26. मानसून के विकास में हिमालय तथा तिब्बत के पठार का योगदान
26. मानसून के विकास में हिमालय तथा तिब्बत के पठार का योगदान
द०-प० मानसून की उत्पत्ति से संबंधित कई सिद्धांत प्रस्तुत किये गए हैं। इन सिद्धांतों में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत “जेट स्ट्रीम सिद्धांत” है। इस सिद्धांत में मानसून की उत्पत्ति में हिमालय एवं तिब्बत के पठार की केन्द्रीय भूमिका निर्धारित की गई है।
जेट स्ट्रीम सिद्धांत के अनुसार द०-प० मानसून की उत्पत्ति पूर्वी जेट हवा के कारण होती है। सूर्य का उत्तरायण होने के बाद तिब्बत का पठार दो कारणों से हिटर के समान गर्म एवं तप्त हो जाता है।
(1) समुद्रतल से 5000m की ऊँचाई के कारण मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पहले सूर्याताप प्राप्त करता है और गर्म हो जाता है।
(2) तिब्बत के पठार का बर्फ पिघलता है तो गुप्त ऊष्मा का परित्याग किये जाने के कारण तिब्बत के पठार की धरातलीय हवा गर्म होकर ऊपर उठने लगती है जिससे धरातल पर LP का निर्माण होता है। यही हवा तिब्बत के पठार के ऊपर उठकर ऊपर में प्रतिचक्रवात की स्थिति उत्पन्न करती है। इस प्रतिचक्रवातीय क्षेत्र से दो तरफ हवाएँ चलती है। एक शाखा चीन की ओर चली जाती है और दूसरी शाखा भारत के ऊपर से गुजरते हुए विषुवत रेखा की ओर अग्रसारित होती है। विषुवत रेखा की ओर जाने वाली हवा धीरे-2 ठंडी होकर अरब सागर के उपर बैठकर HP का निर्माण करती है। जिससे द०-प० मानसून की उत्पत्ति होती है।
भारत के उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत के अवस्थित होने के कारण साइबेरिया की ओर से आने वाली ठंडी हवा भारत में प्रविष्ट नहीं कर पाती है जिसके कारण चीन के समान यहाँ शीत ऋतु का आगमन नहीं होता है पुनः उत्तर की ओर से भारत में साईबेरिया हवा नहीं पहुंचने के कारण सूर्य के उत्तरायण होते ही थार मरुस्थलीय क्षेत्र और गंगा के मैदानी क्षेत्र तेजी से गर्म होकर L.P. का निर्माण करते हैं। धीरे-2 उत्तर का मैदानी क्षेत्र ITCZ का एक हिस्सा बन जाता है। यही क्षेत्र मानसूनी हवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का कार्य करती है।
हिमालय पर्वत की भूमिका मानसून के यांत्रिकी के रूप में भी देखी जा सकता है। जैसे- राजस्थान के ऊपर से गुजरने वाली द०-प० मानसून की अरेबियन शाखा को कुल्लू-मनाली के पास रोककर वहाँ बादल फटने की घटना को जन्म देती है। पुन: बंगाल की खाड़ी वाली शाखा को पुरब से पश्चिम दिशा में अग्रसारित होने के लिए बाध्य करती है।
निष्कर्ष
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि भारतीय मानसून की उत्पत्ति एवं क्रियाविधि को निर्धारित करने में तिब्बत के पठार और हिमालय पर्वत की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न प्रारूप
1. द०-प० मानसून के विकास में हिमालय तथा तिब्बत के पठार का कैसे महत्वपूर्ण योगदान है? इसका वर्णन करें।