17. Master Plan of Patna/Patna City Planning (पटना का मास्टर प्लान/पटना नगर नियोजन)
17. Master Plan of Patna/Patna City Planning
(पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान)
प्रश्न प्रारूप
Q.1 पटना नगर विकास से संबंधित नियोजन के लिए विचारणीय भौगोलिक अभिकर्ताओं का विश्लेषण कीजिए।
Q.2 पटना नगर विकास से संबंधित नियोजन के लिए भौगोलिक कारकों की चर्चा करें।
Q.3 बिहार का किसी नगर जिसका आपने अध्ययन किया है। उसकी आकारिकी की व्याख्या कीजिए और नगर आकारिकी के लिए कौन-सा मॉडल उपयुक्त है।
Q.3 बिहार के एक नगर की आकारिकी पर प्रकाश डालिए।
गैलीयन महोदय ने नगर नियोजन का तात्पर्य बताते हुए कहा था कि नगर में अधिवासित लोगों के स्वास्थ, सम्पति एवं सौदर्य का संतुलित विकास किया जाना नगर नियोजन कहलाता है। इसके अन्तर्गत भूमि उपयोग, सार्वजनिक सुविधा, पर्यावरण, परिवहन तथा मनोरंजन केन्द्रों का संतुलित विकास किया जाता है।
कोई भी नगर मानवीय जनसंख्या का जमघट होता है। ऐसे स्थानों पर अधिवासीय अव्यवस्था न हो इसलिए नियोजन का कार्य किया जाता है। भारत में नगर नियोजन का इतिहास काफी पुरानी है। भारत में नगर नियोजन की शुरुआत सिन्धु नदी घाटी सभ्यता के नगरों से प्रारंभ मानी जाती है। लेकित आधुनिक नगर नियोजन का इतिहास 1863 ई० से प्रारम्भ माना जाता है, क्योंकि इंगलैण्ड के स्वास्थ्य विभाग के अनुशंसा पर नगर नियोजन का प्रारंभ किया गया था।
पटना नगर नियोजन
जहाँ तक पटना नगर के नियोजन का प्रश्न है। इसकी शुरुआत मुगल काल से हुई थी। लेकिन उस समय पटना सिटी व पश्चिम दरवाजा से पूर्वी दरवाजा के मध्य मुख्य सड़क के दोनों तरफ नगरीय बस्ती बसे हुए थे। ये रेखीय नगरीय बस्ती था। ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने प० पटना में नियोजन का कार्य प्रारंभ करवाया। इसका नियोजन अर्द्ध वृत्ताकार विन्यास प्रारूप पर आधारित था।
लेकिन स्वतंत्रता के बाद पटना सहित देश के सभी बड़े नगरों में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृति तेज हो गयी। इसका प्रमुख कारण ग्रामीण नगरीय जनसंख्या का स्थानान्तरण था। नगर में लगातार जनसख्या वृद्धि को देखते हुए द्वितीय पंचवर्षीय योजना में नगर नियोजन की दो प्रकार की नीति अपनाई गयी-
(1) एक लाख या उससे अधिक जनसंख्या वाले नगरों के लिए ‘मास्टर प्लान’ का निर्माण किया गया।
(2) लघु या मध्यम आकार वाले नगरों में सार्वजनिक सुविधाओं का विकास करने का निर्णय लिया गया।
पुनः मास्टर प्लान की नीति में भी दो प्रकार के नीति निर्धारित किये गये। प्रथम पूर्णतः नवीन नगरों की नीति और द्वितीय पूर्व के बसे हुए नगरों के विकास की नीति।
नवीन नगरों में मुख्यतः प्रशासन हेतु चण्डीगढ़, औद्योगिक विकास हेतु राऊरकेला, खनन कार्य हेतु कुद्रेमुख और अंकलेश्वर जैसे नियोजित नगर बसाये गये और पूर्व के बसे हुए नगरों में पटना नगर को नियोजित करने का निर्णय लिया गया।
प्रथम चरण में 36 नगरों के लिए मास्टर प्लान का निर्माण किया गया था। उनमें से पहला नगर पटना था। पटना के लिए प्रथम मास्टर प्लान 1965 ई० में, दूसरा 20 वर्ष बाद 1985 ई० में कार्यान्वित किया गया और तीसरा मास्टर प्लान अभी निर्माणाधीन है। प्रथम मास्टर प्लान 1965 में पटना इम्प्रूवमेन्ट ट्रस्ट के द्वारा किया गया था। इसी मास्टर प्लान के तहट राजेन्द्र नगर, कदम कुंआ, गर्दनीबाग और पाटलिपुत्रा कोलोनी का नियोजन किया गया था।
1965 ई० में PRDA का प्रस्ताव स्वीकृत करते हुए बिहार सरकार ने नियोजन का स्थायी अधिकार PRDA को ही सौप दिया। दूसरे मास्टर प्लान के तहत फुलवारी शरीफ, कंकड़बाग, दीघा जैसे मुहल्लों का नियोजन किया गया। लेकिन दूसरा मास्टर प्लान को पूरी तरह लागू नहीं किया गया। पटना में नगर नियोजन पूरी तरह लागू नहीं किये जाने के पीछे कई कारण उत्तरदायी रहे हैं। जैसे-
(1) विस्फोटक जनसंख्या वृद्धि:-
1995 ई० के मास्टर प्लान के अनुरूप पटना नगर की जनसंख्या 2001 ई० में 12 लाख होनी चाहिए थी जबकि यह वास्तविक रूप से 17 लाख हो गई। पुनः 1981 ई० में पटना की जनसंख्या 4 लाख 80 हजार थी जो 1991 ई० में बढ़कर 10 लाख 80 हजार हो गयी थी।
2001 ई० में ही पटना भारत का 14 वाँ सबसे बड़ा नगर बन चुका है। मैनपुर, दीघा, फूलवारी शरीफ में मूल रूप से ग्रामीण क्षेत्र से आयी हुई जनसंख्या अधिवासित होती है। यहाँ ग्रामीण क्षेत्र में व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी और भूमिहीनता के कारण जनसंख्या अधिवासित होते रही है।
(2) भूमि उपयोग के नियमों का पालन नहीं होना:-
भूमि उपयोग के दृष्टि से पटना महानगर को चार भागों में बाँटा जा जा सकता है।-
(ⅰ) अनियोजित पटना का सघन बसा हुआ क्षेत्र
(ⅱ) ब्रिटिशकालीन पश्चिम पटना
(iii) स्वतंत्रता के बाद नियोजित ढंग से विकसित क्षेत्र। जैसे – राजवंशी नगर, शास्त्रीनगर, पाटलिपुत्रा कोलनी और मुंशीनगर
(iv) गैर कानूनी ढंग से निर्मित क्षेत्र- यही क्षेत्र पटना नगर नियोजन की दिशा में सबसे बड़ी बाधा है।
बुद्धा कोलनी फेज-2, राजीव नगर, कंकड़बाग, न्यू वाइपास के दक्षिण का क्षेत्र तथा नगर के पश्चिमी क्षेत्र ये सभी क्षेत्र PRDA के अन्तर्गत आते हैं। इन क्षेत्रों में PRDA के अनुमति से ही निर्माण कार्य किया जा सकता है। लेकिन PRDA के अनुमति के निर्माण कार्य किये जाने से गंदी बस्ती की विकास हुआ है।
(3) परिवहन ही समस्या:-
पटना की अधिकतर सड़कें संकरी है। महात्मा गाँधी सेतु बनने के बाद परिवहन दबाव में भारी वृद्धि हुई है। पटना में ट्रैफिक जाम सामान्य बात हो चुकी है। नगर बस सेवा लगभग असफल से चुकी है। सड़कों पर वाहनो के चलने की रफ्तार लगातार कम होती जा रही है जो नगर नियोजन के विरुद्ध है।
(4) पटना में मलीन बस्तियों का विकास:-
PRDA के अनुसार पटना की आधी जनसंख्या मलीन बस्तियों में निवास करती है क्योंकि पटना में सार्वजनिक सुविधाओं का काफी अभाव है। यहाँ जल विकासी की समस्या यथावत बनी हुई है। पुनः स्वच्छ जलापूर्ति और गंदी नालियों का जबड़दस्त संगम हुआ है। विद्युत आपूर्ति और सार्वजनिक स्थलों का अभाव है। जगह-2 पर पटना में कचड़ों का अम्बार आसानी से देखा जा सकता है।
(5) पटना में मनोरंजन केन्द्रों का जबड़दस्त अभाव:-
यह नगर को अनियोजित और अस्वस्थकर बनाता है। सार्वजनिक स्थल जैसे- Park, Play ground, सामुदायिक भवन, क्लब, थीयेटर हॉल की यहाँ जबड़दस्त कमी है।
(6) पटना में पर्यावरणीय समस्याएँ भी काफी गंभीर है। पर्यावरणीय समस्याओं के रूप में यहाँ प्रदूषित जल की समस्या, वायु प्रदूषण की समस्या और ध्वनि प्रदूषण से समस्या गंभीर है।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर पटना का ‘मास्टर प्लान’ तैयार किया गया है। वास्तव में पटना का मास्टर प्लान मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी हुई है। यहाँ के ‘मास्टर प्लान’ में उल्लेखित कुछ विशेषताएं निम्नलिखित है। जैसे-
मास्टर प्लान की विशेषताएँ
(1) पटना का क्षैतिज विस्तार अब संभव नहीं है। इसलिए सरकार ने बहुमंजली इमारतों में बदलने का निर्णय लिया है।
(2) मौर्या कम्प्लेक्स के बाजार का विकास बाजार संकुल के रूप में किया गया है।
(3) पुराने जेल परिसर में नया बाजार विकसित करने का निर्णय किया गया है। लेकिन High Court के निर्देशानुसार जेल परिसर में पार्किंग बनाने का निर्देश मिल जाने के बाद यह कार्य अभी रूका हुआ है।
(4) पटना मुख्य स्टेशन के भार को कम करने के लिए राजेन्द्र नगर टर्मिनल का विकास किया जा रहा है।
(5) बोरिंग रोड चौराहा क्षेत्र को सुपरमार्केट के रूप में बदलने का निर्णय लिया गया है।
(6) मध्यवर्ती पटना के लिए बाजार समीति कैम्पस में सुपर मार्केट विकास करने निर्णय लिया गया है।
(7) अधिवासीय क्षेत्रों के विकास हेतु पटना को चार प्रमुख निकटतम पड़ोसी क्षेत्र में विभाजित किया गया है। जैसे- पश्चिमी पटना में बिहटा, पूर्वी पटना में फतुहा, दक्षिणी पटना में परसा बाजार और गौरीचक एवं उतरी पटना में हाजीपुर को विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इन सभी क्षेत्रों में सार्वजनिक सुविधाएँ, बाजार, पार्क, खेल का मैदान, जलापूर्ति की सुविधा विकसित करने के निर्णय बिला गया है।
(8) मास्टर प्लान के तहत फूलवारी शरीफ एयरपोर्ट को बिहटा में, पटना विश्वविद्यालय और PMCH को बाइपास के दक्षिण में, प्राइवेट बस स्टेण्ड को ट्रान्स पोर्ट नगर में और खागौल में विकसित करने का निर्णय लिया गया है लेकिन पूँजी एवं तकनीक की कमी, आम लोग की सहभागिता का अभाव, प्रशासनिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण क्रियान्वित नहीं किया जा सका है।
(9) पटना नगर के परिवहन के समस्या के समाधान हेतु कई महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव है। जैसे- एक रेलवे लाइन दक्षिणी पटना में पुनपुन नदी के किनारे बिहटा से फतुहा तक विकसित करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही दीघा में गंगा नदी पर “जयप्रकाश नारायण रेल पुल” का निर्माण किया जा रहा है।
पुनः गंगा नदी के किनारे मुम्बई के मेरीन ड्राइव के तर्ज पर River drive Road दानापुर से पटना सिटी तक विकसित करने का निर्णय लिया गया है। नगर के अन्दर सभी सड़कें को चौड़ा किया जा रहा है। कंकड़बाग जल निकासी योजना के तहत सम्पूर्ण दक्षिणी पटना में चौड़ी-2 नालियों और बड़े-2 ‘सम्प हाउस’ का निर्माण किया जा रहा है तथा नगर से निकलने वाले प्रदूषित जल को साफ करने हेतु ‘मैला टंकी’ के विकास का निर्णय लिया गया है।
(10) स्टेशन एरिया और नगर के अन्य क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम वाले क्षेत्र को पहचान कर फ्लाईओवर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। जैसे- चिरैयाँ टाल पुल, मीठापुर पुल, चारपुर पुल, बहादुरपुर पुल इत्यादि का कार्य प्रगति पर है।
गंगा नदी के किनारे सड़क निर्माण का कार्य 1942 से ही प्रस्तावित है। लेकिन विभिन्न कारणों से यह प्रस्ताव अभी तक कार्य रूप में नहीं आ पाया है क्योंकि गंगा नदी के किनारे निजी अधिवासीय क्षेत्र और कई सरकारी कार्यालय अवस्थित है जिसे हटाना अभी संभव है।
(11) सार्वजनिक सुविधाओं के विकास हेतु मास्टर प्लान में कई प्रस्ताव शामिल किये गये है। जैसे- खाली पड़े जमीन पर पार्कों का विकास किया जा रहा है। शहर के अंदर जगह-2 सुलभ शौचालय का निर्माण किया जा रहा है। पाटलिपुत्रा कोलनी में और बाजार समीति कैम्पस में मल्टी पलेक्स विकसित करने का निर्णय लिया गया है। कंकड़बाग में ‘इंडोर स्टेडियम’ का निर्माण किया जा रहा है।
(12) पर्यावरणीय नियोजन:-
मास्टर प्लान के अन्तर्गत प्रत्येक मलीन बस्ती को विकसित करने के लिए दो प्रकार के निर्णय लिये गये हैं। मलीन बस्तियों में गरीबी, निवारण कार्यक्रम चलाया जा रहा है तथा मलीन बस्तियों में सस्ते लागत वाले मकान बनाकर गरीबों को उपलब्ध करवाया जा रहा है।
बिहार सरकार गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है तथा गंदी बस्तियों में सुलभ इंटरनेशनल के माध्यम से शौचालय निर्माण किया जा रहा है। पर्यावरणीय विकास के अंतर्गत खुले नालों को ढका जा रहा है। निजी शौचालय को नालियों से जोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कचड़ा उठाव के लिए नगर निगम को रात्रि में उठाने को कहा गया है। पटना के चारों ओर एक हरित पेटी (चौ० ½ km) के विकास का निर्णय लिया गया है।
उपयुक्त कार्यक्रमों के द्वारा पटना नगर के नगरीय पर्यावरण में सुधार की पूरी संभावना है। चूंकि पटना एक पुराना नगर है इसलिए इसका पूर्ण नियोजन संभव नही है। इसलिए आंशिक नियोजन और कुछ सुधारों से ही नगरीय लोगों की समस्साओं से निजात दिलायी जा सकती है।
लेकिन पूँजी, और तकनीक, आम लोगों की सहभागिता, प्रशासनिक एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति, कानून में संशोधन, विस्थापित लोगों को उचित मुआवजा इत्यादि पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। पुन: इसका भी व्यवस्था किया जाना चाहिए कि गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, आरा, बक्सर जैसे नगरों के इस रूप में विकास किया जाय कि ग्रामीण क्षेत्रों से स्थानान्तरित होने वाली जनसंख्या वहीं अधिवासित हो सके।
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9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण
12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग
15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान
16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप
17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान
19. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र
20. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर