33. Place of Geography in Sciences and Social Sciences (विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में भूगोल का स्थान)
33. Place of Geography in Sciences and Social Sciences
(विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में भूगोल का स्थान)
प्रश्न प्रारूप
Q 1. विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में भूगोल के स्थान की विवेचना करें। (Discuss the place of Geography in Science and Social Science.)
उत्तर-
विज्ञान के रूप में भूगोल, व्यापक रूप से एक सच्चे व्यक्तिगत और प्रगतिशील विज्ञान के रूप में व्यापक रूप में मान्यता प्राप्त होने से पहले एक लंबा सफर तय किया है। भूगोल का अनुशासन सभी विज्ञानों में सबसे प्राचीन है। ग्रीक विद्वान इरेटास्थनीज (Eratosthenes) को भूगोल का जनक कहा जाता है। उसने पृथ्वी की परिधि ज्ञात करने में वैज्ञानिक तथ्यों तथा सापेक्ष सटीकता छाया के कोणों का उपयोग, दो शहरों के बीच की दूरी और गणितीय सूत्र आदि का सहारा लिया। रोमन विद्वान टॉल्मी का भी भूगोल को एक विज्ञान की श्रेणी में रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
इतिहास के भिन्न कालों में भूगोल को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया गया है। प्राचीन यूनानी विद्वानों ने भौगोलिक धारणाओं को दो पक्षों में रखा था-
- प्रथम गणितीय पक्ष, जो कि पृथ्वी की सतह पर स्थानों की अवस्थिति को केन्द्रित करता था
- दूसरा यात्राओं और क्षेत्रीय कार्यों द्वारा भौगोलिक सूचनाओं को एकत्र करता था। इनके अनुसार, भूगोल का मुख्य उद्देश्य विश्व के विभिन्न भागों की भौतिक आकृतियों और दशाओं का वर्णन करना है।
भूगोल में प्रादेशिक उपागम का उद्भव भी भूगोल की वर्णनात्मक प्रकृति पर बल देता है। हम्बोल्ट के अनुसार, भूगोल प्रकृति से सम्बंधित विज्ञान है और यह पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी साधनों का अध्ययन व वर्णन करता है। हेटनर और हार्टशॉर्न पर आधारित भूगोल की तीन मुख्य शाखाएँ है- भौतिक भूगोल, मानव भूगोल और प्रादेशिक भूगोल। भौतिक भूगोल में प्राकृतिक परिघटनाओं का उल्लेख होता है, जैसे कि जलवायु विज्ञान, मृदा और वनस्पति। मानव भूगोल भूतल और मानव समाज के सम्बंधों का वर्णन करता है।
भूगोल एक अन्तरा-अनुशासनिक विषय है। भूगोल का गणित, प्राकृतिक विज्ञानों और सामाजिक विज्ञानों के साथ घनिष्ठ सम्बंध है। जबकि अन्य विज्ञान विशिष्ट प्रकार की परिघटनाओं का ही वर्णन करते हैं, भूगोल विभिन्न प्रकार की उन घटनाओं का भी अध्ययन करता है, जिनका अध्ययन अन्य विज्ञानों में भी शामिल होता है। इस प्रकार भूगोल ने स्वयं को अन्तर्सम्बंधित व्यवहारों के संश्लेषित अध्ययन के रूप में स्थापित किया है।
भूगोल स्थानों का विज्ञान है। भूगोल प्राकृतिक व सामाजिक दोनों ही विज्ञान है, जो कि मानव व पर्यावरण दोनों का ही अध्ययन करता है। यह भौतिक व सांस्कृतिक विश्व को जोड़ता है। भौतिक भूगोल पृथ्वी की व्यवस्था से उत्पन्न प्राकृतिक पर्यावरण का अध्ययन करता है। मानव भूगोल राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और जनांकिकीय प्रक्रियाओं से सम्बंधित है। यह संसाधनों के विविध प्रयोगों से भी सम्बंधित है।
प्रारंभिक भूगोल सिर्फ स्थानों का वर्णन करता था। हालाँकि यह आज भी भूगोल के अध्ययन में शामिल है परन्तु पिछले कुछ वर्षों में इसके प्रतिरूपों के वर्णन में परिवर्तन हुआ है। भौगोलिक परिघटनाओंं का वर्णन सामान्यतः दो उपागमों के आधार पर किया जाता है। जैसे- (i) प्रादेशिक और (ii) क्रमबद्ध।
भूगोल का अन्य विषयों से सम्बन्ध
भूगोल एक समाकलिन विज्ञान है जो सभी प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों से किसी-न-किसी रूप में सम्बन्ध रखता है। भूगोल की विषय-वस्तु में भौतिक एवं मानवीय तथ्य सम्मिलित हैं। अत: भूगोल का इन दोनों ही विज्ञानों से सम्बन्ध पाया जाता है।
भूगोल का विज्ञानों से सम्बन्ध
1. भूगोल एवं खगोल विज्ञान:-
ब्रह्माण्ड में सौरमण्डल के सदस्य के रूप में पृथ्वी, चन्द्रमा, सूर्य आदि की स्थिति का सापेक्ष अध्ययन भूगोल तथा खगोल विज्ञान दोनों में ही किया जाता है, हालांकि दोनों के अध्ययन के उद्देश्य भिन्न-भिन्न हैं।
सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा की सापेक्ष स्थितियों के प्रभाव अनेक रूपों में देखे जाते हैं; जैसे- दिन-रात का होना, ऋतु-परिवर्तन, सूर्यातप की प्राप्ति, चन्द्रमा की कलाएँ इत्यादि। ये सभी भूगोल तथा खगोल विज्ञान के अध्ययन के विषय हैं। अत: दोनों विषय एक-दूसरे के बहुत निकट हैं।
2. भूगोल एवं गणित:-
गणित का भौगोलिक अध्ययनों में प्राचीन काल से ही गहरा प्रभाव रहा है। देशों व प्रदेशों की अक्षांशीय व देशान्तरीय स्थितियाँ तथा उनकी आकृतियाँ व क्षेत्रफल आदि का भूगोल के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन गणित के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है।
आधुनिक काल में गणित की ही एक शाखा सांख्यिकी के उपयोग से भूगोल के विभिन्न अध्ययनों में मात्राकरण इतना महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है कि गणितीय भूगोल के रूप में भूगोल की एक प्रमुख शाखा के रूप में विकास हो रहा है।
3. भूगोल एवं भूगर्भ विज्ञान:-
भूगर्भ विज्ञान पृथ्वी के आन्तरिक संरचना के अध्ययन से सम्बन्धित है जबकि भूगोल में भी पृथ्वी की आन्तरिक संरचना, चट्टानों आदि का अध्ययन किया जाता है; क्योंकि इसी अध्ययन से मिट्टियों, खनिजों, भू-आकृतियों के स्वरूपों और भूमिगत जल का अध्ययन जुड़ा हुआ है। इस प्रकार भूगोल और भूगर्भ विज्ञान का एक-दूसरे से गहरा सम्बन्ध नजर आता है।
4. भूगोल एवं जलवायु विज्ञान:-
जलवायु विज्ञान में मौसम के सभी तत्त्वों के विभिन्न संयोगों से उत्पन्न जलवायवीय दशाओं का अध्ययन किया जाता है। भूगोल में भौतिक पर्यावरण के अध्ययन में जलवायु को विशेष महत्त्व दिया जाता है जो धरातलीय परिघटनाओं को प्रभावित करती है। इस प्रकार भूगोल को जलवायु विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है।
5. भूगोल एवं मृदा विज्ञान:-
विश्व में खाद्यान्नों की प्राप्ति कृषि-कार्यों से ही होती है। कृषि-फसलों के पर्याप्त उत्पादन के लिए उपजाऊ मिट्टी का होना अति आवश्यक है। शाकाहारी लोगों का भोजन कृषि-उपजों से प्राप्त होता है, जबकि मांसाहारी लोगों का भोजन पशुओं से प्राप्त होता है, जो कि घास एवं वनस्पति पर निर्भर रहते हैं।
अत: खाद्य पदार्थों की प्राप्ति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मिट्टी से ही होती है। खाद्यान्न तथा अन्य कच्चे पदार्थों का उत्पादन करने वाली मिट्टियों का अध्ययन भूगोल तथा मृदा विज्ञान का प्रमुख विषय है। इसलिए भूगोल और मृदा विज्ञान परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।
6. भूगोल एवं वनस्पति विज्ञान:-
वनस्पति का मानव-जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनसे अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की प्राप्ति होती है। वन बाढ़ों एवं मृदा संक्षरण को रोकने में सहायक होते हैं। अतः ये एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन हैं। भूगोल में वनस्पति का अध्ययन महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। अतः भूगोल का सम्बन्ध वनस्पति विज्ञान से अत्यधिक गहरा है।
7. भूगोल एवं जन्तु विज्ञान:-
पशुधन से मानव का गहरा सम्बन्ध है। पशुओं से मानव को दूध, मांस, ऊन, चमड़ा आदि अनेक उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। अनेक पशुओं का उपयोग कृषि-कार्यों, बोझा ढोने एवं यात्रा करने में किया जाता है। इस प्रकार आदिकाल से ही मानव का सम्बन्ध पशुओं से रहा है। इसी कारण भूगोल का सम्बन्ध जन्तु विज्ञान से भी है।
भूगोल का सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्ध
1. भूगोल और अर्थशास्त्र:-
भूगोल और अर्थशास्त्र दोनों ही सामाजिक विज्ञान हैं तथा एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। भूगोल मनुष्य के प्राकृतिक और सांस्कृतिक पर्यावरण का अध्ययन करता है, जबकि अर्थशास्त्र मानव की आर्थिक क्रियाओं का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। इसलिए दोनों के अध्ययन का केन्द्र-बिन्दु मनुष्य ही है। प्राकृतिक पर्यावरण का प्रत्यक्ष प्रभाव मानव-जीवन पर पड़ता है।
भूगोल में दोनों की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। प्रादेशिक स्तर पर प्राकृतिक पर्यावरण ही मानव के आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण करता है। उपजाऊ भूमि वाले क्षेत्रों में लोग कृषि कर सकते हैं, जबकि घास के क्षेत्रों में पशुचारण प्रमुख व्यवसाय है। समुद्र तटीय भागों में मत्स्य उद्योग तथा वन-प्रधान क्षेत्रों में लोगों का प्रधान व्यवसाय लकड़ी काटना होता है।
भूगोल के अध्ययन मात्र से ही हमें ज्ञात हो जाता है कि उस क्षेत्र में मानव की आजीविका के साधन क्या होंगे। सभी प्राकृतिक परिस्थितियाँ; जैसे-भूमि, नदी, पर्वत, मैदान तथा वनस्पतियाँ; मनुष्य के आर्थिक विकास के स्तर का निर्धारण करती हैं।
कनाडा में लकड़ी काटना, टैगा में समूर एकत्र करना, कांगो बेसिन में जंगली रबड़ एकत्र करना तथा मलाया में रबड़ का उत्पादन वहाँ के प्राकृतिक पर्यावरण की ही देन है। मनुष्य अपनी आजीविका के लिए प्रकृति के साथ कठोर संघर्ष करता रहा है। उसके इसी संघर्ष का अध्ययन आर्थिक भूगोल में होता है। अर्थशास्त्र में भी मानव के व्यवसायों; जैसे- कृषि, उद्योग, परिवहन के साधनों तथा व्यापार का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता कि अर्थशास्त्र और आर्थिक भूगोल दोनों में गहरा सम्बन्ध है।
2. भूगोल और इतिहास:-
इतिहास भूतकालीन घटनाओं का वर्णन करने वाला शास्त्र है। वर्तमान की भौगोलिक घटनाएँ ही भविष्य में इतिहास बन जाती हैं। इतिहास वर्तमान भौगोलिक घटनाओं को अतीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के फ्रेम में व्यवस्थित करता है। किसी देश के इतिहास के निर्माण में वहाँ की भौगोलिक दशाओं का अभूतपूर्व योगदन रहता है। भूगोलवेत्ता बकल महोदय के शब्दों में, “विश्व का सम्पूर्ण इतिहास मनुष्य एवं प्रकृति की क्रिया-प्रतिक्रिया से ओत-प्रोत है। मानव सभ्यता के विकास का इतिहास इने सम्बन्धों से पृथक् नहीं किया जा सकता।’
ऐतिहासिक घटनाओं की समग्र पृष्ठभूमि भूगोल द्वारा ही तैयार की जाती है। प्रत्येक ऐतिहासिक घटना का एक विशिष्ट वातावरण होता है, जबकि भौगोलिक घटनाओं का भी एक निश्चित इतिहास होता है। भारत में उत्तर का विशाल मैदान कैसे बना, इसकी एक निश्चित ऐतिहासिक श्रृंखला है। इस क्षेत्र के इतिहास के निर्माण में किन-किन भौगोलिक दशाओं का योग रहा, यह भी इतना ही महत्त्वपूर्ण है।
आज का भूगोल कल का इतिहास है, जबकि कल का इतिहास आज का भूगोल बन जाता है। कुमारी सैम्पुल के शब्दों में, “वास्तव में आज जो भूगोल है, कल वही काल के अन्तर में इतिहास बन जाता है।” उच्चावच स्थिति, जलवायु, प्रादेशिक विस्तार तथा अन्य भौगोलिक दशाएँ राष्ट्र के ऐतिहासिक स्वरूप का निर्माण करती हैं। मिस्र में नील घाटी की सभ्यता, एशिया में मेसोपोटामिया की सभ्यता, चीन में ह्वांगहो घाटी की सभ्यता वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों की ही देन रही हैं।
यूनान, इंग्लैण्ड, फ्रांस और जापान देशों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के निर्माण में वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों का विशेष योगदान रहा है। सिकन्दर और नेपोलियन के उत्थान और पतन के पीछे भी वहाँ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमियों का ही विशेष हाथ रहा है। भूगोल को इतिहास की सहायता से तथा इतिहास को भूगोल की सहायता से भली प्रकार समझा जा सकता है। इस प्रकार इतिहास और भूगोल एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।
3. भूगोल और समाजशास्त्र:-
समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन करने वाला विज्ञान है। यह सामाजिक पृष्ठभूमि में मानव के सामाजिक क्रियाकलापों का विवरण प्रस्तुत करता है। यह मनुष्य की भौतिक-अभौतिक संस्कृति का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र सामाजिक पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में सामाजिक मानव का गहन अध्ययन करता है। सामाजिक परिवेश के निर्माण में प्राकृतिक पर्यावरण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानव भूगोल का लक्ष्य मानव के सामाजिक और आर्थिक पहलू का अध्ययन करना है। इन दोनों पहलुओं के निर्माण में भौगोलिक दशाओं का विशेष हाथ रहता है।
समाज में प्रचलित रीति-रिवाज, परम्पराएँ, धर्म, नैतिकता, भाषा एवं संस्कृति का निर्धारण प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा ही किया जाता है। समाजशास्त्र में इन्हीं सभी प्रतिमानों का अध्ययन किया जाता है। समाज के स्वरूप, संस्थाओं और उनके ढाँचे के निर्माण में भौगोलिक दशाओं का ही हाथ रहता है।
अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण ही यूनान के लोग वीर और दार्शनिक तथा ब्रिटेन के लोग बुद्धिमान हो गये। मानसूनी जलवायु की अनिश्चितता के कारण ही वहाँ के लोग भाग्यवादी बने हैं, जबकि भूमध्यरेखीय प्रदेशों में आज भी जनमानस में जादू-टोने का प्रचलन है। इस सामाजिक परिवेश का रूप भौगोलिक पर्यावरण की प्रत्यक्ष देन है। अतः हम कह सकते हैं कि भूगोल और समाजशास्त्र एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।
4. भूगोल और राजनीतिशास्त्र:-
राजनीतिशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें राज्य की उत्पत्ति, विकास, प्रभुसत्ता, कानून और सरकारों का अध्ययन किया जाता है। भूगोल में मानव की विभिन्न दशाओं का अध्ययन किया जाता है। भौगोलिक दशाएँ ही राज्य के स्वरूप तथा सरकारों के ढाँचों का निर्माण करती हैं।
मैदानी तथा उपजाऊ क्षेत्रों में सदैव राजनीतिक उथल-पुथल तथा युद्ध लगे रहते हैं। सरकार, कानून, प्रशासन और समुदायों का निर्माण भौगोलिक परिवेश की देन है। इन्हीं सबका अध्ययन राजनीतिशास्त्र में किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रजातंत्र और पूँजीवाद, रूस और चीन में साम्यवाद और समाजवाद वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों की ही देन हैं।
एशिया महाद्वीप के पृथक्-पृथक् देशों में प्रचलित विभिन्न प्रशासनिक प्रारूप यहाँ की विविध जलवायु की ही देने हैं। ब्रिटेन की द्वीपीय स्थिति के कारण वहाँ जहाजी बेड़ा शक्तिशाली बन सका। उसी के बल पर उसने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश स्थापित कर साम्राज्यवाद का पोषण किया।
भूगोल में भूराजनीति और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। वर्तमान समय में विश्व में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन भौगोलिक परिस्थितियों की ही उपज है। पर्यावरण-प्रदूषण के बढ़ते खतरों को देखकर ही महाशक्तियाँ आणविक शक्ति प्रसार को तत्पर हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राजनीतिशास्त्र और भूगोल परस्पर सम्बद्ध हैं।
निष्कर्ष:
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि भूगोल और अन्य सामाजिक विज्ञान के साथ इसका संबंध निर्विवाद है क्योंकि उसमें से प्रत्येक के लिए उसका महत्व है। यह स्पष्ट है कि जिस तरह से भूगोल अन्य सामाजिक विज्ञान से संबंधित है वह एक छोटी अवधारणा नहीं है वरन् एक व्यापक अवधारणा है।
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- 7. भूगोल में मात्रात्मक क्रांति का विकास / Development of Quantitative Revolution in Geography
- 8. अवस्थिति विश्लेषण या स्थानीयकरण विश्लेषण (Locational Analysis)
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- 12. जर्मन भूगोलवेत्ताओं का योगदान
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- 22. मेकिण्डर का हृदय स्थल सिद्धान्त
- 23. भूगोल में अल्फ्रेड हेटनर के योगदान
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- 25. हम्बोल्ट एवं रिटर के भौगोलिक विचारों का तुलनात्मक अध्ययन
- 26. ब्रिटिश भौगोलिक विचारधाराओं पर प्रकाश
- 27. अमेरिकन भौगोलिक विचारधाराओं पर प्रकाश डालिए।
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- 30. भूगोल एक क्षेत्र-वर्णनी विज्ञान (Chorological Science) है। विवेचना कीजिये।
- 31. The Post-modernism and Feminism in Geography (भूगोल में उत्तर आधुनिकता एवं नारीवाद)
- 32. The functionalsim in Geography (भूगोल में कार्यात्मकवाद)
- 33. Place of Geography in Sciences and Social Sciences (विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में भूगोल का स्थान)