Unique Geography Notes हिंदी में

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बिहार का भूगोल

10. Industrial Region of Bihar (बिहार का औद्योगिक प्रदेश)

10. Industrial Region of Bihar

(बिहार का औद्योगिक प्रदेश)



प्रश्न प्रारूप

Q. बिहार को औद्योगिक प्रदेशों में विभाजित कीजिए तथा उन पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए।

      बिहार के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार के औद्योगिक कच्चे माल पाये जाते हैं। इन संसाधनों पर आधारित एक ही प्रकार के उद्योगों का एक विशेष क्षेत्र में समूहीकरण हुआ है और औद्योगिक सघनता विकसित हो गई है।

    उद्योगों के इस समूहीकरण के आधार पर इस राज्य को निम्नलिखित सात औद्योगिक प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है।-

1. चावल मिल का प्रदेश

2. चीनी उद्योग का प्रदेश

3. जुट उद्योग का प्रदेश

4. पश्चिमी मध्यवर्ती औद्योगिक प्रदेश

5. पूर्वी मध्यवर्ती औद्योगिक प्रदेश

6. सोन घाटी औद्योगिक प्रदेश

7. गया-गुरारु औद्योगिक प्रदेश

Industrial Region of Bihar
चित्र: बिहार उद्योग एवं औद्योगिक प्रदेश

1. चावल मिल का प्रदेश मानचित्र:-

     चावल मील उद्योग के रूप में पूरे राज्य में पाया जाता है फिर भी बिहार के उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र में इस उद्योग का बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। धान का उत्पादन क्षेत्र मुख्यतः उत्तरी बिहार के मैदान तथा नेपाल की तराई क्षेत्र है। इसके आधार पर पश्चिम में रामनगर से लेकर पूर्व में किशनगंज तक चावल मिलों का विकास हुआ है।

मुख्य केन्द्र- रामनगर, नरकटियागंज, रक्सौल, अदापुर, बैरगनिया, सीतामढ़ी, जनकपुर रोड, जयनगर, झंझारपुर, जोगबनी और फारबीसगंज है।

    जनसंख्या की सघनता इन क्षेत्रों में होने के कारण उत्पादन का अत्यधिक खपत इन क्षेत्रों में ही हो जाता है।

2. चीनी उद्योग का प्रदेश:-

विस्तार- बिहार के उत्तरी-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र।

      यह बिहार का सर्वप्रमुख गन्ना उत्पादक प्रदेश है जो बागमती नदीं के पश्चिम और गंगा नदी के उतर में अवस्थित है। चीनी उद्योग का कच्चा माल गन्ना जो ह्रासमान पदार्थ है जिसके कारण चीनी उद्योग उत्पादन क्षेत्र में ही स्थित है।

मुख्य केन्द्र- प० और पूर्व चम्पारण, सिवान, गोपालगंज, सारण इत्यादि जिले आते है। वर्तमान में बिहार के 28 उद्योगों में से कार्यरत 11 मील यहाँ ही है। इसके अलावे अन्य मील भी है।

     इनके अलावा बिहार के भागलपुर तथा साहेबगंज क्षेत्र में 11 गुड़ के मिलें है तथा विभिन्न भागों में खाँडसारी का भी उत्पादन होता है।

    राज्य बँटवारे के बाद गन्ना आधारित अद्योग ही सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। गन्ना उत्पादन पर ही चीनी उद्योग के साथ-साथ गुड़, खंडसारी, कागज, इथेनॅाल, पशु आहार एवं विद्युत-ऊर्जा, कार्बनिक खाद जैसे कई अन्य उद्योग निर्भर करते है।  चीनी उद्योग एक सामयिक उद्योग है जिनमें साल में करीब 145 दिनों तक काम होता है एवं राज्य में ईख उत्पादकों की संख्या लगभग 5 लाख है।

3. जुट उद्योग का प्रदेश:-

विस्तार- बिहार के उतरी-पूर्वी भाग में स्थित।

मुख्य केन्द्र- पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले आते है। समीपवर्ती सहरसा, मधेपुरा और खगड़िया जिलों में जूट की खेती होती है।

     जूट उद्योग का विकास मुख्य रूप से पूर्णिया एवं कटिहार में हुआ है। जहाँ जूट से टाट, बोरे इत्यादि बनाये जाते है।

4. पश्चिमी मध्यवर्ती औद्योगिक प्रदेश:-

विस्तार- यह गंगा के किनारे स्थित पश्चिमी औद्योगिक प्रदेश है जिसका विस्तार बक्सर से मोकामा-बरौनी तक है। इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से गंगा का दक्षिणी तटीय भाग आता है। गंगा नदी के उत्तर स्थित बरौनी और हाजीपुर भी क्रमशः राजेन्द्र पुल और महात्मा गाँधी सेतु के द्वारा इस क्षेत्र से जुड़ पाये है। 

मुख्य केन्द्र- बरौनी सर्वाधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र है, जहाँ तेल- शोधक कारखाने, पेट्रो रसायन, ताप विद्युत रासायनिक खाद और दुग्ध उद्योग विकसित है।

      मोकामा में चमड़ा इत्यादि, हाजीपुर, पटना, फतुहा में स्कूटर तथा फुलवारीशरीफ में सूतीवस्त्र उद्योग का विकास हुआ है। इस सबके अलावे इन सब क्षेत्रों में चीनी उद्योग, प्लास्टिक उद्योग इत्यादि का भी विकास हुआ है।

5. पूर्वी मध्यवर्ती औद्योगिक प्रदेश:-

विस्तार- गंगा नदी के किनारे स्थित पूर्वी औद्योगिक प्रदेश है जिसका विस्तार मुंगेर, जमालपुर से लेकर कहलगाँव तक है।

मुख्य केन्द्र- मुंगेर, जमालपुर तथा कहलगाँव है। मुंगेर में बंदूक और सिगरेट, जमालपुर में वर्कशॉप, नाथनगर तथा भागलपुर में रेशम तथा तसर, कहलगाँव में सुपर ताप विद्युत (1994 ई०) स्थित है। इससे औद्योगिक विकास को लाभ मिला है। इस उद्योगों के अतिरिक्त इन प्रदेशों में आटा, चावल और दाल की मिले तथा लकड़ी उद्योगों का विकास हुआ है।

6. सोन नदी-घाटी औद्योगिक प्रदेश:-

विस्तार:- बिहार के दक्षिण-पश्चिमी भाग में सोन नदी के तटीय क्षेत्र में स्थित है। इसका विस्तार, जपला से डालमियानगर तक है।

     यहाँ सीमेंट उद्योग, कागज उद्योग, लकड़ी उद्योग, पेपर बोर्ड उद्योग क्रमशः जपला, रोहतास, डालमियानगर में स्थित है। इसके अलावे इस औद्योगिक क्षेत्र में चीनी, रसायन, वनस्पति, चावल उद्योग इत्यादि का भी विकास हुआ है। यहाँ रेल सड़क और जल परिवहन की विशेष सुविधा है। सस्ते श्रमिक भी उपलब्ध है।

7. गया-गुरारू औद्योगिक प्रदेश:-

विस्तार- यह छोटा औद्योगिक प्रदेश है जिसके अन्तर्गत गया और गुरारू आते है।

मुख्य केन्द्र- गया इसका प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है जहाँ जूट और सूती वस्त्रोद्योग हस्तकरघा, कलात्मक मूर्तियाँ बनाने के उद्योगों का विकास हुआ है। गया और बोधगया के धार्मिक स्थल के कारण यहाँ होटल उद्योग भी स्थापित है। इन सब के अलावे इस क्षेत्र में अन्य उद्योगों का विकास भी हुआ है पर वे सीमित एवं औद्योगिक लाभ के दृष्टि से वे गौण है।

निष्कर्ष:

   बिहार का औद्योगिक प्रदेश बिहार के किसी एक ही भाग में न स्थित होकर के वरन पूरे क्षेत्र में विस्तृत है। वैसे तो प्रत्येक का अपना-2 महत्व है पर औद्योगिक लाभ के दृष्टिकोण से कम है जिसका कारण पूँजी का अभाव है अर्थात पूँजी एवं सरका की नीति का सहयोग हे तो बिहार के उद्योगों का अविष्य और भी उज्जवल हो सकता है। वर्तमान मुख्यमंत्री नीतिश की सरकार में यह हमें संभव दिखायी देता है।



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1. बिहार : सामान्य जानकारी

2. बिहार का प्राकृ‌तिक प्रदेश / भौतिक इकाई

3. बिहार की जलवायु

4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव

5. बिहार की मिट्टियाँ

6. बिहार में सूखा

7. बिहार में बाढ़

8. बिहार का औद्योगिक पिछड़ापन

9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण

10. बिहार का औद्योगिक प्रदेश

11. बिहार का कृषि प्रदेश

12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग

13. बिहार में चीनी उद्योग

14. सिन्दरी उर्वरक उद्योग

15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान

16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप

17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान

18. बिहार में नगरीकरण

19. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र

20. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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