1. Concept of Rural and Urban Settlement / ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती की संकल्पना
1. Concept of Rural and Urban Settlement
(ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती की संकल्पना or ग्रामीण एवं नगरीय भूगोल की संकल्पना)
ग्रामीण एवं नगरीय भूगोल बस्ती भूगोल की एक महत्वपूर्ण संकल्पना है। बस्ती भूगोल के अन्तर्गत मानवीय अधिवास, प्रतिरूप, उनके प्रकार, उनका वर्गीकरण, समस्याएँ, अंतर प्रादेशिक और अन्तः प्रादेशिक तत्वों, बस्ती से जुड़े पर्यावणीय मुद्दों एवं उससे संबंधित समस्त पक्षों का अध्ययन किया जाता है।
बस्ती का तात्पर्य वैसे भौगोलिक क्षेत्र से हैं जहाँ पर मानव सामूहिक रूप से अधिवास करता है। रोमन भूगोलवेता स्ट्रैबो ने सामूहिक अधिवास वाले स्थानों के लिए ‘Okument’ शब्द का प्रयोग किया। जबकि जर्मन भूगोलवेता रेटजेल ने ‘Ekumen’ शब्द पर प्रयोग किया। हालांकि भूगोल में बस्ती भूगोल की शुरुआत करने का श्रेय जर्मन भूगोलवेता कार्ल रीटर को जाता है क्योंकि इन्होंनें सबसे पहले बस्ती भूगोल शब्द का प्रयोग किया था।
बस्ती के प्रकार
कार्यों के आधार पर बस्ती दो प्रकार के होते हैं।:-
(1) ग्रामीण बस्ती
(2) नगरीय बस्ती
अगर इन दोनों बस्तियों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाय तो उससे इनकी संकल्पना स्वत: स्पष्ट हो जाती है। जैसे:-
कार्यों के आधार पर
ग्रामीण बस्ती का तात्पर्य किसी स्थान पर निवास करने वाला उस सामूहिक अधिवास से है जहाँ की दो-तिहाई जनसंख्या प्राथमिक आर्थिक क्रियाकलाप में संलग्न रहती है। यहाँ पर प्राथमिक आर्थिक क्रियाकलाप का तात्पर्य कृषि, पशुपालन, मत्स्यन, शिकार, खाद्य संग्रहण, खनन इत्यादि से है।
जबकि नगरीय बस्ती का तात्पर्य उस सामूहिक अधिवासीय स्थल से है जहाँ की दो-तिहाई जनसंख्या द्वितीयक एवं तृतीयक कार्यों में संलग्न रहती है। यहाँ पर द्वितीय एवं तृतीय कार्यों का तात्पर्य उद्योग, निर्माण, विनिर्माण, परिवहन, वाणिज्य व व्यापार एवं सेवा क्षेत्र से है।
➡ कार्यों के आधार पर ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती की संकल्पना को ही भूगोल में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है।
➡ ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती की संकल्पना को निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर और स्पष्ट किया जा सकता है :-
जनसंख्या के आकार के आधार पर
अगर जनसंख्या के आधार पर इनका विश्लेषण किया जाय तो स्पष्ट होता है कि ग्रामीण बस्तियों की जनसंख्या का आकार छोटा होता है जबकि नगरीय बस्तियों की जनसंख्या का आकार बड़ा होता है। अलग-अलग देशों में नगरीय बस्ती होने के लिए अलग आकार सुनिश्चित किये गये है। जैसे- भारत में 5000 जनसंख्या अधिवासीय क्षेत्र को नगर, न्यूजीलैण्ड और स्वीडेन में 200, अमेरिका में 500 सामूहिक अधिवासीय क्षेत्र को नगर के रूप में मान्यता दी जाती है। दूसरी ओर भारत में कई ऐसे गाँव हैं जिनकी जनसंख्या 10 हजार से भी अधिक है फिर भी उन्हें नगर के श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
जनसंख्या के घनत्व के आधार पर
जनसंख्या घनत्व को आधार मानते हुए भी ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती में अन्तर स्थापित किया जाता है। जैसे- जिस स्थान पर 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या अधिवास करती है, वैसे स्थान को नगरीय बस्ती और उससे कम जनघनत्व वाले क्षेत्र को ग्रामीण बस्ती के श्रेणी में रखा जाता है।
सामाजिक जीवन / बंधन
ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक जीवन काफी सुदृढ़ होता है। परिवार, विवाह, नातेदारी जैसे सामाजिक संस्थाएँ जीवंत होती है। लेकिन नगरीय बस्तियों में सामाजिक बंधन का तत्व कमजोर होता है। यहाँ पर प्राथमिक सामाजिक संस्थाओं का कार्य स्कूल, कॉलेज, हॉस्पीटल, क्लब इत्यादि के द्वारा किया जाता है।
आर्थिक गतिविधियों का विशिष्टीकरण
ग्रामीण बस्ती में आर्थिक गतिविधियों का विशिष्टीकरण नहीं होता है जबकि नगरीय बस्तियों के आर्थिक गतिविधियों का न केवल विशिष्टीकरण होता है बल्कि केन्द्रीयकरण भी होता है।
आधारभूत संरचनाओं का स्तर
ग्रामीण बस्तियों में आधारभूत संरचनाओं का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। अगर होता भी है तो उनका स्तर निम्न होता है। जबकि नगरीय बस्तियों में आधारभूत संरचनाओं के विकास का स्तर उच्च होता है।
नियोजित एवं अनियोजित बस्ती
ग्रामीण बस्तियाँ प्राय: जैविक एवं अनियोजित तरीके से विकसित होती है। जबकि नगरीय बस्तियाँ नियोजित एवं अनियोजित देनों प्रकार के हो सकती है।
निष्कर्ष
इस तरह उपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती दो अलग-2 संकल्पनाएँ हैं। इन दोनों अधिवासीय क्षेत्र निर्धारण करने का सबसे उचित तरीक कार्यिक आधार को माना जाता है।
Read More:-
- 1. Concept of Rural and Urban Settlement / ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती की संकल्पना
- 2. Pattern of rural settlements/ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप
- 3. ग्रामीण बस्ती के प्रकार / Type of Rural Settlement
- 4. Environmental Issues in Rural Settlements / ग्रामीण बस्तियों में पर्यावरणीय मुद्दे
- 5. Hierarchy of Urban Settlements / नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम
- 6. Internal Structure of Indian Cities / भारतीय नगरों की आंतरिक संरचना
- 7. Internal Structure of Cities / नगरों की आन्तरिक संरचना
- 8. Law of Primate City / प्रमुख नगर के नियम या प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना
- 9. नगरों का कार्यात्मक वर्गीकरण / Functional Classification of Cities
- 10. नगरीय वर्गीकरण
- 11. नगरीय प्रभाव क्षेत्र / Urban Influence Area
- 12. ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र / नगरीय सीमान्त क्षेत्र / ग्रामीण-नगरीय सांतत्य / Rural-Urban Fringe
- 13. ग्रामीण-नगरीय उपान्त की विशेषता तथा समस्याएँ
- 14. उपनगर या अनुषंगीनगर की सकल्पना
- 15. Trend and Problems of Urbanization / नगरीकरण की प्रवृति एवं समस्याएँ
- 16. Urban Problem /नगरीय समस्या
- 17. Problems of Mumbai Metropolis / मुम्बई महानगर की समस्याएँ
- 18. Town Planning / नगर नियोजन
- 19. बहुस्तरीय नियोजन