9. Eco-Tourism (पारिस्थैतिक पर्यटन)
Eco-Tourism
(पारिस्थैतिक पर्यटन)
यह दो शब्दों के मिलने से बना है। प्रथम- पारिस्थैतिकी और दूसरा- पर्यटन। पारिस्थैतिकी का तात्पर्य उस समस्त भौगोलिक तत्त्व से है जो धरातल पर या उसके चारों ओर जैविक एवं अजैविक घटकों के रूप में मौजूद है। पुनः पर्यटन का तात्पर्य स्वेच्छा से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर घूमना-फिरना है।
सदियों से लोग सांस्कृतिक तत्वों को समझने हेतु पर्यटन का सहारा लेते रहे हैं। लेकिन, हाल के वर्षों में पारिस्थैतिकी के प्रति दिलचस्पी रखने वाले लोग पारिस्थैतिक केन्द्र की ओर आकर्षित होने लगे हैं, जिसे “पारिस्थैतिकी पर्यटन” कहते हैं। भूगोल में पारिस्थैतिकी पर्यटन का विशेष महत्व है क्योंकि एक ओर कई पर्यटक स्थल अत्याधिक पर्यटकों के आगमन से प्रदूषित हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर पारिस्थैतिकी के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए पारिस्थैतिक पर्यटन की आवश्यकता पड़ती है। पारिस्थैतिक पर्यटन के अन्तर्गत निम्नलिखित तत्त्वों पर जोर दिया जाता है:-
(1) जैविक, अजैविक तथा सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण दिया जाता है।
(2) पारिस्थैतिकी पर्यटन (Eco-Tourism) स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करने में सहायक होती है।
(3) पारिस्थैतिक पर्यटन सतत् विकास की अवधारणा के बढ़ावा देता है।
(4) पर्यटन में स्थानीय लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
(5) पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव की प्राथमिकता दी जाती है।
(6) इस प्रकार के पर्यटन में भौतिक वस्तुओं के कम से कम प्रयोग को बढ़ावा दिया जाता है।
(7) वनस्पति, जीव-जन्तु एवं विभिन्न प्रकार के भौगोलिक स्थलाकृति पारिस्थैतिक पर्यटन के केन्द्र बिन्दु होता है।
कुछ देशों की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में पारिस्थैतिक पर्यटन विशेष योगदान दिया है। जैसे- कोस्टारिका, इक्वेडोर, मेडागास्कर तथा नेपाल इत्यादि। “पारिस्थैतिक पर्यटन संकल्पना” का उदय 1980 के दशक से माना जाता है। भारत में इस प्रकार के पर्यटन का तेजी से विकास हो रहा है। UNO ने वर्ष 2002 को पारिस्थैतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए “पारिस्थैतिकी पर्यटन अन्तरर्राष्ट्रीय वर्ष” की घोषणा की थी।
भारत में पारिस्थैतिकी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई स्थानीय पहल किये जा रहे हैं:-
(1) जम्मू-कश्मीर सरकार ने लद्दाख के कई गाँवों में पर्यटकों के लिए स्थानीय घरों में रहने की व्यवस्था की है। इससे जो आमदनी होती है, उससे ग्रामीण विकस और पर्यावरण के संरक्षण पर खर्च की जाती है।
(2) नागालैण्ड में कोहिमा के पास एक स्थानीय संस्था के द्वारा पारिस्थैतिक पर्यटन के विकास हेतु पर्यटकों को प्रशिक्षण देती है।
(3) केरल के पेरियार बाघ संरक्षित क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारियों ने “इको- टूरिज्म योजना” का निर्माण कर लागू की है ताकि लोग नजदीक से बाघों की मुआयना करें तथा पर्यावरण को भी हानि नहीं पहुंचे।
(4) सिक्कीम खनचेनजोंगा जीव मण्डल संरक्षित क्षेत्र में लेवचा समुदाय के लोग “पारिस्थैतिकी पर्यटन समिति” चला रहे हैं जो लोगों के प्राकृतिक वातावरण में प्रकृति के साथ रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
(5) पश्चिम बंगाल में सुन्दरवन के डेल्टा पर अवस्थित कुछ गाँव के लोगों में ने “वन्य जीव संरक्षण समाज” की स्थापना की है। यह समाज पारिस्थैतिक पर्यटन की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है।
(6) सरकार विज्ञापनों के मध्यम से पारिस्थैतिक पर्यटन के संबंध में विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ विज्ञापनों से देती है।
(7) राष्ट्रीय जैविक उद्यान, जैवमंडल, अभ्यारण, सफारी इत्यादि निर्माण का एक ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर पारिस्थैतिकी के इन घटकों को बचाने के लिए भी कई प्रयास किये जा रहे हैं। जैसे- पर्यटक स्थलों पर प्लास्टिक वस्तुओं के प्रयोग पर रोक, बैटरी चालित वाहनों का प्रयोग, कचड़ा प्रबंधन केन्द्रों की स्थापना की जा रही है।
पारिस्थैतिक पर्यटन का प्रभाव
पारिस्थैतिक पर्यटन के कारण दो प्रकार के प्रभाव देखे जा सकते हैं।
(A) सकारात्मक प्रभाव:-
(1) पारिस्थैतिक के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है।
(2) पारिस्थैतिक तत्वों का संरक्षण एवं उनका विकास हो रहा है।
(B) नकारात्मक प्रभाव:-
(1) ऐसे पर्यटन से पारिस्थैतिक तत्वों का व्यापारीकरण होने लगा है जिसके कारण स्थानीय लोगों के विस्थापन और मौलिक अधिकारों के हनन को बढ़ावा मिला है।
(2) पारिस्थैतिक पर्यटन नीतियों का निर्धारण तो ठीक से करती हैं लेकिन, उसे धरातल पर आदर्श रूप में लागू नहीं कर पाती है जिसके कारण पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
(3) पारिस्थैतिक केन्द्रों को अत्याधिक पर्यटकों के आगमन से विभिन्न प्रकार के प्रदुषण की समस्या भी जन्म ले रही है।
(4) पारिस्थैतिक पर्यटन का बूरा प्रभाव जीव-जगत पर पड़ रहा है। जैसे- पशुओं को देखने के लिए, अनका चित्र उतारने के लिए उनसे छेड़-छाड़ करते हैं।
(5) पारिस्थैतिक पर्यटन के विकास से अछूते एवं अप्रयुक्त जंगली, पहाड़ी भूमि का अतिक्रमण होने लगा है।
(6) इस तरह के पर्यटन से यातायात साधनों बेहताशा वृद्धि होती है जिसका स्पष्ट प्रभाव जैविक विविधता पर पड़ती है।
(7) जंगली जानवरों के व्यापार तथा तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
(8) स्थानीय संस्कृति खतरे में पड़ जाती है।
(9) स्थानीय लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(10) पर्यटन स्थलों का सही तरीके से प्रबंधन न होने पर कई प्रकार के सामजिक और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न होती है।
निष्कर्ष:
इस तरह ऊपर के तथ्यों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि पारिस्थैतिक पर्यटन का उद्देश्य भले ही सकारात्मक है लेकिन, इसके कई नकारात्मक प्रभाव पड़े है। अत: इन नकारात्मक समस्याओं से निपटने हेतु ऐसी योजना और रणनीति की आवश्यकता है जो सतत् विकास (पर्यावरण को बिना हानि पहुँचाये) की अवधारणा को आदर्श रूप में लागू कर सके। यह उद्देश्य तभी हासिल हो सकेगा जब पारिस्थैतिक पर्यटन में स्थानीय सहभागिता को बढ़ाया जाएगा। प्रशिक्षित गाइड को उतारा जाएगा एवं पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों को भली- भाँति लागू किया जायेगा।