6. Export Processing Zone (निर्यात संवर्धन क्षेत्र)- EPZ
Export Processing Zone
(निर्यात संवर्धन क्षेत्र-EPZ)
विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात हेतु “निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र” का विकास किया गया है। EPZ की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य देश से निर्यातित वस्तुओं के लिए उपयुक्त वातवरण उत्पन्न करना है ताकि वे अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में अपना स्थान बना सके। EPZ स्थापना की संकल्पना चीन से ली गई है। निर्यात संवर्धन क्षेत्र 1981 ई० में निर्यातों उन्मुख योजना के रूप में शुरू की गई थी। आगे चलकर निर्यातों उन्नमुख इकाई योजना को निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र के रूप में बदला गया और पुनः निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र को आगे चलकर विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में बदलने की योजना है।
EPZs के अन्तर्गत कई विशिष्ट सुविधाएँ और मानदण्डों को अपनाया गया है जैसे:-
(1) EPZ वाले क्षेत्र में सरकार के द्वारा निर्धारित मानदण्ड के अनुरूप ही उत्पादन का कार्य किया जा सकता है।
(2) उत्पादन हेतु कच्चे माल आप देशी एवं विदेशी दोनों स्रोतों से मंगाकर उपयोग कर सकते हैं।
(3) निर्यात के लिए बंदरगाह की सुविधा दी जाती है।
(4) परियोजनाओं के लिए बड़े-2 भूखण्ड सरकार उपलब्ध करवाती है ताकि वैसे स्थानों पर आधारभूत औद्योगिक ढाँचा खड़ा किया जा सके।
(5) EPZs में दक्ष व्यक्ति उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया जाता है।
(6) EPZs में निर्यातों-उन्मुख उत्पादन का कार्य किया जाता है।
निर्यातोंन्मुख उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग से अगस्त 1994 ई० में EPZs और Export Promotion/Processing Industrial Park (EPIP) योजना प्रारंभ की। ऐसी सुविधाओं के विकास हेतु राज्य सरकार को केन्द्र सरकार 75% अनुदान देती है वशर्ते उसका लागत 10 करोड़ रुपया से अधिक न हो।
भारत में अब तक 8 EPZs की स्थापना हो चुकी है। जैसे-
(1) कांडला- गुजरात
(2) सूरत- गुजरात
(3) सान्ताक्रुज- मुम्बई
(4) कोची- केरल
(5) चेन्नई- तमिलनाडु
(6) नोएडा- उत्तर प्रदेश
(7) फाल्टा- पश्चिम बंगाल
(8) विशाखापत्तनम- आन्ध्रप्रदेश
निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र का निर्माण निर्यात प्रोत्साहन हेतु एक प्रभावी घटक के रूप में स्थापित किया गया था। लेकिन निर्यात के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी। भारत का योगदान निर्यात क्षेत्र में लगातार घटता ही जा रहा है। जैसे- भारत सरकार के द्वारा जारी जून 2009 के आँकड़े बताते हैं कि निर्यात में 11% से अधिक की कमी आ चुकी है। EPZ निर्यात के लिए प्रभावी घटक नहीं बन सका। क्योंकि-
(1) EPZs के विविध प्रकार के नियंत्रणों और अनुमतियों के दौर से गुजरना पड़ता है।
(2) EPZs में अभी तक विश्व स्तरीय आधारभूत ढाँचा का विकास नहीं किया जा सका है।
(3) अस्थिर वित्तीय व्यवस्था से भी प्रभावित होते रहे हैं।
उपरोक्त सीमाओं के बावजूद निर्यात को बढ़ावा देने के दिशा में उठाया गया एक सकरात्मक कदम था। आज चीन जैसा साम्यवादी देश EPZ का प्रयोग कर निर्यात को बढ़ावा दे सकता है तो भारत भी ऐसा क्यों नहीं कर सकता है?
नोट: वर्तमान में सभी आठ निर्यात संवर्द्धन/प्रसंस्करण क्षेत्र (ईपीजेड) कांडला तथा सूरत (गुजरात), सांताक्रूज (महाराष्ट्र), कोची (केरल), चेन्नई (तमिलनाडु), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), फाल्टा (पश्चिम बंगाल) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) में स्थित हैं, को विशेष आर्थिक क्षेत्रों में परिवर्तित कर दिया गया है।