Unique Geography Notes हिंदी में

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बिहार का भूगोल

12. The Agro based industries in Bihar (बिहार में कृषि आधारित उद्योग)

12. The Agro based industries in Bihar

(बिहार में कृषि आधारित उद्योग)



प्रश्न प्रारूप

Q. कृषि आधारित उद्योग तथा बिहार में उसका महत्त्व की चर्चा करें।

     बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। कृषि का तात्पर्य विभिन्न प्रकार फसल, पशुपालन और मत्स्यन से है। यहाँ कृषि पर आधारित कई उद्योगों का विकास किया गया है। जैसे-

1. चावल उद्योग:-

     बिहार एक प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है। चावल प्राप्त करने के लिए धान को कूटकर तथा भूसा से अलग किया जाता है। सामान्यत‌या यह कार्य ग्रामीण इलाकों में घर-घर होता रहता है। लेकिन विद्युत चालित मीलों ने इसे औद्योगिक रूप दे दिया है। उत्तरी बिहार में इन मीलों की संख्या अधिक है क्योंकि गंगा के मैदानी भाग में धान की अच्छी उपज होती है। इस‌के अतिरिक्त बिहार के सभी जिलों में काफी संख्या में चावल मीले स्थापित की गई हैं।

2. चीनी उद्योग:-

       चीनी उद्योग बिहार का सबसे पुराना उद्योग है। उत्तर एवं मध्य बिहार में गन्ना उपजाने योग्य उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु है। गन्ना एक ह्रासमान उद्योग है। इ‌सीलिए चीनी उद्योग की अधिकतर मीले उत्पादन के क्षेत्रों में स्थापित किये गये हैं।

    बिहार में चीनी उद्योग के प्रमुख केन्द्र मोतीहारी, सुगौली, मझौलिया, चनपटिया, नरकटियागंज, मढ़ौरा, पंचरुखी, सासामुसा, गोपालगंज, हथुआ, मोतीपुर, डालमियानगर, सारण, समस्तीपुर, चम्पारण, दरभंगा इत्यादि हैं। बिहार में कुल चीनी मीलें 28 है लेकिन इनमें अधिकांशतः जर्जर एवं बीमार हो चुकी हैं तथा कुछ बंद भी हो गयी हैं। वर्तमान में बिहार में कुल चीनी मिलों की संख्या 11 है।

3. सूतीवस्त्र उद्योग:-

      बिहार में सूतीवस्त्र उद्योग गया, फुलवारी शरीफ में केन्द्रित हैं। इसकी अन्य छोटी-2 मीलों मुजफ्फरपुर, मुंगेर, भागलपुर, किशनगंज, बिहारशरीफ तथा मधुबनी में है। रेशमी वस्त्र उद्योग का विकास भागलपुर में हुआ है। ओबरा (औरंगाबाद) में बने दरी और कालीनों का विदेशों में निर्यात किया जाता है।

4. जुट उद्योग:-

     पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, किशनगंज और दरभंगा में 8.3 लाख टन से अधिक जूट का उत्पादन होता है। यहाँ इस उद्योग के लिए कच्चा माल तथा स्थानीय रूप से श्रमिक उपलब्ध है। कटिहार जूट उद्योग का प्रमुख केन्द्र है। इसके अतिरिक्त समस्तीपुर, चम्पारण, दरभंगा और सहरसा में जूट उद्योगों का विकास हुआ है।

5. तंबाकू उद्योग:-

     तम्बाकू उत्पादन में पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा और मुंगेर का स्थान आता है। मुंगेर में एक सिगरेट का कारखाना, व्यापित है। सिगरेट के अतिरिक्त बीड़ी उद्योग का भी विकास राज्य के विभिन्न जिलों में हुआ है। बीड़ी निर्माण में मुंगेर, पटना तथा गया के प्रमुख स्थान हैं। इसके अतिरिक्त उत्तरी बिहार में भी बीड़ी उद्योग का विकास हुआ है।

6. रबड़ उद्योग:-

      बिहार में आरा से 3 किमी० दूर जमीरा में और पटना, गया तथा मुजफ्फरपुर में कुछ रबड़ की कारखाने स्थापित हैं। यहाँ से छोटे पैमाने पर साइकिल और रिक्शा के टायरों का उत्पादन किया जाता है। इनके अतिरिक्त अन्य फसल आधारित उद्योगों में आटा मील, तेलधानी, हथकरघा, गुड़, खांडसारी, बेकरी इत्यादि आते हैं।

Agro based industries in Bihar

बिहार में पशुपालन

     बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य की अर्थव्यवस्था में पशुधन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बिहार की पशुओं में मानव, गाय, बैल, भैंस, घोड़ा, गधा, सूअर, भेड़, बकरी और कुक्कुट प्रमुख है। इन पशुओं पर आधारित यहाँ कई उद्योगों का विकास हुआ है। जैसे-

(i) शिक्षण संस्थान उद्योग

(ii) डेयरी उद्योग,

(iii) माँस उद्योग,

(iv) चमड़ा उद्योग,

(v) परिवहन उद्योग इत्यादि।

बिहार मत्स्यन पालन

      बिहार में आन्तरिक जलस्रोतों में मत्स्यन पालन का कार्य होता है। यहाँ गंगा तथा उसकी सहायक नदियों से मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। इसके अलावा छोटे-2 नदियों, तालाबों, तालों, पोखरो आदि में भी मत्स्यपालन होता है। बिहार सरकार 1975 ई० से मछलियों के अण्डों का उत्पादन तथा मत्स्यपालन के वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर मत्स्यपालन को प्रोत्साहित कर रही है। वर्तमान समय में भी बिहार सरकार मत्स्य पालन के लिए ऋण उपलब्ध करा रही है। मछुआरों को प्रशिक्षित कर रही है।

     बिहार की प्रमुख मछलियों में मांगुर, रोहू, कतला एवं भाखुर है। इसके साथ ही झींगा मछली, बचवा, पर्च, लोच, पयास, बुलेटस, गरई आदि मछलियों की माँग देश-विदेश में है। इसलिए आज निर्धन वर्ग ही नहीं बल्कि सम्पन्न वर्ग ने भी मतस्यपालन को उद्योग के रूप में अपनाया है।

बिहार में कृषि आधारित उद्योग का महत्व

        बिहार जैसे पिछड़े राज्य में कृषि आधारित उद्योगों का काफी महत्व है। यहाँ की अर्थव्यवस्था में इसका काफी योगदान होता है। उपर्युक्त उद्योगों में कई बेरोजगारों को रोजगार मिलती हैं। इनसे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होती है। इन उद्योगों के उत्पादों से यहाँ के कई स्थानीय माँगों की पूर्ति होती है। जैसे- चावल, आटा, दाल, तेल, दुध, माँस, मछली, वस्त्र, बीड़ी, गुड़, चीनी इत्यादि।

निष्कर्ष:

     बिहार में कृषि आधारित उद्योगों के विकास भी अपार संभावनाएँ हैं। लेकिन यहाँ इनका विकास धीमी गति से हो रही है। इन उद्योगों के विकास में यहाँ कई बाधाएँ हैं। जैसे- पूँजी का अभाव, विद्युत का अभाव, अपराधिक घटनाएँ, रंगदारी, राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार इत्यादि। आवश्यता इस बात की है कि इन बाधाओं को दूर कर बिहार सरका को कृषि आधारित उद्योग के विकास प ध्यान देना चाहिए।


Read More:

1. बिहार : सामान्य जानकारी

2. बिहार का प्राकृ‌तिक प्रदेश / भौतिक इकाई

3. बिहार की जलवायु

4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव

5. बिहार की मिट्टियाँ

6. बिहार में सूखा

7. बिहार में बाढ़

8. बिहार का औद्योगिक पिछड़ापन

9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण

10. बिहार का औद्योगिक प्रदेश

11. बिहार का कृषि प्रदेश

12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग

13. बिहार में चीनी उद्योग

14. सिन्दरी उर्वरक उद्योग

15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान

16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप

17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान

18. बिहार में नगरीकरण

19. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र

20. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर


I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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