17. Problems of Mumbai Metropolis / मुम्बई महानगर की समस्याएँ
17. Problems of Mumbai Metropolis
(मुम्बई महानगर की समस्याएँ)
Q. मुम्बई महानगर की क्या समस्याएँ है और उनका समाधान करने के लिए क्या-क्या उपाय विचाराधीन है? (39वीं BPSC)
नगरीय जनसंख्या विस्फोट के कारण सामान्य रूप से भारतीय नगरों में कई समस्याओं का अभ्युदय हुआ है। लेकिन महानगरों की स्थिति कुछ विशिष्ट है। मुम्बई भारत का सबसे बड़ा महानगर है जो महाराष्ट्र के पश्चिम में अरब सागर के तट पर माहिम नदी के किनारे अवस्थित है। यह नगर सात टापू और सात पर्वत के ऊपर अवस्थित है। इस नगर के पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट पर्वत अवस्थित है। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण दिशा में एक संकरी पट्टी के रूप में हुआ है जिसे नीचे के मानचित्र में देखा जा सकता है।
मुम्बई महानगरीय नियोजन संस्था के अनुसार मुम्बई महानगर की निम्नलिखित समस्याएँ हैं:-
(1) अधिवासीय मकानों की जबड़दस्त कमी
(2) मकानों में भारी जनसंख्या दबाव
(3) नगरीय जीवन में भारी गिरावट
(4) काम करने के स्थानों का कुछ सड़क मार्गों के किनारे ही एक लम्बी दूरी तक फैला होना
(5) कुछ क्षेत्रों में भारी उद्योगों का जमाव एवं कुछ क्षेत्रों में अभाव
(6) अभिगमनकर्ताओं का भारी संख्या में आना।
(7) प्रदूषण की समस्या। जैसे- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण की समस्या
(8) हवाई अड्डा, बंदरगाह, रेलवे स्टेशन, बसस्टैण्ड पर भारी भीड़-भाड़
(9) विद्युत् तथा पानी की कमी तथा नगर निगम का बढ़ता टैक्स
(10) खुले स्थानों और मनोरंजन साधनों का अभाव
(11) भूमि की जबड़दस्त कमी और उनका बढ़ता हुआ कीमत
(12) मुम्बई नगर निगम के सीमावर्ती क्षेत्रों में भूमि पर अतिक्रमण की समस्या
(13) लोगों में परस्पर सामंजस्य का अभाव एवं एकाकी जीवन
(14) सामाजिक ढाँचे में भारी विषमता।
उपरोक्त सभी समस्याएँ मुम्बई महानगर द्वारा पिछले 60-70 वर्षों में की गई कारगुजारियों का परिणाम है। इस समस्या से निपटने के लिए मुम्बई का प्रादेशिक मास्टर प्लान के तहत विकसित करने का योजना बनायी गयी है जिसका प्रमुख उद्देश्य है- मुम्बई तथा उसके प्रदेश में बढ़ती असमानताओं का दूर करना। मुम्बई महानगर के प्रत्येक क्षेत्रों में समुचित सुविधाओं का विकास करना, लोगों के जीवन-स्तर में सुधार लाना और मुम्बई महानगर के अनियंत्रित विकास को रोकना है। इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु “मुम्बई मास्टर प्लान” का निर्माण 21वीं शताब्दी के अन्त में संभावित जनसंख्या को आधार मानते हुए तैयार किया गया।
ट्रांस, थाणे क्रीक क्षेत्र में एक नया नगर स्थापित किया जा रहा है। कल्याण, पोलसेट, बालखून, खपोली, मीरा भण्डार, आप्टे तुराडे कम्प्लेक्स को औद्योगिक नगरों को विकसित किया जा रहा है। सड़क और रेलमार्ग के बीच में समन्वय स्थापित कर नगर के अंदर और बाहर के क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था को सुधारा जा रहा है।
मुम्बई नगर में बढ़ते जनसंख्या दबाव को कम करने के लिए नवी मुम्बई का विकास किया जा रहा है। यह माहिम क्रीड के पूर्वी क्षेत्र पर स्थित है। नवी मुम्बई से कोलावा और बेलपुर सड़क का विकास किया गया है और कई रिहाइशी बस्ती और कई व्यापारिक क्षेत्रों का विकास किया गया है। चेम्बूर से वार्सी के बीच में रेलपुल सङ्क मार्ग का निर्माण किया गया है।
मुम्बई में ऐसे नवीन सेक्टर का निर्माण किया जा रहा है जो आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त है तथा चार-पाँच सेक्टर के बीच में एक CBD की स्थापना की गई है। नगर के अन्दर तीन बड़े-2 व्यापारिक केन्द्र का निर्माण किया गया है। प्रत्येक सेक्टर में खेल के मैदान एवं पार्कों का विकास किया गया है। प्रत्येक सेक्टर में तथा खाली भूमि पर हरी पेटी का विकास किया गया है ताकि ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके।
बदरगाहों पर भीड़-भाड़ को कम करने के लिए नवासेवा बंदरगाह और मँझगाँव डाकयार्ड का निर्माण किया गया है। रेलवे स्टेशनों पर और रेलवे भीड़-भाड़ को कम करने के लिए मुम्बई उपनगरीय रेल तो चलाया गया ही है। इसके बावजूद मुम्बई को एक ओर कोंकण रेलवे से जोड़ दिया गया है। तथा दूसरी ओर मुम्बई हथा अहमदाबाद के बीच में बुलेट ट्रेन चलाने की योजना है तथा मुम्बई उपनगरीय क्षेत्र में स्काई बस चलाने की भोजना है।
हवाई अड्डों पर भीड़ को कम करने के लिए शान्ता क्रुज और सहार में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण किया गया है। मुम्बई महानगर का क्षैतिज विस्तार जब संभव नहीं है। इसलिए सरकार ने वहाँ पर उदग्र जनसंख्या विस्तार का निर्णय लिया है।
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि मुम्बई महानगर को विभिन्न प्रकार के समस्याओं से निजात दिलाने हेतु कई प्रकार एवं संरचनात्मक उपाय किये गये हैं।
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