8. चिंतन का चमत्कार
8. चिंतन का चमत्कार
चिंतन का चमत्कार⇒
चितन में इतनी अद्भुत क्षमता है कि इसके द्वारा व्यक्ति अपने-आपको आसमान से धरती पर, धरती से पाताल तक तथा पाताल से धरती पर एवं धरती से आसमान की अगम ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। इस रहस्य को जानकर उत्कृष्ट एवं विधेयक चिंतन को ही प्रश्रय दें।
चिंतन मस्तिष्क, मन और शरीर सभी को प्रभावित करता है। अगर तीन व्यक्तियों, जिसमें एक क्रोध से थर-थर कांप रहा हो या किसी चिंता से हाल-बेहाल हो, दूसरा शांत और प्रसन्न हो तथा तीसरा परमात्मा के गंभीर ध्यान में मग्न हो, के मस्तिष्क का E.E.G. लिया जाए तो तीनों के मस्तिष्क में उठने-गिरने वाली तरंगों में स्पष्ट विभिन्नता परिलक्षित होगी।
शरीर के विभिन्न अंगों की भिन्न-भिन्न अंतःस्त्रावी ग्रंथियां- चिंता, क्रोध, घृणा, लोभ, कामुकता, द्वेष, तनाव आदि के समय एक विशेष प्रकार के जहर का स्राव करने लग जाती हैं। यह स्राव स्वस्थ शरीर और स्वस्थ चिंतन दोनों के लिए घातक है।
इस पर वैज्ञानिकों ने खोज किया। प्रसन्नता की अधिकता में गिरे हुए अश्रुओं तथा दुख तनाव में बहे अश्रुओं, दोनों का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि दुख एवं तनाव में बहे अश्रु गर्म थे तथा उसमें शरीर के लिए हानिकारक तत्त्व भारी मात्रा में विद्यमान थे। इसके विपरीत प्रसन्नता में गिरे अश्रु अपेक्षाकृत ठंढे थे तथा उसमें शरीर एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी तत्त्वों का समावेश था।
स्रोत: चिंता क्यों