Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

GEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)

5. Agro-Climatic Regions of India (भारत का कृषि जलवायु प्रदेश)

5. Agro-Climatic Regions of India

(भारत का कृषि जलवायु प्रदेश)



प्रश्न प्रारूप

Q. भारत में कृषि जलवायु प्रदेश के भौगोलिक आधार की विवेचना कीजिए।

Q. भारत के कृषि जलवायु प्रदेश के निर्धारण के आधार, वर्गीकरण तथा विशेषता बतलाइए।

    कृषि जलवायु प्रदेश के वर्गीकरण का कार्य भारतीय कृषि के नियोजन और विकास की दिशा में किया गया एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह वर्ष योजना आयोग के आवश्यकता पर आधारित है। योजना आयोग के अनुशंसा पर 1983 ई० में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि जलवायु प्रदेश का निर्धारण किया था। कृषि जलवायु प्रदेश एक ऐसा भौगोलिक क्षेत्र है जहाँ जलवायु के अनुरूप कृषि कार्य किया जाता है। भारतीय कृषि जलवायु प्रदेश का निर्धारण पाँच कारकों के आधार पर किया गया है। जैसे-

(1) कृषि उत्पादों की माँग एवं आपूर्ति,

(2) कृष्‌कों की वास्तविक आय,

(3) कृषि प्रदेश में भूमिहीन कृषकों का अनुपात,

(4) कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रबंधन का स्तर.

(5) सतत् विकास की अवधारणा।

       भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का यह कार्य भारत के 456 जिलों के अध्ययन पर आधारित था। ऊपर बताये गये कारकों का पुनः सह संबंध जलवायु से स्थापित कर कृषि जलवायु प्रदेश के निर्धारण किया गया। ICAR ने भारत के 15 कृषि जलवायु प्रदेशों में बांटा है। :-

(1) पश्चिम हिमालय क्षेत्र,

(2) पूर्वी हिमालय क्षेत्र,

(3) निचली गंगा का मैदान,

(4) मध्यवर्ती गंगा का मैदान,

(5) ऊपरी गंगा का मैदान,

(6) गंगा का तराई क्षेत्र,

(7) पूर्वी पठार और पहाड़ी क्षेत्र,

(8) मध्य पठार और पहाड़ी क्षेत्र,

(9) पश्चिमी पठार और पहाड़ी क्षेत्र,

(10) द० पठार और पहाड़ी क्षेत्र,

(11) पूर्वी तटीय मैदान और पहाड़ी क्षेत्र,

(12) प० तटीय मैदान और प० घाट,

(13) गुजरात का मैदान और पहाड़ी क्षेत्र,

(14) पश्चिमी शुष्क क्षेत्र,

(15) द्वीपीय क्षेत्र।

      ICAR द्वारा सभी प्रदेशों में उत्पन्न होने वाले सभी फसलों का तालिका बनाया गया। उसके बाद उत्पादन और उत्पादकता का विश्लेषण किया। विश्लेषण के क्रम में ICAR ने अनुभव किया कि किसान जलवायु और भूमि की दक्षता के अनुरूप फसलों का उत्पादन नहीं करते है। जहाँ की पारिस्थैतिकी चावल के लिए उपयुक्त नहीं है वहाँ भी चावल की खेती की जाती है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कृषि जलवायु प्रादेशीकरण की योजना प्रस्तुत की गई। प्रत्येक कृषि जलवायु प्रदेश की विशेषता निम्न है:- 

(1) पश्चिम हिमालय क्षेत्र:-

    यहाँ की जलवायु उपोष्ण तथा शीतोष्ण प्रकार की है। यहाँ बगानी फसलों की प्रधानता दी गई है। लेकिन, अन्तर पर्वतीय मैदानी भाग में चावल, गेहूँ, मक्का और दलहन को प्रमुख फसल माना गया है। लद्दाख के पहाड़ पर मक्का तथा सोयाबीन जैसे फसलों की अनुसंशा की गई है।

(2) पूर्वी हिमालय क्षेत्र:-

     यहाँ की जलवायु विषुवतीय एवं मानसूनी प्रकार की है जहाँ सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहाँ पर झूम कृषि की जा सकती है। जिन क्षेत्रों में सिंचित भूमि उपलब्ध है, वहाँ पर चावल, गेहूं और सरसों की खेती अनुशंसा की गई है। पुनः वर्षा आधारित सिंचाई वाले क्षेत्रों में चावल और जूट प्रमुख फसल माना गया है।

(3) निम्न गंगा मैदान:-

      यह मूलतः प० बंगाल और पूर्वी बिहार में फैला हुआ है। यहाँ चावल तथा जूट की खेती की अनुसंशा की गई है। पुनः प० बंगाल के उत्तरी भाग में चाय की खेती और दक्षिण में स्थित मिदनापुर में गन्ना को एक महत्त्वपूर्ण फसल माना गया है।

(4) मध्यवर्ती गंगा के मैदान:-

     इसका विस्तार इलाहाबाद से लेकर राजमहल की पहाड़ी तक हुआ है। यहाँ चावल की खेती सघन निर्वाह कृषि के रूप में किया जाता है। हाल के वर्षों में सिंचाई की मदद से गेहूं की कृषि प्रारंभ की गई है। ICAR ने चावल, गेहूँ, दलहन को जलवायु के अनुकूल माना है।

(5) ऊपरी गंगा के मैदान:-

     इसका विस्तार इलाहाबाद के पश्चिम में हुआ है। यहाँ सिंचित भूमि पर गेहूँ और असिंचित भूमि पर मक्का तथा दिलहन की खेती की जाती है। लेकिन नवीन योजना में निम्नलिखित फसल समूह को विकसित करने पर जोर दिया है-

(i) चावल-गेहूँ-मूंग

(iⅰ) मक्का-दलहन-प्याज

(6) गंगा के तहाई प्रदेश:-

     यहाँ गेहूं तथा गन्ना प्रमुख फसल है। लेकिन, जलवायु प्रदेश योजना में उपरोक्त फसल के अलावे आलू और चावल की अनुसंशा की गई है।

(7) पूर्वी पठार तथा पहाड़ी क्षेत्र:-

    यहाँ का कृषक मुख्यतः मडुवा, दलहन और चावल उत्पन्न करते रहे हैं। यह क्षेत्र छोटानागपुर के पठार पर स्थित है। ICAR ने यहाँ उपरोक्त फसल के अलावे गेहूँ चावल तथा चना की खेती करने की अनुसंशा की है।

(8) मध्यवर्ती पठारी क्षेत्र:-

    यह मध्य भारत में अवस्थित है। यहाँ सिंचाई साधनों का सीमित विकास हुआ है जिसके चलते मृदा में नमी कम पायी जाती है। यहाँ पर मोटे अनाजों की खेती की जाती है।

     यही परिस्थितिक (9) पश्चिमी पठार और पहाड़ी क्षेत्र में पुन: (10) दक्षिण पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्र में मिलती है। इसलिए इन दोनों में मृदा की नमी पर आधारित फसलों की अनुसंशा की गई है। मध्यवर्ती पठारी क्षेत्र में चावल, मूंगफली और गेहूँ की खेती के लिए अनुकूल माना गया है। असिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन ज्वार, अरहर और बाजरा की खेती को अनुकूल माना गया है। इसी प्रकर की अनुशंसा प‌श्चिमी और दक्षिण के पठारी क्षेत्रों के लिए किया गया।

(11) पश्चिमी तटीय मैदान और पहाड़ी क्षेत्र:-

      इस क्षेत्र को सिंचित एवं असिंचित क्षेत्र में बाँटा जा सकता है। सिंचित क्षेत्र में चावल, अरहर, दलहन, खासकर के मूंग को प्रमुख फसल माना गया है। जबकि असिंचित क्षेत्र में मूंगफली, सोरघम (ज्वार) और अरहर को प्रमुख फसल माना गया है। पुनः केरल के लैटेराइट वाला पठार पर चावल, टोपाइका और नारियल की खेती की अनुसंशा की गई।

(12) पूर्वी तटीय मैदान और पहाड़ी क्षेत्र:-

      इसमें पूर्वी घाट, कोरोमंडल तट और उत्तरी सरकार तट को शामिल करते हैं। यहाँ ज्वार, बाजरा की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। यहाँ सिंचित क्षेत्रों में चावल और गेहूँ जबकि असिंचित क्षेत्रों में ज्वार, बाजरा, दलहन एवं तेलहन की अनुशंसा की गयी है।

(13) गुजरात का मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्र:-

        गुजरात में सूरत जिला को छोड़कर सिंचाई साधनों का अभाव है, लेकिन संभावित सिंचित क्षेत्र अधिक है। वर्तमान समय में असिंचित क्षेत्र में मूँगफली, ज्वार, बाजरा, अरहर और मूंग की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इस क्षेत्रों में अरहर, मूंगफली और गेहूँ अथवा मूँगफली- अरहर- गेहूँ या फिर चावल- सरसों- मूँग फसल समूह की चर्चा की गयी है।

(14) प० का शुष्क क्षेत्र:-

     यह पश्चिमी राजस्थान और उसके निकटवर्ती क्षेत्र में विस्तृत है। ज्वार, बाजरा, दलहन और तेलहन यहाँ की प्रमुख फसल है। यहाँ पर इन्हीं फसलों को मान्यता दिया गया है।

(15) द्वीपीय क्षेत्र:-

      अंडमान-निकोबार पर चावल, नारियल और बगानी कृषि की अनुशंसा की गयी है जबकि लक्षद्वीप पर नारियल और चावल को प्रमुख फसल माना गया है।

Agro-Climatic Regions of India

निष्कर्ष:

     इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि ICAR ने कृषि-जलवायु प्रदेश का निर्धारण कर एक सराहनीय कार्य किया है। इस योजना के आधार पर कृषक फसलों का चुनाव, जलवायु के अनुरूप कर सकता है। इससे भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था जहाँ एक ओ सुदृढ़ होगी वहीं दूसरी ओ किसान प्रतिकूल जलवायु से भी लड़ सकेंगे।

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home