Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

GEOMORPHOLOGY (भू-आकृति विज्ञान)

35. Geological History of Earth (पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास)

35. Geological History of Earth

(पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास)



पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास

      यदि पृथ्वी की विभिन्न परतों, उनमें पायी जाने वाली चट्टानों, जीव-विकास आदि का अध्ययन किया जाय तो यह निष्कर्ष निकलता है कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद विशेष प्रकार के कई युग हुये हैं जिनमें विशेष प्रकार की शैलों का जमाव तथा जीवों का विकास हुआ है। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयास फ्रान्सीसी वैज्ञानिक कास्ते-द-बफन का माना जाता है। बफन ने पृथ्वी के इतिहास को सात विभिन्न युगों में प्रस्तुत किया, परन्तु प्रथम युग आज से कितने वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ, इसके विषय में बफन ने प्रयास नहीं किया। उन्होंने केवल प्रत्येक युग का कार्य-काल ही बताया है।

     वर्तमान समय में पृथ्वी के इतिहास को निम्न रूप में व्यक्त किया जाता है। सर्वप्रथम पृथ्वी के इतिहास को बड़े भागों में विभाजित किया गया है। इस बड़े विभाग को महाकल्प (Era) कहते हैं।

     प्रत्येक महाकल्प को पुनः क्रमिक रूप में व्यवस्थित किया गया है तथा इस प्रकार के भाग को कल्प (Period) कहते हैं।

      प्रत्येक कल्प को पुनः छोटे-छोटे उपविभागों में रखा गया है, जिन्हें युग (Epoch) कहा गया है। प्रत्येक युग का कुल समय भी निर्धारित किया गया है तथा यह भी बताया जाता है कि अमुक युग कब प्रारम्भ हुआ तथा कब तक चलता रहा। इन विभिन्न युगों के जीव तथा वनस्पतियों के विकास पर भी प्रकाश डाला गया है। नीचे की तालिका में पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास स्पष्ट रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।


पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास

(Geological History of Earth)

महाकल्प (Era) कल्प (Period) युग (Epoch) प्रारंभ होने का समय

(मिलियन वर्ष पूर्व)

1. पूर्व-पैल्योजोइक (Pre-Palaeozoic)

या, आद्यकल्प (Azoic)

1.आर्कियन

2.पूर्व-कैम्ब्रियन

3500
2. पैल्योजोइक (Palaeozoic) प्रथम कल्प (Primary) 1. कैम्ब्रियन

2.आर्डोविसियन

3.सिल्यूरियन

4.डिवोनियन

5.कार्बोनिफेरस

6.पर्मियन

600
3. मेसोजोइक (Mesozoic) द्वितीय कल्प (Secondary) 1.ट्रियासिक

2.जुरैसिक

3.क्रीटैसियस

225
4. सेनोजोइक (Cenozoic) तृतीय कल्प (Tertiary) 1.इओसीन

2.ओलिगोसीन

3.मायोसीन

4.प्लायोसीन

70
5. नियोजोइक (Neozoic) चतुर्थ कल्प (Quaternary) 1.प्लीस्टोसीन

2.होलोसीन (आधुनिक युग)

1


1. पूर्व-पैल्योजोइक (Pre-Palaeozoic)

1. आर्कियन- संभवतः इसी कल्प में जीवन की उत्पत्ति महासागरों में हुई थी। इस समय नील- हरित शैवाल, छोटे समुद्री घास आदि का उद्भव महासागरों में हुआ।

2. पूर्व-कैम्ब्रियन- प्री-कैम्ब्रियन चट्टानें धात्विक खनिजों की दृष्टि से धनी हैं। अधिकतर लौह-अयस्क, ताँबा, मैंगनीज, यूरेनियम, जिंक, सोना, चाँदी आदि धात्विक खनिज इन्हीं चट्टानों से प्राप्त किए जाते हैं।



2. पैल्योजोइक (Palaeozoic)

1. कैम्ब्रियन- कैम्ब्रियन युग में सागरों में पादप (Plants) के अलावा लगभग सभी महत्वपूर्ण बिना रीढ़ वाले जन्तुओं (invertebrates) की उत्पत्ति होती है। इस काल में स्थल-खंड पर जीवन का कोई चिह्न नहीं मिला है।   

2. आर्डोविसियन- आर्डोविसियन काल में भी स्थल-खंड पर जीवन के प्रमाण नहीं मिले हैं। जलीय क्षेत्र में प्रथम रीढ़ वाले जंतु (vertebrates) की उपस्थिति दर्ज की गई। पहली रीढ़ वाली मछली की उत्पत्ति इसी काल में मानी जाती है। कैम्ब्रियन काल में बिना रीढ़ वाली मछली की उत्पत्ति हुई थी, जिसे अगनाथा (Agnatha) कहा गया है।

3. सिल्यूरियन- सिल्यूरियन काल में पत्तारहित पौधे के रूप में जीवन के प्रथम चिह्न स्थल-खण्ड पर मिलते हैं। समुद्री क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रवालों (Corals) का विकास हुआ। कैलिडोनियन पर्वतों (स्कैण्डिनेविया एवं स्कॉटलैण्ड के पर्वत) का निर्माण इस काल में हुआ।

4. डिवोनियन- डिवोनियन काल को ‘मछलियों का काल’ के रूप में जाना जाता है। आज उपलब्ध लगभग सभी प्रकार की मछलियों की उत्पत्ति इस काल में हो चुकी थी। स्थलखण्ड पर जड़, तना एवं पत्तीयुक्त पौधों का विकास हुआ। इस काल के अंत में प्रथम उभयचर प्राणी (amphibians) की उत्पत्ति होती है।

5. कार्बोनिफेरस- कार्बोनिफेरस काल में पेंजिया का विखण्डन अंगारा एवं गोंडवाना भूखंड में होता है, जिसका प्रभाव स्थलखण्ड के कई हिस्सों पर पड़ता है। असंख्य वनस्पतियाँ चट्टानों के नीचे दब जाती हैं तथा बाद में कोयले का निर्माण करती हैं। इस काल को ‘कोयला युग’ (coal age) कहा जाता है।

6. पर्मियन- पर्मियन काल में हर्सीनियन पर्वतों (अप्लेशियन पर्वत, USA) का निर्माण होता है तथा कोयले की निर्माण-प्रक्रिया घटती दर से जारी रहती है।



3. मेसोजोइक (Mesozoic)

1. ट्रियासिक- ट्रियासिक काल में डाइनासोर की उत्पत्ति होती है, लेकिन उनकी संख्या सीमित थी।

2. जुरैसिक- जुरैसिक काल में गोंडवाना लैण्ड का विखण्डन कई भागों में होता है। अत्यधिक डाइनासोर की उपस्थिति के कारण इस काल को ‘डाइनासोर युग’ भी कहा जाता है। मेसोजोइक महाकल्प को ‘सरीसृप युग’ (Age) of Reptiles) कहा जाता है। यह महाकल्प पक्षियों की उत्पत्ति का भी काल है।

3. क्रीटैसियस- क्रीटैसियस युग में भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप के ऊपर दरारी उद्भेदन द्वारा बेसाल्टिक लावा प्रवाह से दक्कन लावा पठार का निर्माण होता है। डाइनासोर इस काल में विलुप्त हो जाते हैं।



4. सेनोजोइक (Cenozoic)

1. इओसीन- आधुनिक स्तनधारियों की प्रचुरता रही।

2. ओलिगोसीन- पर्वत निर्माणकारी प्रक्रिया तीव्र रही।

3. मायोसीन- पर्वत निर्माण की क्रिया बड़े पैमाने पर हुई। मानव एवं कपि के पूर्वजों अर्थात ड्रायोपिथिकस एवं शिवापिथिकस का उद्द्विकास हुआ।

4. प्लायोसीन- इस काल में पर्वत प्रक्रिया में कमी आई। आस्ट्रेलोपिथिकस का उद्द्विकास हुआ।



5. नियोजोइक (Neozoic)

1. प्लीस्टोसीन- प्लीस्टोसीन युग को ‘हिम युग’ भी कहा जाता है। इस काल में जलवायु परिवर्तन हुआ तथा बड़े पैमाने पर हिमावरण की घटना घटी। प्राचीन मानव (Primitive Man) की उत्पत्ति इसी काल में हुई।

2. होलोसीन (आधुनिक युग)- 10 हजा वर्ष पूर्व होलोसीन युग की शुरुआत होती है तथा आधुनिक मेधावी मानव (Homosapians) का उदय होता है। वर्तमान काल होमोसेपियन्स के उत्कर्ष का काल है। नियोजोइक महाकल्प को ‘मानव युग’ (Age of Man) कहा जाता है।



Read More:

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home