30. हिमालय के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालें।
30. हिमालय के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालें।
हिमालय के आर्थिक महत्व
हिमालय की उत्पति:-
हिमालय की उत्पत्ति की व्याख्या हैरीहेस के द्वारा दिया गया सिद्धांत प्लेट विवर्तनिक के सिद्धांत से करते है। प्रारंभ में सारे महाद्वीप आपस में जुड़े हुए थे और उनके चारों ओर अवस्थित महासागर पैन्थालासा कहलाया। मेसोजोइक काल में पैंजिया के धसान से टेथीस महासागर बना।
टेथिस महासागर के उत्तरी भाग वाला प्लेट अंगारा प्लेट और दक्षिण भाग वाला प्लेट गोंडवाना प्लेट कहलाया। उन प्लेटों से होकर लाखों लाख वर्ष तक नदियाँ गुजरती रही और निक्षेपण का कार्य चलता रहा। इन निक्षेपण के परिणामस्वरूप भूपटल पर अत्याधिक मात्रा में अवसाद जमा हो गया, इन अवसादों के जमाव से भूपटल का भार बढ़ गया, गति उत्पन्न होने लगी, गोंडवाना प्लेट खिसकने लगा परिणामस्वरूप गोंडवाना का अग्रिम भाग बुल्डोजर के समान टेथिस सागर के ऊपर जमा मलवा पर दबाव बनाने लगा। जिसके कारण टेथिस सागर के मलवा के ऊपर बुल्डोजर विस्थापित हो गये, परिणामतः हिमालय की उत्पति हुई।
हिमालय का आर्थिक महत्व:
हिमालय पर्वत के निर्माण से भारत के भौतिक, आर्थिक एवं जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ा। हिमालय का आर्थिक महत्व निम्नलिखित है:-
(1) हिमालय पर्वत साइबेरिया और रूस की ओर से आनेवाली ठण्डी एवं शुष्क पवन से रक्षा करती है। जब अत्याधिक ठंडी हवा को हिमालय रोकती है तो इसका सीधा प्रभाव हमारे देश के आर्थिक क्रियाकलाप पर पड़ता है जैसे-
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ के अधिकतर लोग कृषक है और जब कृषक है तो वे अपने खेत-खलीहान में कार्य करते है। जब वे कार्य करने हेतु खेत को प्रस्थान करते हैं तो मौसम को अपने ध्यान में रखते हुए यदि अत्याधिक ठंड पड़े तो कृषक लोग खेत में कैसे काम करेंगें, परिणामत: हमारे उत्पाद पर असर पड़ेगा। इसलिए हिमालय साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवा को रोककर हमारे वातावरण को सामान्य बनाये रखता है।
(2) हिमालय पर्वत भारत के मौसम विज्ञान पर भी गहरा प्रभाव डालता है। हिमालय की उत्तंग हिम चोटियाँ उत्तरी भारत के तापमान एवं आर्द्रता को प्रभावित करती है। अपनी ऊँचाई और अवस्थिति के कारण ही यह अधिकांशत: आर्द्रता को हिम और हिम से जल रूप देती है। हिमालय के हिम क्षेत्रों से अनेक हिमानियाँ विकसित होती है। इससे ही सदानीरा नदी का उद्गम होता है, यहाँ के ढाल पर होने वाली वर्षा और झरना से मिलकर असंख्य नदियों को जन्म देती है।
गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों को जन्म देकर हिमालय अपना सब कुछ उसे अर्पित कर देती है अर्थात हिमालय पर एकत्रित हिम पानी का रूप लेकर इन नदियों में प्रवाहित होकर अपने उत्तमता का प्रमाण दिलाता है। इन नदियों के साथ बहाकर लायी गयी बारीक कांप मिट्टी मैदानों में फैला देती है और यदि कांप मिट्टी जिस मैदान में मिल गया उसकी उर्वरा शक्ति को कहने क्या है? हिमालय की नदियाँ जो बहती हुई भारत के अनेक क्षेत्रों तक जाती है उसका महत्व तो अकथनीय है।
अतः हिमालय से दूसरी बड़ी फायदा है कि यह भारत वर्ष के लिए सालों भर जल का आपूर्ति कराती है जिसमें बड़े-बड़े शहरों की जलापूर्ति की समस्या को आसानी पूर्वक हल कर देती है। बड़े-बड़े फैक्ट्री में आवश्यक जल की पूर्ती करती है। कृषि प्रधान भारतवर्ष के कृषकों के लिए सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराती है।
(3) हिमालय के हिम आच्छादित शिखर का दर्शन तो ना जाने कैसे कैसे कौतुहल पैदा करता है। उन हिम आच्छादित शिखर और प्राकृतिक सुन्दरता के कारण इस हिमालय का महत्व बहुत अधिक है। उन स्थानों पर भ्रमण करने के लिए लाखों लाख की संख्या में लोग पहुँचते हैं विशेषकर हिमालय के निचले भागों में आते है।
यहाँ ग्रीष्मावकाश में तो लोग शिमला, कुल्लू, मनाली, कांगड़ी, नैनीताल, मसूरी, देहरादून, चकराता, चम्बा, मुक्तेश्वर, अलमोड़ा, रानी खेत, भुवाली, कसौली, पहलगाँव, लेह, श्रीनगर, दार्जिलिंग का सैर करते हो।
यहाँ स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक, धार्मिक व सामाजिक वातावरण का लुत्फ उठाते है और ये सब एक दिन में संभव नहीं है। इसके लिए वे होटल में रहते है अर्थात यहाँ का प्रमुख व्यवसाय होटल, ढाबा, परिवहन के साधन, आवश्यक चीज की पूर्ति हेतू छोटे-छोटे दुकान अपनी प्राकृतिक छटा बिखेरती हिमालय ना जाने कितने लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। इससे यहाँ के स्थापित व्यवसाय से कर के रूप में सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है।
(4) हिमालय की घाटियों में जहाँ वृक्षों की सीमा समाप्त और हिम रेखा आरंभ होती है वहाँ छोटे-छोटे चारागाह पाये जाते है जिसे कश्मीर मे मर्ग जैसे- सोनमर्ग, गुलमर्ग और कुमायूँ में बुग्याल या प्यामार कहते हैं। इसमें कश्मीरी और लामा गड़ेरिये, भेड़े, बकरी चराते हैं। अर्थात इन चारागाह स्थल की अवस्थिति है हिमालय में जहाँ भेड़, बकरी के चारागाह उपलब्ध है और इन्हें पालने वाले ऊन, मांस, चमड़े आदि को बेच देते है। जिससे यहाँ के लोगों को जीविकोपार्जन होता है।
(5) पुराण को यदि माने तो हिमालय को देवता स्वरूप माना गया है। इसी के पर्वत श्रेणी में कैलाश, अमरनाथ, मानसरोवर, केदारनाथ, बद्रीनाथ, वैष्णों देवी, तारादेवी, उत्तरकाशी, लक्ष्मण झुला, हरिद्वार आदि प्रमुख तीर्थ स्थल है जहाँ दर्शन हेतु अनेक लोग आते है और इससे भारत सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है।
(6) जलवायु की विभिन्नता और ऊँचाई के कारण हिमालय पर्वत पर विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पति पायी जाती है। हिमालय पर्वत के ऊँचे ढालों पर सिल्वर फ्रूट, स्प्रूस, देवदार, बर्च, लार्च, चीड़ आदि वृक्ष मिलते हैं। यहाँ पर अनेक प्रकार के जड़ी-बूटी, कच्चा माल एवं वन्य प्राणियों का आजायबघर है। इन सब उत्पाद से हमारे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
यहाँ वैसे-वैसे जड़ी-बूटी मिलते है जो शायद ही दूनियाँ में कहीं मिल सके। ऐसे जड़ी-बूटी का उपयोग आज के प्रचलित दवा में मिश्रित कर के हो रहा है। यहाँ अनेक प्रकार के वन्य जीव देखने को मिलते हैं और उन्हें आजायबघर में रखा जाता है लोग इसे देखते है।
(7) बाहरी हिमालय श्रेणी पर असम से लेकर हिमाचल प्रदेश तक चाय और फल की खेती होती है। दार्जीलिंग असम के चाय के कहने क्या है? यहाँ के लोगों के जीविका के मुख्य साधन में से एक है। यह चाय निर्यात किया जाता है जिससे भारत को काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होता है।
यहाँ फल की खेती में सेब, बादाम, अंगूर, चेरी, खूवानी, आडू, अखरोट, नाशपाती आदि की खेती होती है। चाय के बाद सेब, अंगूर, चेरी, पूरे भारतवर्ष को उपलब्ध कराता है। इससे भी आय होते हैं।
इन क्षेत्र में जहाँ कहीं भी समतल भूमि मिल गई वहाँ चावल, गेहूँ, मिर्च, अदरक की खेती होती है। जिससे यहाँ के लोग अपने खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग करते है।
(8) यहाँ पर पेट्रोलियम, सीसा, ताँबा, निकिल, जस्ता, चाँदी, सोना, टंगस्टन, एंटीमनी, मैग्नेसाइट, चूना-पत्थर, बहुमूल्य-पत्थर, रत्न भंडार आदि खनिज पदार्थ के मिलने से इन पर्वतों का आर्थिक महत्व और भी बढ़ गया है। असम में खनिज तेल, भूटान एवं सिक्किम में ताम्बा अयस्क व कोयले के भण्डार पाये गये है।
यहाँ की जो खनिज की क्षमता है वह भी हिमालय की विशेषता को ही बताता है। इन खनिज की उपलब्धता से भारत दुनिया में अपना सर उठा कर बात करता है। इन खनिज के निष्कासन के लिए बड़ी संख्या में लोगों की आवश्यकता पड़ती है जिससे रोजगार की खाली होती संभावना को यह क्षेत्र पुर्ण करता है। इन खनिज उत्पाद से भारत तरह-तरह के समान बनाता है। अपना आवश्यकता पूरा करता है और अधिशेष को निर्यात कर विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है।
(9) हिमालय से निकलने वाली नदियों के मार्गों में पड़ने वाले जल-प्रपातो से सस्ती जल-विद्युत उत्पन्न की जाती है। सतलज पर भाखड़ा नांगल बाँध परियोजना अंतर्गत बाँध बनाकर जल विद्युत उत्पादन किया जाता है जिससे हमें विद्युत आपूर्ति होती है। इससे बड़ी मात्रा में कोयले का जलना बंद हो जाता है। सीमित संसाधन के वचाव का एक तरीका इन नदियों की उपस्थिति से ही संभव है।
टोंस, शारदा, गंडक, कोसी आदि नदियों का उपयोग भी जलशक्ति उत्पादन के लिए किया गया है।
अतः हम कह सकते है कि हिमालय भारत की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। रक्षा के साथ-साथ आर्थिक उपयोगिता दर्शाते हुए भारतवर्ष विकास के किए तत्पर है। हमें आवश्यकता है सही तकनीक दृष्टि डालकर उपयोग करने का।
Read More:
1. सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान (The Indus-Ganga-Brahmaputra Plain)
2. भारत के जनसंख्या वितरण एवं घनत्व (Distribution and Density of Population of India)
4.नदियों के किनारें बसे प्रमुख नगर
5. भारत की भूगर्भिक संरचना का इतिहास
6. भारत में गोण्डवानाक्रम के चट्टानों के निर्माण का आधार, वितरण एवं आर्थिक महत्व
7. प्राचीनतम कल्प के धारवाड़ क्रम की चट्टानों का आर्थिक महत्त्व
8. भारत के उच्चावच/भू-आकृतिक इकाई
9. हिमालय के स्थलाकृतिक प्रदेश
10. उत्तर भारत का विशाल मैदानी क्षेत्र
11. गंगा का मैदान
12. प्रायद्वीपीय भारत की संरचना
13. प्रायद्वीपीय भारत के उच्चावच या भूदृश्य
15. भारत का तटीय मैदान एवं द्वीपीय क्षेत्र
16. अपवाह तंत्र (हिमालय और प्रायद्वीपीय भारत) / Drainage System
17. हिमालय के विकास के संदर्भ में जल प्रवाह प्रतिरूप/विन्यास
18. गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
20. मानसून क्या है?
21. मानसून उत्पत्ति के सिद्धांत
22. मानसून उत्पत्ति का जेट स्ट्रीम सिद्धांत
23. एलनीनो सिद्धांत
24. भारतीय मानसून की प्रक्रिया / क्रियाविधि / यांत्रिकी (Monsoon of Mechanism)
25. भारतीय मानसून की प्रमुख विशेषताएँ तथा मानसून की उत्पत्ति संबंधी कारकों की विवेचना
26. मानसून के विकास में हिमालय तथा तिब्बत के पठार का योगदान
27. भारत के आर्थिक जीवन पर मानसून का प्रभाव
28. भारत में शीतकालीन वर्षा का आर्थिक जीवन पर प्रभाव
29. पश्चिमी विक्षोभ क्या है? भारतीय कृषि पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
30. हिमालय के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालें।
31. भारत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात
32. भारत में बाढ़ के कारण, प्रभावित क्षेत्र एवं समाधान