34. Climograph and Hythergraph
Climograph and Hythergraph
क्लाइमोग्राफ
Climograph का आविष्कार सर्वप्रथम ग्रिफिथ टेलर महोदय ने किया था।
➤ Climograph X-अक्ष पर Relative Humidity (सापेक्षिक आर्द्रता) को और Y-अक्ष पर Wet Bulb Temperature (आर्द्र बल्ब तापमान) को ध्यान में रखकर मानचित्र या ग्राफ बनाया जाता है।
➤ इंग्लैण्ड के निवासी औपनिवेशिक काल में Climograph का उपयोग वैश्विक स्तर पर निवास करने योग्य स्थान के निर्धारण में किया करते थे।
➤ जबकि हीदरग्राफ का प्रयोग स्थानीय स्तर पर निवास करने योग्य स्थान का निर्धारण किया करते थे।
प्रश्न 1. क्लाइमोग्राफ (Climograph) के अभिप्राय को समझाते हुए दिए आँकड़ों के आधार पर भोजपुर का क्लाइमोग्राफ बनाइए।
Months | JAN. | FUB. | MAR. | APR. | MAY. | JUN. | JUL. | AUG. | SEP. | OCT. | NOV. | DEC. |
आर्द्र-वल्ब तापमान (0°C) | 13 | 15 | 17 | 19 | 22 | 24 | 26 | 25 | 23 | 20 | 18 | 14 |
आपेक्षिक आर्द्रता | 40 | 30 | 14 | 10 | 12 | 42 | 71 | 74 | 74 | 60 | 42 | 40 |
उत्तर-
Climograph का आविष्कार सर्वप्रथम ग्रिफिथ टेलर महोदय ने किया था। इनके द्वारा क्लाइमोग्राफ का विकास शीत कटिबन्ध में निवास करने वाले यूरोपियों के लिए उष्ण कटिबन्ध में निवास करने की संभावना को ध्यान में रख कर किया गया।
इससे किसी स्थान के आर्द्र बल्ब तापमान (Wet bulb temperature) तथा प्रतिशत में सापेक्षिक आर्द्रता (Relative humidity) की आवश्यकता होती है। इन्हीं दोनों आँकड़ों की सहायता से ग्राफ पेपर पर स्केल के अनुसार x-अक्ष पर सापेक्षिक आर्द्रता तथा y-अक्ष पर आर्द्र बल्ब तापमान को प्रदर्शित करके, प्रत्येक महीना के लिए निर्देशांक से 12 बिन्दु प्राप्त करके उन्हें क्रम से रेखा में मिला देते हैं। इससे क्लाइमोग्राफ का निर्माण हो जाता है।
टेलर महोदय ने एक निवास्यता मापक्रम का भी निर्माण किया है। जिससे हमें वहाँ की जलवायु सुखद है या दुःखद है, इसका भी आसानी से ग्राफ देखकर पता चलता है।
निवास्यता मापक्रम (Hability Scale)
क्रम | सुखद या दुःखद के प्रकार | तापमान |
1. | अत्यल्प दुःखद (Very rarely uncomfortable) | 40° से 45° F (4° से 7° C) |
2. | आदर्श (Ideal) | 45° से 55° F (7° से 13° C) |
3. |
अत्यल्प दुःखद (Very rarely uncomfortable) |
55° से 60° F (13° से 16° C) |
4. | बहुधा दुःखद (Sometimes uncomfortable) | 60° से 70° F (16° से 19° C) |
5. |
बहुधा दुःखद (Often comfortable) |
65° से 70° F (19° से 21° C) |
6. | हमेशा दुःखद (Usually uncomfortable) | 70° से 75° F (21° से 24° C) |
टेलर ने कुछ विशेष प्रकार की जलवायु को भी दर्शाया है जो क्लाइमोग्राफ के चारों कोनों पर होता है। इसके चार प्रकार हैं:
1. झुलसता हुआ (SCORCHING):-
NW कोने पर, आर्द्र बल्ब तापमान 60° F से अधिक तथा सापेक्षिक आर्द्रता 40% से कम अर्थात् उष्ण-शुष्क जलवायु।
2. उमसदार (MUGGY):-
NE कोने पर तापमान 60° F से अधिक तथा सापेक्षिक आर्द्रता 70% से अधिक अर्थात् उष्णार्द्र जलवायु।
3. शीतार्द्र (RAW):-
SE कोने पर, तापमान 40° F से कम तथा सापेक्षिक आर्द्रता 70% से अधिक अर्थात् ठंडी आर्द्र जलवायु।
4. शीत-शुष्क (KEEN):-
SW कोने पर, तापमान 40° F से कम तथा सापेक्षिक आर्द्रता 40% से कम अर्थात् शीत व शुष्क जलवायु।
इस प्रकार क्लाइमोग्राफ की आकृतियों से विभिन्न स्थानों की जलवायु में भिन्नता का पता चलता है। जैसे- शुष्क क्षेत्रों के लिए क्लाइमोग्राफ की आकृति तकुए की भाँति होती है, भूमध्यसागरीय जलवायु हेतु विकर्ण तथा मानसूनी जलवायु हेतु उल्टे विकर्ण की आकृति बनती है। जिससे विभिन्न स्थानों की जलवायु का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
CLIMOGRAPH OF BHOJPUR
रचना विधि:
एक ग्राफ कागज लेकर क्षैतिज रेखा खींचा जो X-अक्ष हुआ। इस पर समान दूरी के अंतर पर आपेक्षिक आर्द्रता के आँकड़ों के अनुसार मापनी निश्चित कर 0, 10, 20, 30, 40, 50, 60, 70, 80 लिखा। इसके नीचे मोटे अक्षरों में RELATIVE HUMIDITY (In %) लिख दिया। X-अक्ष पर लंब डाला और Y-अक्ष बनाया। अब भोजपुर के आर्द्र बल्ब तापमान (Wet bulb Temperature) के आँकड़ों के अनुसार मापनी निश्चित कर 0, 10, 20, 30 व 40 लिखा तथा इसके समीप ही WET BULB TEMPERATURE (°C) लिख दिया।
अब January के आर्द्र बल्ब तापमान 13°C और आपेक्षिक आर्द्रता 40% के आँकड़ों को मिलाते हुए सीधी रेखाएँ खीचीं। जिस बिन्दु पर ये दोनों रेखाएँ मिलती हैं उसे चिह्नित कर J लिखा। इसी प्रकार Febuary, March से November तथा December तक के आर्द्र बल्ब तापमान और आपेक्षिक आर्द्रता के आँकड़ों को मिलाते हुए खीचें बिन्दुओं पर क्रमशः F, M ……. N व D लिखा।
अब सरल रेखा द्वारा January के बिन्दु को Febuary के बिन्दु से, Febuary के बिन्दु को March के बिन्दु से… November के बिन्दु को December के बिन्दु से तथा अंततः December के बिन्दु को January के बिन्दु से मिलाते हुए 12 रेखाएँ खींची। इस प्रकार प्राप्त 12 भुजी आकृति ही हमारा अभीष्ट Climograph होगा। Climograph के NW कोने पर SCORCHING, NE कोने पर MUGGY, SE कोने पर RAW तथा SW कोने पर KEEN लिख दिया।
हीदरग्राफ
हीदरग्राफ का निर्माण सर्वप्रथम टेलर महोदय ने किया था।
➤ हीदरग्राफ में जलवायु के आँकड़े को प्रदर्शित किया जाता है।
➤ हीदरग्राफ में X-अक्ष पर वर्षा और Y-अक्ष पर तापमान को दिखाया जाता है।
➤ हीदरग्राफ का प्रयोग औपनिवेशिक काल में अँग्रेज लोग बड़े पैमाने पर किया करते थे।
➤ हीदरग्राफ पर बहुत अधिक गर्म, बहुत अधिक ठण्डा, बहुत अधिक सूखा और बहुत अधिक आर्द्रता के साथ-2 अधिवासित होने के लिए उपयुक्त क्षेत्र को प्रदर्शित किया जाता था।
प्रश्न 1. हीदरग्राफ (Hythergraph) के अभिप्राय को समझाते हुए दिये गये आँकड़ों के आधार पर भोजपुर के हीदरग्राफ की रचना कीजिए।
Months | JAN. | FUB. | MAR. | APR. | MAY. | JUN. | JUL. | AUG. | SEP. | OCT. | NOV. | DEC. |
औसत मासिक तापमान (0°C) |
17 | 20 | 27 | 30 | 32 | 31 | 30 | 28 | 28 | 27 | 23 | 18 |
औसत मासिक वर्षा (cm) | 2 | 2 | 1 | 1 | 3 | 12 | 28 | 25 | 18 | 5 | 1 | 1 |
उत्तर-
हीदरग्राफ (Hydhergraph) एक ऐसा आरेख है जिसमें वर्षा और तापमान के सम्बन्धों एक साथ को प्रदर्शित किया जाता है। इसमें वर्षा तथा तापमान के मासिक वितरण को प्रदर्शित किया जाता है।
इसमें क्षैतिज भुजा (X-axis) पर मिलीमीटर या इंचों में वर्षा और लम्बवत् भुजा (Y-axis) पर °F या °C में तापमान बताये जाते हैं। टेलर का हीदरग्राफ पहले के विद्वानों फास्टर व हटिंगटन द्वारा बनाया गया क्लाइमोग्राफ ही है। इसमें मासिक वर्षा और शुष्क तापमान को टेलर के क्लाइमोग्राफ की भाँति प्रतिमास अंकित कर बारह बिन्दु प्राप्त करते हैं। इन्हें आपस में जोड़कर बन्द आकृति बना दी जाती है।
इसके द्वारा किसी स्थान विशेष की वर्षा और वाष्पीकरण के सम्बन्ध को समझाकर वास्तविक जल उपलब्धता को समझा जा सकता है। टेलर के हीदरग्राफ में तापमान और वर्षा की सीमा नहीं दी गई है। जिन भागों में गर्मियों में वर्षा होती है वाष्पीकरण भी अधिक होने से वास्तविक जल उपलब्धता तेजी से घटने लगती है।
HYTHERGRAPH OF BHOJPUR
रचना विधि:
एक ग्राफ कागज लेकर आधार के समानांतर एक रेखा खींचा जो X-अक्ष होगा। इस अक्ष पर एक लंबवत् रेखा खींचा जो Y-अक्ष होगा। X-अक्ष पर औसत मासिक वर्षा के आँकड़ों के अनुसार समान दूरी के अंतर पर मापनी निश्चित करके 0, 5, 10, 15, 20, 25, 30 व 35 की संख्याएँ लिखीं। इनके नीचे मोटे अक्षरों में AVERAGE MONTHLY RAINFALL (CM) लिख दिया।
अब Y-अक्ष पर औसत मासिक तापमान के आँकड़ों को आधार मानकर मापनी निश्चित करके 0, 5, 10, 15, 20, 25, 30 व 35 की संख्याएँ लिख दीं। इसके ऊपर मोटे अक्षरों में AVERAGE MONTHLY TEMPERATURE (°C) लिख दिया।
अब January के तापमान 17°C और वर्षा 2 cm के आँकड़ों को मिलाते हुए रेखाएँ खींची। जहाँ ये दोनों रेखाएँ मिलती हैं, उस बिन्दु को चिह्नित कर J लिखा। इसी प्रकार Febuary, March….. November, December के तापमान एवं वर्षा के आँकड़ों के आधार पर 12 बिन्दु चिह्नित करके संबंधित बिन्दुओं क्रमशः F, M, N, तथा D लिखा।
अब January के बिन्दु को सरल रेखा द्वारा Febuary के बिन्दु से, Febuary के बिन्दु को March के बिन्दु से November के बिन्दु को December के बिन्दु से तथा अंततः December के बिन्दु को January के बिन्दु से मिलाते हुए 12 भुजी बहुभुज बनाया जो अभीष्ट Hythergraph हुआ।