9. The Digital Image (डिजिटल इमेज)
9. The Digital Image
(डिजिटल इमेज)
सूचनाओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाने या एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिये चित्र या तस्वीर (Picture) सबसे सरल सुविधाजनक तथा सर्वमान्य साधन है। लगभग 75% सूचनाओं को मनुष्य के द्वारा देखकर जानकारी ली जाती है। उपग्रह हमें जो आँकड़े भेजता है उन्हें हम कम्प्यूटर की सहायता से चित्र आकृति में प्रस्तुत कर सकते हैं। किसी भी सचित्र प्रदर्शन के लिये इमेज अथवा बिम्ब एक सामान्य शब्द है। विभिन्न भूभागीय विशेषताओं को विद्युत-चुम्बकीय विकिरण (EMR) की गहनाता (Intensity) के आधार पर अलग-अलग श्वेत एवं श्याम बिम्बों में प्रदर्शित किया जा सकता है जिनमें अलग-अलग चमक होती है।
संवेदक किसी भी दृश्य के अलग-अलग तरंग-दैर्ध्य (Wave Length) बैंडों पर विभिन्न सूचनाओं को उपलब्ध कराता है जिनका उपयोग बिम्बों की रचना के लिये किया जाता है।
जब अध्ययनकर्ता द्वारा किसी दृश्य अथवा घटना को देखकर विश्लेषण किया जाता है तो उसे अवलोकन, प्रत्यक्ष ज्ञान या समझ कहते हैं। उपग्रह से प्राप्त सूचनाओं को भी बिम्बों (Images) में परिवर्तित कर विश्लेषण किया जाता है। उपग्रह के आँकड़ों को कम्प्यूटर पर संसाधित कर बिम्ब तैयार किये जाते हैं। इस प्रक्रिया को कम्प्यूटर इमेज प्रक्रमण (Computer Image Processing), कम्प्यूटर विजन (Computer Vision), सुदूर संवेदन आँकड़ों का मशीन द्वारा प्रक्रमण (Machine Processing of Remote Sensing Data) इत्यादि कई नामों से पुकारा जाता है।
इमेज के प्रकार (Types of Image)
स्रोत के आधार पर इमेज दो प्रकार की होती है।
1. फोटोग्राफिक फिल्म आकार (Photographic Film Form)
2. डिजिटल आकार (Digital Form)
1. फोटोग्राफिक फिल्म आकार (Photographic Film Form):-
फोटोग्राफिक संवेदक, फोटोग्राफिक फिल्म पर इमेज को दर्शाता है। विभिन्न धरातलीय दृश्य विशेषताओं को सुदूर संवेदन तकनीक की सहायता से फोटोग्राफिक फिल्म पर धरातलीय विवरणों की चमक के आधार पर बिम्बों को प्रदर्शित किया जाता है। जैसा कि स्पष्ट है कि किसी दृश्य के जिस भाग या वस्तु से परावर्तित ऊर्जा अधिक मात्रा में संवेदक तक पहुँचेगी उस भाग का बिम्ब अधिक चमकीला या श्वेत दृष्टिगोचर होगा। चमक के आधार पर फोटोग्राफिक फिल्म पर प्रकाश की गहनता अंकित होती है जो दृश्य निर्माण एवं विश्लेषण में सहायक होते हैं।
2. डिजिटल आकार (Digital Form):-
डिजिटल इमेज विद्युत-चुम्बकीय ऑप्टीकल संवेदक द्वारा निर्मित की जाती है। उदाहरण के लिए बहुस्पैक्ट्रल संवेदक (Multispectral Sensor) धरातलीय विकिरित ऊर्जा (Radient Energy) की मात्रा को संख्याओं में व्यक्त करता है जिन्हें डिजिटल नवम्बर (DN) कहते हैं। बड़ी डिजिटल संख्या (जैसे कि 150) अधिक मात्रा में विकिरण ऊर्जा को दर्शाती है जबकि छोटी डिजिटल संख्या (जैसे कि दस) ऊर्जा की कम मात्रा को दर्शाता है।
डिजिटल इमेज:-
डिजिटल इमेज लघु आकार के समक्षेत्र पिक्चर तत्वों के क्रम में व्यवस्थित की जाती है। डिजिटल इमेज में प्रत्येक छोटे से छोटे तत्व (Element) को पिक्सल (Pixel) कहते हैं। पेल (Pel) इसका संक्षिप्त नाम है। प्रत्येक पिक्सल का मान संख्याओं में होता है जिन्हें डिजिटल नम्बर (DN) कहते हैं। पिक्सल धरातल की दूरियों को मीटर अथवा किलोमीटर में प्रदर्शित करते हैं। पिक्सल का आकार संवेदक के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है जिसे विभेदक (Resolution) कहते हैं। पिक्सल का आकार तथा धरातलीय दूरी के आनुपातिक सम्बन्ध को ही विभेदन कहते हैं।
डिजिटलों मानों को पंक्तियों (Rows) तथा कॉलम (Columns) में व्यवस्थित किया जाता है प्रत्येक पिक्चर तत्व अथवा पिक्सल की स्थिति को XY निर्देशांक के द्वारा निर्धारित किया जाता है। इस प्रकार सामान्यतः डिजिटल संख्याओं को निम्न में से किसी एक प्रारूप में संग्रह किया जाता है।
डिजिटल बिम्ब आँकड़ों का प्रारूप (Data Formats of Digital Image):-
किसी बिम्ब में बहु स्पैक्ट्रल चैनल होते हैं जो बहु आयामी बिम्ब प्रदर्शित करते हैं। डिजिटल सुदूर संवेदन आँकड़े अक्सर निम्न प्रारूपों में से किसी एक प्रारूप में रखे जा सकते हैं। निम्न प्रारूप प्रायः अधिक प्रचलित माने जाते हैं।
(i) बिप (BIP-Band Interleaved by Pixel):-
बिप फारमेट के अन्तर्गत सभी बैंड के आँकड़ों को एक-एक पिक्सल क्रम के अनुसार लिखा जाता है।
(ii) बिल (BIL-Band Interleaved by Line):-
बिल फारमेट में सभी बैंडों के आँकड़ों को एक-एक लाइन क्रम में लिखा जाता है। (चित्र 1)
(iii) बी. एस. क्यू. (BSQ-Band Sequential):-
बैंड अनुक्रमत्व फारमेट में प्रत्येक बैंड के आँकड़ों को एक फाइल पर लिखा जाता है तथा क्रम से संग्रह किया जाता है। (चित्र 2)
उपरोक्त प्रारूपों को इस प्रकार भी समझाया गया है। कल्पना कीजिए कि हमारे पास 6 पिक्सल (तीन कॉलम एवं दो पंक्तियाँ) अलग-अलग तीन बैंडों के आँकड़े निम्न प्रकार से है-
इस इमेज डाटा को BSQ, BIL या BIP में से किसी भी एक प्रारूप में सघन कर रखा जा सकता है।
दृश्य विश्लेषण (Visual Interpretation):-
फोटोग्राफिक हार्ड प्रतियों के लक्ष्यों की पहचान तथा उनका वर्गीकरण करना दृश्य विश्लेषण कहलाता है जो कि इमेज विशेषताओं जैसे कि आकार, आभा, प्रतिरूप, आकृति, संगठन, स्थिति, सहसम्बन्ध, छाया तथा पहलू पर आधारित होते हैं।
डिजिटल बिम्ब का मेटाडाटा (Metadata of Digital Image):-
मेटा डाटा का अभिप्राय है डाटा से डाटा का निर्माण करना। डिजिटल बिम्ब हमेशा मेटाडाटा रखते हैं जिन्हें शीर्ष सूचनायें भी (Header Information) कहते हैं। बिम्ब के शीर्ष पर उद्धरित सूचनायें अति महत्वपूर्ण होती हैं। इस प्रकार की सूचनायें किसी बिम्ब के पंक्तियों, कॉलम, स्पैक्ट्रल बैंड का नम्बर, संवेदक सूचनायें, प्राप्त किये गये आंकड़ों की तिथि व समय, सूर्य की ऊँचाई व कोण, पाथ व रो नम्बर, प्रक्षेप, बिम्ब का विस्तार, उत्पाद के प्रकार, विभेदन, आँकड़ा फाइल का प्रारूप, भौगोलिक निर्देशांक इत्यादि सूचनायें उपलब्ध होती हैं। कुछ बिम्बों में प्रक्रियन प्रणाली का भी उल्लेख होता है।
डिजिटल इमेज प्रक्रमण (Digital Image Processing):-
डिजिटल इमेज प्रक्रमण, कम्प्यूटर की सहायता से किसी प्राप्त इमेज का विश्लेषण तथापरिचालन करना होता है। धरातलीय आकृतियों के उपयुक्त अन्तर विश्लेषण तथा व्याख्या के लिये डिजिटल आँकड़ों को विभिन्न एलगोरिथम पर रखा जाता है। इससे इमेज का उच्चीकरण किया जाता है। वास्तव में उपग्रह से प्राप्त इमेज आँकड़ों को समझने के लिए कम्प्यूटर मॉनीटर पर प्रदर्शित किया जाता है। कभी इन आँकड़ों को तीन स्पैक्ट्रल बैंडों के संयुक्त रूप से जैसे कि FCC (False Colour Composit) तथा कभी अलग-अलग स्पैक्ट्रल बैंड इमेज द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिये विभिन्न तकनीकियों का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न प्रारूप
Q. इमेज से क्या आशय है? डिजिटल इमेज की विवेचना करें।
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