(a) नदियों को आपस में जोड़ देना
(b) वर्षा जल संग्रह करना
(c) बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (b) वर्षा जल संग्रह करना
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बाढ़ कैसे आती है? स्पष्ट करें।
उत्तर – जब मानसूनी वर्षा अत्यधिक होती है तो नदियों का जलस्तर में अचानक काफी वृद्धि हो जाती है जिससे बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 2. बाढ़ से होनेवाली हानियों की चर्चा करें।
उत्तर – बाढ़ से होनेवाली हानियाँ निम्नलिखित है –
●महामारी फैलना
●मकानों का गिरना
●फसलों की बर्बादी
●सडकों का टूटना
●जन धन की अपार क्षति इत्यादि।
प्रश्न 3. बाढ़ से सुरक्षा हेतु अपनाई जानेवाली सावधानियों को लिखें।
उत्तर – बाढ़ से सुरक्षा हेतु अपनाई जाने वाली सावधानियाँ निम्नलिखित है-
(i) मकानों की नींव तथा दीवार सीमेंट और कंक्रीट की होनी चाहिए।
(ii) स्तम्भ(Pillar) आधारित मकान होनी चाहिए और स्तम्भ की गहराई काफी होनी चाहिए।
(iii) बाढ़ के बाद जल निकालने की तत्कालिक व्यवस्था होनी चाहिए।
(iv) नदी के किनारे तथा नदी के सकरी ढालों पर मकानों के निर्माण नहीं करना चाहिए। ऐसे जगहों पर मकान की दूरी कम से कम 250 मीटर की दूरी पर होना चाहिए।
प्रश्न 4. बाढ़ नियंत्रण के लिए उपाय बतायें।
उत्तर – बाढ़ नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है-
(i) बाढ़ नियंत्रण के लिए बाँध और तटबंध की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
(ii) नदियों के गाद का समय-समय पर सफाई होना चाहिए।
प्रश्न 5. सूखे की स्थिति को परिभाषित करें।
उत्तर – जब किसी क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा 25 प्रतिशत से अधिक की कमी आ जाती है तो उसे सूखाड़ की स्थिति माना जाता है। सामान्तया 50 से०मी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में प्रायः प्रतिवर्ष सूखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
प्रश्न 6. सुखाड़ के लिए जिम्मेवार कारकों का वर्णन करें।
उत्तर – मुख्यतया वर्षा की भारी कमी के कारण ही सूखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
प्रश्न 7. सुखाड़ से बचाव के तरीकों उल्लेख करें।
उत्तर – सूखाड़ से बचाव हेतु दो प्रकार की योजनाएँ आवश्यक है- दीर्घकालिन और लघुकालीन योजनाएँ दीर्घकालिन योजना के अंतर्गत- नहर, तालाब, कुआँ, पाइन, आहर के विकास की जरूरत है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बिहार में बाढ़ की स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर – बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ ग्रसित राज्य है, यहां उत्तरी बिहार में 76 प्रतिशत से अधिक आबादी बाढ़ की तबाही के लगातार खतरे में निवास करते है। बिहार में भारत के बाढ़ प्रभावित का 16.50 प्रतिशत और बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 22.10 प्रतिशत आबादी है। बिहार का भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 73.06 प्रतिशत अर्थात 68800 वर्ग किमी० बाढ़ प्रभावित है। यहाँ प्रत्येक वर्ष के कारण करोड़ों की सम्पति के साथ-साथ मानव एवं पशुओं का जीवन भी नष्ट हो जाता है। उत्तरी बिहार के जिले मानसून के दौरान कम से कम पाँच प्रमुख बाढ़ पैदा करने वाली नदियों-महानंदा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गण्डक और गण्डक नदी जो कि नेपाल में उत्पन्न होती है, के लिए सुरक्षित नहीं है। कुछ दक्षिणी जिले भी सोन, पुनपुन और फल्गु नदियों से बाढ़ की चपेट में आ जाते है। हाल ही में 2017 की बाढ़ ने उत्तरी बिहार के 19 जिलों को प्रभावित किया जिसमें 514 लोगों की जाने चली गई और लगभग 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए।
प्रश्न 2. बाढ़ के कारणों एवं इसकी सुरक्षा संबंधी उपायों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर – बाढ़ आने के निम्नलिखित कारण है-
(i) नदी में उफान- कभी-कभी निरंतर वर्षा से विस्तृत क्षेत्र का पानी छोटी नालियों और नालों से बहकर अंततः नदी में ही मिल जाती है जिससे विस्तृत क्षेत्र जलमग्न हो जाता है।
(ii) हिमगलन- कुछ नदियों का स्रोत हिमाच्छादित होता है। बर्फ के बहुत अधिक मात्रा में पिघलने से नदियों में अचानक बहुत अधिक पानी बहने लगता है । जिससे बाढ़ की स्थिति होती है।
(iii) लगातार भारी वर्षा का होना- लम्बे समय तक लगातार वर्षा होने से प्रभावित क्षेत्र जलमग्न हो जाता है।
(iv) मानवीय क्रियाकलाप- अंधाधुंध वनों की कटाई से पर्वतीय नदियों के पानी के प्रवाह अवरुद्ध नहीं हो पाता है। जिससे बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो जाता है।
बाढ़ से सुरक्षा संबंधी अपनाई जाने वाली उपायों निम्नलिखित है-
(i) मकानों की नींव तथा दीवार सीमेंट और कंक्रीट की होनी चाहिए।
(ii) स्तम्भ (Pillar) आधारित मकान होनी चाहिए और स्तम्भ की गहराई काफी होनी चाहिए।
(iii) बाढ़ के बाद जल निकालने की तत्कालिक व्यवस्था होनी चाहिए।
(iv) नदी के किनारे तथा नदी के सकरी ढालों पर मकानों के निर्माण नहीं करना चाहिए। ऐसे जगहों पर मकान की दूरी कम से कम 250 मीटर की दूरी पर होना चाहिए।
प्रश्न 3. सुखाड़ के कारणों एवं इनके बचाव के तरीकों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर – मुख्यतया वर्षा की भारी कमी के कारण ही सूखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
सूखाड़ से बचाव हेतु दो प्रकार की योजनाएँ आवश्यक है-
(i) दीर्घकालिक और
(ii)लघुकालीन योजनाएँ
(i) दीर्घकालिक योजनाएँ- राष्ट्रीय स्तर पर कुछ योजनाएँ दीर्घकालिक समस्या को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए। जैसे-
◆ भूमिगत जल के भंडार को नलकूपों द्वारा खींचकर सिंचाई या पीने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
◆ नहर या पाइपलाइन का प्रबंध करना चाहिए।
◆ वन रोपण को प्रोत्साहन करना चाहिए।
◆ नदियों का परस्पर जोड़कर सूखा क्षेत्र में जल भेजा जा सकता है।
(ii) लघुकालिन या तत्कालीन योजनाएँ- राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर सुख से निपटने के लिए लघुकालिन या तत्कालीन योजनाएँ बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। जैसे-
◆ अनाज का विशेष कोष की व्यवस्था करना।
◆ पशुओं के चारे के भंडारण की व्यवस्था करना।
◆ पेयजल का सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था होना।