8. Industrial Backwardness of Bihar (बिहार का औद्योगिक पिछड़ापन)
8. Industrial Backwardness of Bihar
(बिहार का औद्योगिक पिछड़ापन)
प्रश्न प्रारूप
Q. बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन के कारणों का वर्णन करें।
एकीकृत बिहार प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध था। बिहार विभाजन के बाद खनिज संसाधन, ऊर्जा संसाधन और वनीय संसाधन झारखण्ड राज्य में चले गये। प्राकृतिक संसाधन के रूप में बिहार में समतल भूमि, संदावाहिनी नदियाँ और प्रचुर मानवीय संसाधन बच गये हैं। बिहार विभाजन के बाद सभी बड़े उद्योग झारखण्ड में चले गये। बड़े उद्योग के रूप में मात्र बरौनी औद्योगिक संकुल बचा रह गया है। यह भी रुग्ण अवस्था के दौर से गुजर रहा है।
बिहार की अधिकांश चीनी मीले बंद हो गयी हैं। डालमियानगर और बंजारी का सीमेंट कारखाना बंद हो चुका है। फतुहा में स्कूटर, मोकामा में चमड़ा उद्योग, पूर्णिया में कीटनाशक, गया, भागलपुर, डुमराँव (भोजपुर) का लालटेन और बाल्टी उद्योग, समस्तीपुर का अशोक पेपर मिल्स इत्यादि बन्द हो चुके हैं। इसका तात्पर्य यह है कि भारत के औद्योगिक मानचित्र के ऊपर से बिहार का औद्योगिक मानचित्र हट चुका है। स्वतंत्रता के पश्चात् जो भी बड़े उद्योग लगे वे सभी दक्षिण बिहार में थे। बिहार विभाजन के बाद प्राकृतिक संसाधनों के साथ-2 सभी बड़े उधोग भी झारखण्ड में चले गये।
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि बिहार उद्योग के मामले में काफी पिछड़ चुका है लेकिन, ऐसा नहीं है कि बिहार में उद्योगों की स्थापना नहीं की जा सकती है। बिहार राज्य में उद्योगों की स्थापना हेतु अनुकूल जलवायु उपलब्ध है। सस्ता श्रम, राष्ट्रीय एवं अन्तरर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध है। यहाँ कृषि के विकास की पूरी-2 संभावना है।
बिहार में कृषि आधारित उद्योग, ज्ञान आधारित उद्योग, पर्यटन उद्योग, तकनीकी उद्योग, फूललुज उद्योग (चूड़ी, श्रृंगार, इलेक्ट्रॉनिक्स) इत्यादि का विकास कर पुनः औद्योगिक मानचित्र पर लाया जा सकता है लेकिन कई ऐसे कारण यहाँ मौजूद हैं जिसके कारण बिहार एक औद्योगिक रूप से पिछड़ा हुआ राज्य है। इन कारणों की चर्चा नीचे के शीर्षकों में की जा रही है:-
औधोगिक पिछड़ेपन के कारण
1. लघु उद्योगों की उपेक्षा:-
स्वतंत्रता के बाद एकीकृत बिहार में बड़े-2 उद्योग विकसित किये गये जबकि पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में कृषि और उससे संबंधित उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया। छोटे एवं लघु उद्योगों से प्रत्यक्षत: राज्य की आम जनता लाभान्वित होती है लेकिन बड़े-बड़े उद्योगों से राज्य की कुछ ही जनता लाभान्वित हो पाती है।
बिहार में लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर जोर व दिये जाने के कारण औद्योगिक स्थिति काफी खराब है।
2. आधारभूत भूसंरचनाओं की कमी:-
उद्योगों के विकास हेतु सड़क, पानी, बिजली, इत्यादि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना चाहिए। बिहार में सड़के तो है। लेकिन अच्छी सड़कों का जबड़दस्त अभाव है। पुनः पटना जैसे महानगर में भी लगातार 24 घण्टे बिजली उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे में यहाँ उद्योगों का विकास कैसे हो सकता है। बिहार में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध है लेकिन ये जल अनियंत्रित एवं बाढ़ के रूप में उपलब्ध है जिसका प्रबंधन आसान नहीं है।
3. कुप्रबंधन:-
स्वतंत्रता के बाद बिहार में कई उद्योग स्थापित किये गये थे जिसकी चर्चा ऊपर की गई है लेकिन कुप्रबंधन के कारण सभी उद्योग या तो रुग्ण हो गये भा बन्द पड़े हैं।
4. पूंजी एवं बाजार की कमी:-
बिहार में एक ओर औद्योगिक क्षेत्र में पूंजी निवेश की वातावरण का अभाव है। यहाँ प्रत्यक्ष पूँजी निवेश नहीं हो पा रही है। दूसरी ओर बिहार में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और गरीबी के कारण औद्योगिक वस्तुओं की माँग बहुत कम है अर्थात् बिहार के लोगों की क्रय क्षमता बहुत ही कम है। उपरोक्त कारणों के चलते बिहार में उद्योगों का विकास नहीं हो पा रहा है।
5. औद्योगिक वातावरण का अभाव:-
नक्सलवाद, सामन्तवाद, भ्रष्टाचार, अशिक्षा जैसे सामाजिक कारण बिहार में औद्योगिक विकास हेतु वातावरण नहीं बनने देते है।
6. खनिज संसाधनों का अभाव:-
बिहार में खनिज आधारित उद्योगों के विकास हेतु कच्चे माल का अभाव है। यहाँ पर लौह इस्पात, एल्यूमीनियम उधोग इत्यादि का विकास संभव नहीं है। इसी तरह वनों के अभाव में वनीय कच्चे माल पर आधारित वनीय उद्योगों का विकास संभव नहीं है।
7. पुरानी मशीन एवं तकनीक:-
बिहार का जूट एवं चीनी उद्योग प्रमुख उद्योग रहा है लेकिन इनके मशीन और तकनीक काफी पुराने हो चुके हैं। सरकार के द्वारा तकनीकी उन्मूलन का कोई सकारात्मक प्रयास धरातल पर उतरता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है जिसके कारण पुराने उद्योग भी बंद हो गये हैं।
8. औद्योगिक नीति के अभाव:-
बिहार राज्य में प्रारंभ से ही दूरदर्शी और विकासशील औद्योगिक नीति के अभाव रहा है।
निष्कर्ष:
उपरोक्त बिन्दुओं के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि बिहार में औद्योगिक पिछड़ेपन के कई कारण हैं। अतः सरकारी स्तर पर इस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए कि उपरोक्त समस्याओं पर विचार कर ऐसा औद्योगिक वातावरण बनाया जाना चाहिए कि उद्योगपति और पूँजीपति उद्योग लगाने के लिए स्वतः उन्मुख हो।
Read More:
2. बिहार का प्राकृतिक प्रदेश / भौतिक इकाई
4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव
9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण
12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग
15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान
16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप
17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान