10. स्पाइकमेन का रिमलैण्ड सिद्धान्त (Spykman’s Rimland Theory)
10. स्पाइकमेन का रिमलैण्ड सिद्धान्त
(Spykman’s Rimland Theory)
स्पाइकमेन अमेरिकी भू-राजनीतिज्ञ था। रिमलैण्ड सिद्धान्त का प्रतिपादन उसी ने किया। उसने मैकिण्डर के स्थल शक्ति सिद्धान्त को अस्वीकार किया और उसकी युद्ध नीति का खण्डन किया। उसने मैकिण्डर के हृदय-स्थल सिद्धान्त की वैधता को अस्वीकार किया, क्योंकि यह स्थल इतना शक्ति सम्पन्न व महत्वपूर्ण नहीं था जितना उसके चारों ओर का सीमान्त परिवेश था।
स्पाइकमैन ने अपनी पुस्तक The Geography of the Peace (1944) में हार्टलैण्ड के स्थान पर यूरेशिया के तटीय क्षेत्र जो मैकिण्डर के सीमावर्ती अर्द्धवृत्त से समता रखते हैं, को अधिक शक्तिशाली व्यक्त किया। इसमें सामुद्रिक यूरोप, मध्य-पूर्व, भारत, दक्षिण-पूर्वी एशिया, चीन तथा कोरिया, आदि सम्मिलित किए जाते हैं। इनके शक्तिशाली होने का कारण जनसंख्या, प्रचुर संसाधन तथा सामुद्रिक मार्गों का उपयोग है। इस सम्पूर्ण क्षेत्र को इन्होंने रिमलैण्ड के नाम से सम्बोधित किया।
जर्मनी की बढ़ती शक्ति से स्पाइकमैन इतना प्रभावित हुआ कि उसने किसी एक शक्ति द्वारा उसे नियंत्रित करने के सिद्धान्त को अस्वीकार किया तथा कहा कि परिधीय स्थलखण्ड राज्यों को अधिक संगठित कर अपतटीय पट्टी के राज्यों के सहयोग से ही जर्मन अधिग्रहण को कमजोर बनाया जा सकता है।
स्पाइकमैन ने यूरेशियाई हृदय-स्थल की सम्भाव्य शक्ति स्रोत के समकक्ष ही संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा का पूर्वी भाग बनाया, परन्तु विश्व नियंत्रण का आधार यूरेशियाई तटवर्ती भू-भागों को ही माना। इसी आधार पर उसने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यह आग्रह किया कि मित्र राष्ट्रों को मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका को अपनी भविष्यकालीन नीतियों का आधार परिधीय स्थलखण्ड के किसी भी प्रकार के संगठन को रोकने का होना चाहिए।
मैकिण्डर के समान स्पाइकमैन ने भी अपने मत को व्यक्त करते हुए लिखा था:
” जो रिमलैण्ड को नियंत्रित करता है, वह यूरेशिया पर शासन करता है,
जो यूरेशिया पर शासन करता है, वह विश्व के भविष्य को नियंत्रित करता है।”
(“Who controls the Rimland rules Eurasia,
who rules Eurasia controls the destinies of the world.”)
स्पाइकमैन ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिटिश, सोवियत व अमेरिकी जल व स्थल शक्तियों के सहयोग से परिधीय स्थलखण्ड यूरोपीय तटवर्ती क्षेत्र को नियंत्रित करेगा तथा इससे विश्व के आवश्यक शक्ति सम्बन्धों को नियंत्रित करेगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नाजी जर्मनी तथा जापानी शासक रिमलैण्ड के बड़े भाग को नियंत्रित करने में सक्षम थे, किन्तु इनका शासन तीन-चार वर्षों तक ही रहा।
स्पाइकमैन ने व्यक्त किया कि रिमलैण्ड का क्षेत्र विश्व संघर्ष का कारण है। इसका ऐतिहासिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए यह मत व्यक्त किया कि सदैव स्थल एवं जलीय शक्तियों में संघर्ष रहा है तथा रिमलैण्ड के देश एवं रूस में संघर्ष का मूल कारण रिमलैण्ड पर अधिकार की चेष्टा है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की नीति रिमलैण्ड पर अधिकार करने की या सोवियत संघ के विस्तार को रोकने की होनी चाहिए।
यूरेशियाई भू-भाग का परिधीय स्थलखण्ड हृदय स्थल व सीमान्त समुद्रों के मध्य स्थित होने से इसे स्पाइकमैन स्थल शक्ति व समुद्र शक्ति के मध्य के संघर्षों का मध्यवर्ती अन्तस्थ क्षेत्र (Buffer Zone) कहता है। यूरेशिया के विश्लेषण में स्पाइकमैन ने ग्रेट ब्रिटेन व जापान को परिधीय स्थलखण्ड से बाहर राजनीतिक व सैनिक शक्ति के केन्द्र माना जो पश्चिम यूरोप तथा पूर्वी एशिया के तट से दूर स्थित हैं। अफ्रीका व आस्ट्रेलिया समुद्रस्थ अपतटीय महाद्वीप हैं।
अफ्रीका यूरेशिया के दक्षिण-पश्चिम तट से तथा यूरोपीय भूमध्य सागर से सम्बन्धित है तथा आस्ट्रेलिया, यूरेशिया के दक्षिण-पूर्व तटों से एशियाई भूमध्य सागर से जुड़ा हुआ है। एशियाई भूमध्य सागर आस्ट्रेलिया को दक्षिण-पूर्वी एशिया से अलग करने वाला जलपुंज है और स्वाधीन एशियाई विश्व के राजनीतिक व सामरिक महत्व हेतु विशिष्टता लिए है।
इस क्षेत्र में अनेक देश हैं जो राजनीतिक तथा प्राकृतिक विविधताओं से युक्त हैं। यहाँ की प्रजातियों एवं संस्कृति में भिन्नता है। अतः ये सभी कभी संगठित नहीं हो सके और न ही किसी एक शक्ति के नियंत्रण में रहे। इस क्षेत्र की एक कमजोरी और है कि इस क्षेत्र पर दोहरा आक्रमण किया जा सकता है- एक ओर हार्टलैण्ड की ओर से तथा दूसरी ओर बाह्य शक्तियों द्वारा।
निष्कर्ष:
स्पाइकमैन का सिद्धान्त द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति से पूर्व प्रस्तुत किया गया था और युद्ध समाप्ति तक इस सिद्धान्त की मान्यता आधी रह गई थी। जर्मनी, इटली व जापान हार गए और समुद्री शक्ति के स्थान पर वायु शक्ति की श्रेष्ठता सिद्ध हो चुकी थी। कोई भी परिधीय स्थलखण्ड (Rimland) शक्ति सम्पूर्ण परिधीय स्थलखण्ड को संगठित या नियंत्रित करने में असफल रही है, क्योंकि यह हृदय-स्थल शक्ति व अपतटीय शक्तियों द्वारा आक्रमणीय है, संगठित तटीय यूरोप को सर्वप्रथम भूमध्य सागर, उत्तरी अफ्रीका, मध्य-पूर्व, सहारा के दक्षिण अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया पर आधिपत्य स्थापित करने के पश्चात् ही परिधीय स्थलखण्ड पर नियंत्रण की कल्पना को साकार करना पड़ेगा।
प्रश्न प्रारूप
1. स्पाइकमेन का रिमलैण्ड सिद्धान्त (Spykman’s Rimland Theory) का विवरण दीजिए।