4. Information Technology (सूचना प्रौद्योगिकी)
Information Technology
(सूचना प्रौद्योगिकी)
Q. सूचना प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते है? सूचना प्रौद्योगिकी के अर्थव्यवस्था एवं समाज पर पड़ने वाले प्रभाव की संक्षिप्त विवेचना करें।
मानव संस्कृति के उद्विकास में तीन महत्त्वपूर्ण क्रांतियाँ हुई हैं:-
(1) नव पाषाणिक क्रांति
(2) औद्योगिकी क्रांति और
(3) सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति।
इन तीनों क्रांतियों ने मानव जीवन में त्वरित परिवर्तन लाने का कार्य किया। अगर 20वीं शताब्दी को औद्योगिकी क्रांति की सदी कही जाय तो 21वीं सदी को सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति कहा जाएगा।
मानव जिन युक्तियों के माध्यम से सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सम्प्रेषण करता है, उस युक्ति को सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विकास के क्रम में निम्नलिखित तथ्यों पर गौर किया जाता है-
(1) सम्प्रेषण में समय कम-से-कम लग सके।
(2) सूचना को यथावत एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जा सके।
(3) ऐच्छिक मात्रा में सूचनाओं का सम्प्रेषण हो सके।
कोई भी सूचना तीन रूपों में पायी जाती है जैसे- Digital, Graphics, शब्द एवं अक्षर के रूप में। इन सूचनाओं को सम्प्रेषित करने के लिए कई प्रकार के प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है। जैसे- रेडियो, टीवी, पेजर, मोबाइल, फैक्स, कम्प्यूटर, इंटरनेट, टेलीफोन, ऑप्टीकल फाइबर इत्यादि। इन उपकरणों में प्रयुक्त तकनीक को पुनः दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
प्रथम- हार्डवेयर तकनीक
द्वितीय- सॉफ्टवेयर तकनीक
हार्डवेयर तकनीक के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के उपकरणों के निर्माण संयोजन का कार्य किया जाता है। जबकि सॉफ्टवेयर तकनीक के अन्तर्गत सूचना प्रौद्योगिकी में प्रयुक्त होने वाले Programme का निर्माण होता है। अत: सूचना प्रौद्योगिकी विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर और साफ्टवेयर के संयोजन से निर्मित आधुनिक उपकरण है।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास एक नवीन घटना है। भारत में इस प्रौद्योगिकी का विकास भारत सरकार और निजी क्षेत्र के माध्यम से किया जा रहा है। 1992 ई० में केन्द्र सरकार द्वारा देश में दूर संचार सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु दूर संचार क्षेत्र को उदारता नीति के तहत लाकर निजी क्षेत्र की अनुमति प्रदान की 1993 ई० में दूर संचार तकनीक के विकास हेतु प्रति वर्ष 20.6 मिलियन रुपये मिलियन निवेश करने का लक्ष्य रखा।
1994 ई० में भारत के चार प्रमुख महानगर दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता में मोबाइल सेवा उपलब्ध करने वाले कंपनी के लिए लाइसेंस जारी किये गये। सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 1997 ई० में “भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकरण” (TRAI) की स्थापना की गई। मार्च 1999 ई० में पहली राष्ट्रीय दूरसंचार नीति की घोषणा की गई।
वर्तमान समय में ट्राई और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत कंपनियाँ Call Rate घटाने में तथा ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयासरत है। वर्तमान समय में 99% भारतीय जनसंख्या के पास सूचनायें TV तथा रेडियों के माध्यम से पहुँच रहा है। वर्तमान समय में 90 करोड़ से भी अधिक लोगों के पास मोबाइल की सुविधा उपलब्ध है। इस तरह कहा जा सकता है कि भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास की गति काफी तीव्र है।
भारतीय अर्थव्यवस्था तथा समाज पर IT का प्रभाव
(i) समय तथा स्थान के बीच की दूरी घटी:-
IT के कारण समय तथा स्थान के बीच भी दूरी घट चुकी है। इससे ऐच्छिक मात्रा में और पूर्ण शुद्धता के साथ सूचनाओं का सम्प्रेषण संभव हो गया है।
(ii) यातायात के साधनों में मदद:-
IT के विस्तार एवं प्रसार से यातायात साधनों पर बढ़ते हुए दबाव को कम करने में मदद मिली है।
(iii) सूचनाओं का आसानी से ग्रहण:-
कम्प्यूटर, E-mail, www के संकलन से इंटरनेट का विकास किया गया है। इंटरनेट अपना पैर पूरे दुनियाँ में फैलता जा रहा है। लोग विश्व की सभी प्रकर की सूचनाएं इन्टरनेट पर उपलब्ध करवा देते हैं जिसके कारण शिक्षा, वाणिज्य, विज्ञान, मनोरंजन इत्यादि से संबंधित सभी प्रकार की सूचनाएँ इंटरनेट पर मौजूद रहती है। इन्टरनेट Conection लिए हुए व्यक्ति कोई भी सूचना आसानी से ग्रहण कर सकता है।
दूसरे शब्दों में, इंटरनेट ने पूरे दुनिया को Global village में बदल दिया है।
(iv) E-Commerce:-
सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से E. Commerce की शुरुआत की गई है। जिसके माध्यम से व्यापार, बीमा, वित से संबंधित कार्यों को आसानी से संपादित किया जाने लगा है।
(v) E-प्रशासन
सूचना प्रौद्योगिकी का एक घटक E-प्रशासन है। इसके माध्यम से दूर दराज के गांवों को जिला मुख्यालय से जिला मुख्यालय को राजधानी से जोड़कर प्रशासन का कार्य आसानी से किया जा सकता है।
(vi) इंटरनेट के माध्यम से विवाह, तलाक, कानूनी सहायता, आवेदन पत्रों का सम्प्रेषण, प्रतियोगिता परीक्षा, मनचाही जानकारी एवं परामर्श लेना संभव हो चूका है।
(vii) नये रोजगारों का सृजन
सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों प्रकार के लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है। ये रोजगार IT पार्क, सोफ्टवेयर पार्क, Call Centre, साइबर कैफे, B.P.O., आउट सोर्सिंग इत्यादि के माध्यम से उपलब्ध हो रहे हैं।
(viii) रुढ़िवादी परंपराओं तथा अधविश्वासों से मुक्ति:-
IT के माध्यम से भारतीय समाज अनेक प्रकार के परम्परागत अवधारणा एवं अंधविश्वासों से मुक्त हो रहा है।
(ix) IT के माध्यम से रेलवे एवं विमानन में आरक्षण, बैंकिग, बीमा एवं शेयर बाजार में त्वरित परिवर्तन लाया है। इस क्षेत्रों में IT के कारण गुणात्मक एवं मात्रात्मक परिवर्तन तो हुआ ही है। इसके अलावे इन क्षेत्रों में पारदर्शिता का भी आगमन हुआ है।
(x) कार्यालयों को मोटे-मोटे रजिस्टरों से मुक्ति:-
आईटी के माध्यम से सरकारी एवं गैर सरकारी office मोटे-2 रजिस्टर एवं दस्तावेजों से मुक्त हो रहे हैं। आज एक लाइब्रेरी की संपूर्ण जानकारी को DVD के एक कैसेट में संग्रहित किया जा सकता है जिसके कारण आज विभिन्न प्रकर के सेवा का सार्वभौमीकरण संभव हो सका है।
(xi) आईटी के माध्यम से दूर-दराज के भूमि, कृषि, सिंचाई से संबंधित विविध जानकारी को आसानी से पहुँचाया जा रहा है।
(xii) आईटी के माध्यम से नगरीय परिवहन व्यवस्था को नियंत्रित किया जा रहा है।
(xiii) आपदा प्रबंधन में प्रयोग:-
सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग आपन प्रबंधन के दौरान बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
आईटी का प्रभाव
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि सूचना प्रौद्योगिकी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था एवं समाज पर कई प्रकार के सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। वहीं दूसरी ओर कई नकारात्मक प्रभाव भी रेखांकित किया जा सकता है। जैसे- साइबर अपराध, पाइरेसी (Piracy- DVD, CD का नकल), पोरनोग्राफी (ब्लू फिल्म), सूचनाओं की चोरी, गोपनीय दस्तावेजों से छेड़छाड़, कंप्यूटर कचड़ा, सूचना प्रदूषण की समस्या इत्यादि समस्याएँ उत्पन्न हो रही है।
निष्कर्ष
अतः स्पष्ट है कि सूचना प्रौद्योगिकी के कारण कई प्रकार के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव दृष्टिगत होने लगे हैं। कुछ विद्वानों का तर्क है कि नारात्मक प्रभावों को देखते हुए सूचना प्रौद्योगिकी के विकास पर रोक लगा दी जाय। लेकिन मेरे विचार के अनुसार इस पर रोक नहीं लगयी जानी चाहिए बल्कि इससे उत्पन्न होने वाले नाकारात्मक प्रभावों से प्रभावी तरीके से निपटा जाना चाहिए और सूचना प्रौद्योगिकी के दिशा में सतत् विकास जारी रखा जाना चाहिए।