18. गंगा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
18. गंगा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
गंगा तथा ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली उत्तर भारत की सबसे प्रमुख नदी हैं। ये नदियाँ लम्बी है तथा अनेक छोटी एवं बड़ी महत्त्वपूर्ण नदियाँ इनमें आकर मिलती हैं। इनके सम्मिलित रूप को गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र कहते हैं। इनकी चर्चा हम दो अलग-2 नदी तंत्र में कर रहे हैं।
(1) गंगा नदी तंत्र
गंगा भारत के सबसे बड़े भाग की नदी तंत्र है। इसका विस्तार लगभग 18 लाख वर्ग किमी० क्षेत्र पर है जिसका 8.6 लाख वर्ग किमी० क्षेत्र भारतीय सीमा के अन्तर्गत है। यह हिमालय के पर्वतीय भाग से लेकर मैदान तथा दक्षिण के पठारी भाग तक विस्तृत है। गंगा नदी तंत्र का विस्तार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में हैं। इसका विकास हिमालय के उत्थान के बाद हुआ लेकिन इसको विकसित करने में पूर्ववर्ती का भी योगदान रहा है। इस नदी तंत्र में गंगा मुख्य नदी है।
गंगा नदी महान हिमालय में गंगोत्री के पास गोमुख हिमानी से निकलती है। इसकी आरंभिक धारा को ‘भागीरथी’ कहा जाता है। उत्तराखण्ड के देवप्रयाग में भागीरथी में अलकनन्दा धारा आकर मिलती है। दोनों की सम्मिलित धारा को ‘गंगा’ कहते हैं। हरिद्वार तक गंगा पर्वतीय भाग से गुजरती है। इसके बाद यह मैदान में प्रवेश करती है। इलाहाबाद के निकट गंगा में यमुना नदी मिलती है। यमुना नदी महान हिमालय में यमुनोत्री हिमनद से निकलती है। यमुना की सहायक नदी चम्बल, कालीसिन्ध, बेतवा, केन आदि प्रमुख हैं। बिहार के चौसा (बक्सर) नामक स्थान पर गंगा बिहार में प्रवेश करती है और कटिहार तथा भागलपुर जिले के बाद झारखण्ड होते हुए गंगा नदी पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है।
गंगा के दाहिने किनारे पर यमुना, टोंस, सोन, पुनपुन, किऊल इत्यादि नदियाँ आकर मिलती हैं। इसमें यमुना को छोड़कर में सभी नदियाँ प्रायद्वीपीय उच्चभूमि से निकलती हैं। गंगा के बाएँ किनारे पर हिमालय से निकलने वाली अनेक नदियाँ जैसे- रामगंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक, बुढी गण्डक, कोसी, महानन्दा इत्यादि आकर मिलती हैं।
दाहिने एवं बाएँ किनारे की सहायक नदियों के जल से परिपूर्ण होकर गंगा पूरब दिशा में पश्चिम बंगाल के फरक्का तक बहती है। फरक्का गंगा डेल्टा का सबसे उत्तरी भाग है। यहाँ गंगा नदी दो भागों में बँट जाती है। इसकी एक शाखा हुगली के नाम से दक्षिण की तरफ बहती है तथा डेल्टा के मैदान से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
गंगा की मुख्य धारा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बाद बांग्लादेश में प्रवेश करती हैं। यहाँ गंगा नदी को “पदमा” कहा जाता है तथा ब्रह्मपुत्र नदी इससे आकर मिलती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र की सम्मिलित धारा को “मेघना” कहा जाता है। अन्ततः यह बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है। इन नदियों के द्वारा बनाए गए डेल्टा को “सुन्दरवन का डेल्टा” कहते हैं।
(2) ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
इस नदी तंत्र की ब्रह्मपुत्र सबसे प्रमुख नदी है। बह्मपुत्र नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पूर्व 80 किमी० की दूरी पर स्थित हिमानी से निकलती है। इसकी लम्बाई 2900 किमी० है। यह नदी तिब्बत में सांग्पो ने नाम से हिमालय के समानान्तर पूरब की ओर बहती है। पूरब में नामचा बरबा पर्वत को काटकर अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। अरुणाचल प्रदेश में बह्मपुत्र नदी को ‘दिहांग’ कहा जाता है। इसके बाद असम में ब्रह्मपुत्र के नाम से पूरब से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। असम के डुबरी जिले के बाद ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में जमुना के नाम से प्रवेश करती है। यहाँ गंगा के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियों में दिवांग, लुहित, स्वर्णसिरी, धनसीरी, भाद्री, बण्डी, बुढ़ी दिहंग, मानस, सकोंश, तिस्ता, दिसांग, दिखो, कुलसी, कपिली, कोपिती इत्यादि हैं।
प्रत्येक वर्ष वर्षा ऋतु में यह नदी अपने किनारों से ऊपर बहने लगती है एवं बाढ़ के द्वारा असम तथा बांग्लादेश में अधिक क्षति पहुँचती है।
नोट :-
DAV ⇒ धौलीगंगा + अलकनंदा = विष्णुप्रयाग
NAN ⇒ नंदाकिनी + अलकनंदा = नंदप्रयाग
PAK ⇒ पिंडार + अलकनंदा = कर्णप्रयाग
MAR ⇒ मन्दाकिनी + अलकनंदा = रुद्रप्रयाग
BAD ⇒ भागीरथी + अलकनंदा = देवप्रयाग