को प्राप्त करते हुए सीखता है।
एक नजर में इन्हें जरुर देखें-
➡शिक्षा शब्द की उत्पत्ति ‘शिक्ष’ धातु से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ सीखने, ज्ञान ग्रहण करने या विद्या प्राप्त करने से है।
➡शिक्षा शब्द का अंग्रेजी रूपान्तर शब्द Education है। Education शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा एडुकेट ‘Educatum’से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है शिक्षण कार्य करना।
➡कई विद्वानों के अनुसार Education शब्द की उत्पत्ति ‘Educare’ से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है – पालन पोषण और विकसित करना।
➡ इस प्रकार Education शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के Educatum शब्द से हुई है जिसमें E मतलब अन्दर से, Duco मतलब बाहर निकालना। अर्थात शिक्षा का अर्थ होता है, बालक के अन्तर्निहित योग्यताओं को बाहर निकाल कर उसके व्यवहार में परिवर्तन करना है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति:
➡शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है।
➡इसमें नियम व सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है।
➡ शिक्षा मनोविज्ञान अतीत की अपेक्षा वर्तमान की घटनाओं से, क्या और क्यों से सम्बन्धित है।
➡ इसके नियम व सिद्धान्त सार्वभौमिक होते हैं।
➡इसके द्वारा भविष्यवाणी की जा सकती है।
➡किसी भी वैज्ञानिक पद्धति में हम उसका अध्ययन करते हैं, जिसक निरीक्षण किया जाता है।
➡शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार का अध्ययन करता है, इसका निरीक्षण किया जा सकता है।
➡ शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहारात्मक पक्ष का शैक्षणिक परिस्थितियों में अध्ययन करता है।
➡शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है।
➡शिक्षा मनोविज्ञान एक सकारात्मक विद्यालय विज्ञान है, जो शिक्षा के कब, कैसे, और कहाँ आदि प्रश्नों के उत्तर पर ध्यान केन्द्रित करता है।
Complete Educational Psychology Capsule 2
शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता :
➡स्वयं को पहचानने में सहायक।
➡बालक को पहचानने में सहायक।
➡मूल्यांकन की नई-नई विधियों का प्रयोग करना।
➡शिक्षक के दृष्टिकोण को उन्नत व व्यापक बनाने में सहायक।
➡ किसी भी प्रकार की कक्षा में शैक्षणिक प्रस्तुतियां जागृत करने में सहायक।
➡बालको के प्रति प्रेम, सहानुभूति व समदृशी भाव अपनाने में।
➡बालकों के चहुमुखी विकास के लिए उचित शिक्षण विधियों अपनाने में सहायक।
➡बालकों को अभिप्रेरित करते हुए उनमें रुचि जागृत करना।
नोट : मैं आशा करता हूँ कि शिक्षा मनोविज्ञान से सम्बंधित सभी CAPSULE आपके परीक्षा के लिए नींव का पत्थर साबित होंगे। अगर किसी भी प्रश्न के उत्तर को लेकर आपके मन में कोई संदेह हो तो हमसे Contact With us के माध्यम से, Comment या Email से Contact कर सकते है। मैं हमेशा आपके मंगल भविष्य की कामना करता हूँ।
Thank You @ By Dr. Amar Kumar