8. Liberalization (उदारीकरण)
Liberalization
(उदारीकरण)
भारत द्वारा वर्ष 1991 ई० में आर्थिक सुधार नीति के तहत उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्विकरण की नीति को अपनाया गया था। उदारीकरण की नीति मुख्यतः उद्योगों से जुड़े हुए थे। 1991 ई० के औद्योगिक नीति का मुख्य उद्देश्य दो थे-
(4) भारत का तेजी से आर्थिक विकास करना।
(2) अर्थव्यवस्था को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा के योग्य बनाना।
जब 1995 में WTO की स्थापना हुई तो भारतीय उदारीकरण को विशेष बल प्राप्त हुआ। भारत के द्वारा अपनायी गयी उदारीकरण की प्रक्रिया की मुख्य विशेषता निम्नलिखित हैं:-
(1) 1991 के औद्योगिक नीति में घोषणा की गई थी कि औद्योगिक क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला जायेगा।
उद्योगों में सरकार का प्रशासनिक हस्तक्षेप कम होगा और देश में प्रतिस्पर्द्धात्मक महौल बनाया जायेगा। इसी घोषणा का पालन करते हुए उदारीकरण के नीति को अपनाया गया।
(2) उदारीकरण नीति को अपनाते हुए सरकार ने सभी उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया लेकिन तीन उद्योगों के आरक्षित उद्योग घोषित किया। जैसे- नाभिकीय ऊर्जा, रेल तथा अन्तरिक्ष।
(3) उद्योगों को लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया।
(4) प्रतिबंधक व्यापार व्यवहार अधिनियम, 1991 में सुधार लाकर विदेशों से पूंजी लाने की सीमा को समाप्त कर दिया गया तथा देशी कंपनियों के अधिग्रहण तथा समावेशन पर से प्रतिबंध हटा दिये गये।
(5) आयात एवं निर्यात से जुड़े हुए प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया गया।
(6) विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया गया।
(7) सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।
(8) कृषि को उद्योग का दर्जा देते हुए देश में संगठित कृषि तथा ठेका कृषि की शुरुआत की गई।
(9) श्रम कानून और कर संरचना में सुधार लाया गया।
उदारीकरण के प्रभाव
उदारीकरण की उपयुक्त विशेषताओं के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर चतुर्दिक प्रभाव पड़ा है। प्रभाव को लेकर अर्थशास्त्रियों के मध्य दो तरह के विचार है:-
प्रथम विचार इसका समर्थन करता है और दूसरा विचार इसका विरोध करता है। फिर भी, उदारीकरण के प्रभाव को निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है-
(1) प्रत्याक्ष विदेशी निवेश में तेजी से वृद्धि हुई है। इसका अनुमान बढ़ते हुए विदेशी मुद्रा भण्डार से लगाया जा सकता है।
(2) अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि का अनुमान बढ़ते हुए शेयर बाजार के सूचकांक से लगाया जा सकता है।
(3) सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 1990-91 ई० में GDP का विकास दर 4% था जो 2023-24 में बढकर 8.2% हो गई।
(4) मंदी का कम प्रभाव-
पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है फिर भी, भारत की अर्थव्यवस्था का विकास 7.5% दर से हो रहा है।
(5) रोजगार में वृद्धि-
उदारीकरण नीति के कारण देश में शिक्षित एवं अशिक्षित लोगों को नए-2 रोजगार के अवसर प्रदान हो रहे हैं।
(6) आधारभूत संरचना का विकास-
देशी एवं विदेशी निवेश के कारण आधारभूत संरचनाओं का विकास तेजी से हो रहा है।
(7) प्रादेशिक असंतुलन में वृद्धि-
देश का आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है लेकिन, विकसित क्षेत्र और विकसित होने जा रहे हैं तथा पिछड़े क्षेत्र और पिछड़ते जा रहे हैं।
(8) कुटीर एवं लघु उद्योगों पर बूरा प्रभाव पड़ रहा है।
(9) मंहगाई पर नियंत्रण स्थापित नहीं हो पा रही है।
(10) विदेशों से उच्च तकनीक एवं आगमन बड़े पैमाने पर हो रहा है।
(11) आर्थिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता में कमी आई है।
(12) कृषि क्षेत्र की उपेक्षा अभी जारी है।
(13) संगठित कृषि, ठेका कृषि और SEZ के कारण लगातार विवाद बढ़ते जा रहे है।
निष्कर्ष:
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि उदारीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव पड़ रहे हैं फिर भी, सकारात्मक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील एवं प्रतिस्पर्द्धात्मक स्वरूप प्रदान करने में सक्षम हो रही है।