12. Zenithal Projection (खमध्य प्रक्षेप)
12. Zenithal Projection (खमध्य प्रक्षेप)
Zenithal Projection (खमध्य प्रक्षेप)⇒
⇒ Zenithal प्रक्षेप में ग्लोब को किसी एक बिन्दु पर समतल कागज स्पर्श करते हुए कल्पना करके भूग्रिड प्रक्षेपित किया जाता है।
⇒ समतल कागज ग्लोब को जिस बिन्दु पर स्पर्श करता है उस बिन्दु को प्रक्षेप केन्द्र (Projertion Point) कहते हैं।
⇒ ग्लोब में जिस बिन्दु पर प्रकाश स्थित होता है, उस बिन्दु को नेत्र स्थान या उत्पत्ति बिन्दु कहते हैं।
⇒ Zenithal प्रक्षेप में सभी अक्षांश रेखाएँ संकेन्द्रीय होती है तथा सभी देशान्तर रेखाएँ केन्द्र से निकलने वाली एक सरल रेखा के समान होती है।
⇒ Zenithal प्रक्षेप पर पृथ्वी के केवल आधे भाग को प्रदर्शित किया जा सकता है।
⇒ नेत्र की स्थिति के आधार पर और प्रक्षेपण तल या समतल कागज के स्थिति के आधार पर इस प्रक्षेप को दो भागों में बाँटते हैं।
(1) नेत्र की स्थिति या प्रकाश स्रोत की स्थिति के आधार पर
नेत्र की स्थिति के आधार पर पुन: इस प्रक्षेप को तीन भागों में बाँटते हैं।
(i) Gnomonic Porojection (केन्द्रक या नोमॉनिक प्रक्षेप)
⇒ इसमें प्रकाश का स्रोत ग्लोब के केन्द्र में होता है।
⇒ 60º-90° अक्षांश के बीच के क्षेत्र को प्रदर्शित करने के लिए उपयोगी है।
⇒ अर्थात ध्रुवीय क्षेत्रों जैसे आर्कटिक और अण्टार्कटिका का प्रदर्शन के लिए उपयोगी है।
(ii) Stereographic Porojection (त्रिविम प्रक्षेप)
⇒ Stereographic प्रक्षेप में प्रकाश का स्रोत ग्लोब के परिधि पर स्थित माना जाता है।
⇒ यह एक ऐसा प्रक्षेप है जिनमें एक ही गोलार्द्ध के ध्रुव एवं विषुवत रेखा दोनों को दिखाया जाता है।
⇒ चूँकि इसमें एक ही गोलार्द्ध के ध्रुव एवं विषुवत रेखा का प्रदर्शन साथ-2 होता है। इसलिए इस प्रक्षेप को त्रिविम प्रक्षेप कहते हैं।
⇒ त्रिविम प्रक्षेप किसी भी गोलार्द्ध के फसलों के उत्पादन को प्रदर्शित करने के लिए उपयोगी मानी जाती है।
(iii) Orthographic Porojection (लम्बकोणीय प्रक्षेप)
⇒ लम्बकोणीय प्रक्षेप में प्रकाश का स्रोत अनन्त पर होता है। यह प्रक्षेप गोलीय मानचित्र के लिए तथा आकाश में तारों की स्थिति के प्रदर्शन हेतु उपयुक्त माना जाता है।
(2) प्रक्षेपण तल के स्थिति के आधार पर nittual Projection)
प्रक्षेपण तल के स्थिति के आधार पर Zenithal Projection तीन प्रकार के होते हैं-
(i) Polar Zenithal Projection (ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप)
⇒ Polar Zenithal Projection में समतल कागज ध्रुव को स्पर्श करते हुए रखा जाता है।
⇒ इस प्रक्षेप में ध्रुव को केन्द्र मानकर समान दूरी के अन्तर पर संकेन्द्रीय अक्षांश वृत खीचे जाते हैं।
⇒ यह प्रक्षेप आर्कटिक क्षेत्रों एवं ध्रुवीय क्षेत्रों में नौसंचालन के लिए उपयोगी माना जाता है।
⇒ इसमें ध्रुव को एक बिन्दु के रूप में प्रकट किया जाता है।
⇒ प्रत्येक देशान्तर पर मापनी शुद्ध होता है।
⇒ ध्रुव से विषुवत रेखा की ओर जाने पर अक्षांश पर मापनी अशुद्ध होने लगती है।
⇒ Polar Zenithal Projection समदूरस्थ का गुण होता है।
(ii) Equatorial Zenithal Projection (विषुवतीय खमध्य प्रक्षेप)
⇒ इसमें प्रक्षेपण तल को विषुवत रेखा से स्पर्श करते हुए खींचा जाता है।
⇒ भूमध्यरेखीय क्षेत्र के वायुमार्ग और नौसंचालन से संबंधित मानचित्रों के लिए उपयोग है।
(iii) Oblique Zenithal Projection (तिर्यक खमध्य प्रक्षेप)
⇒ इसमें प्रक्षेपण तल को 60° अक्षांश रेखा से स्पर्श करते हुए रखा जाता है। अर्थात इसमें स्पर्शी बिन्दु विषुवत रेखा एवं ध्रुव के मध्य स्थित माना जाता है।
नोट: लैम्बर्ट महोदय ने ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप में गणितीय विधि से संशोधन कर एक ऐसा प्रक्षेप बनाया जिसमें समक्षेत्रफल का गुण था। ऐस प्रक्षेप को लैम्बर्ट प्रक्षेप भी कहते हैं। इस प्रकार के प्रक्षेप में ध्रुवीय क्षेत्रों के वितरण मानचित्र बनाने हेतु उपयोगी माना जाता है।
इस प्रकार के प्रक्षेप में ध्रुव से भूमध्य रेखा की ओर जाने पर भूमध्य रेखा पर मापनी घटने लगती है लेकिन अक्षांश रेखा पर मापनी का मान बढ़ने लगती है। इसीलिए यह एक समक्षेत्र प्रक्षेप कहलाता है।
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