2. सीमान्त एवं सीमाएँ में अंतर / Difference Between Frontiers and Boundaries
2. सीमान्त एवं सीमाएँ में अंतर
(Difference Between Frontiers and Boundaries)
सीमान्त एवं सीमाएँ में अंतर⇒
सीमान्त और सीमाएँ दो राज्य या दो राष्ट्र या दो प्रशासनिक एवं राजनीतिक क्षेत्र को विभाजित करने वाली भू-राजनैतिक संकल्पना है। वे दोनों ही संकल्पनाओं में निम्नलिखित अन्तर स्थापित किया जा सकता है।
(1) सीमान्त एक ऐतिहासिक घटना है जबकि सीमा वर्तमान समय की राजनैतिक सच्चाई है। इन दोनों के बीच द्वितीय विश्वयुद्ध विभाजक रेखा का कार्य करता है।
(2) सीमान्त एक प्रादेशिक संकल्पना है जबकि सीमा एक रेखीय संकल्पना है। इसका तात्पर्य है कि सीमान्त क्षेत्र में विस्तृत भूमि पायी जाती थी। जबकि आज सीमाएँ एक रेखा में तब्दील हो चुकी है। अर्थात क्षेत्रफल या विस्तृत भूमि का अभाव होता है।
(3) सीमान्त प्राय: प्रतिकूल भौगोलिक क्षेत्र से गुजरता था। जैसे- भारत और चीन के बीच में हिमालय ऐसा ही सीमान्त क्षेत्र था। जबकि सीमा प्रतिकूल एवं अनुकूल दोनों क्षेत्रों से गुजरती है। जैसे- जब भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन हुआ तो भारत और पाकिस्तान के बीच में जिस सीमा का निर्धारण किया गया, वह गुजरात, राजस्थान इत्यादि में प्रतिकूल क्षेत्र लवणीय एवं मरुस्थलीय क्षेत्र से गुजरती है। जबकि पंजाब में निर्धारित की गयी सीमा अनुकूल क्षेत्र से गुजरती है।
(4) सीमान्त क्षेत्र में अपसारी शक्तियाँ कार्य करती है जबकि सीमा रेखा पर अभिसारी शक्तियाँ कार्य करती है। इसका तात्पर्य है कि सीमान्त क्षेत्र में कोई भी प्रशासनिक, राजनैतिक गतिविधियाँ संचालित नहीं की जाती थी। सेना का जमाव कीलों के ऊपर होता था न कि सीमान्त क्षेत्रों में होता था अर्थात् सीमान्त क्षेत्र राजनैतिक एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से शून्य क्षेत्र था।
अभिसारी सीमा का तात्पर्य दो अलग-2 राजनीतिक, प्रशासनिक, सैनिक अभिव्यक्ति का टकराव। आज कीलों (दुर्ग) की सुरक्षा महत्वपूर्ण नहीं रह गई है बल्कि सीमा की सुरक्षा महत्वपूर्ण रह गई है।
(5) सीमान्त क्षेत्र में पर्याप्त जनसंख्या और संसाधन होते हैं। लेकिन सीमा पर इसका अभाव होता है।
(6) सीमान्त की प्रकृति स्थायी होती थी। जबकि सीमा की प्रकृति अस्थाई होती है अर्थात् सीमा क्षेत्र में दो राष्ट्रों के द्वारा दावा एवं प्रतिदावा किये जाने के कारण कभी स्थिर नहीं रह पाती है।
(7) सीमान्त क्षेत्र प्रायः शान्ति का क्षेत्र होता था। लेकिन सीमा शान्त एवं अशान्त दोनों प्रकार के हो सकती है। जैसे- भारत, पाकिस्तान की सीमा, भारत-चीन की सीमा अशान्त सीमा के उदहारण है। जबकि USA और कनाडा की सीमा शान्त सीमा के उदा० है।
(8) सीमान्त क्षेत्र दो अलग-2 राज्यों को जोड़ने का कार्या करता था। जबकि सीमा क्षेत्र दो राज्यों के विभाजन के विभाजक का कार्य करती है।
(9) सीमान्त क्षेत्र की प्रकृति बर्हिमुखी हुआ करती थी जबकि सीमा की प्रकृति अन्तः मुखी हुआ करती है।
(10) सीमान्त क्षेत्र से कोई भावनात्मक संबंध राज्य की नहीं होता था। जबकि सीमा से राज्य का भावनात्मक लगाव होता है।
सीमान्त का सीमा में बदलना
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सभी सीमान्त रेखाएँ सीमा रेखा के रूप में बदल गयी क्योंकि –
(1) संचार साधनों एवं परिवहन साधने का विकास बहुत तेजी से हुआ जिसके आधार पर कोई भी राष्ट्र चप्पे-2 भूमि पर पहुँच सकता है और संचार साधनों के द्वारा उस पर नजर रख सकता है।
(2) तकनीकी विकास ने यह संभव बना दिया है कि प्रतिकूल क्षेत्र में सीमा का निर्धारण कर उसकी सुरक्षा की जाय।
(3) आधुनिक राज्यों में संसाधन के प्रति काफी जागरूकता आयी है। इसलिए प्रत्येक राज्य अपने संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है।
4) जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है उस दृष्टिकोण से भी कोई भी राष्ट्र अपने सीमा तक पूर्ण नियंत्रण चाहेगा।
(5) राज्य आधारित राष्ट्रीयता का विकास होने के कारण किसी भी राष्ट्र के लोग अपने सीमा क्षेत्र में स्थित सम्पूर्ण भूमि पर नियंत्रण चाहते हैं।
निष्कर्ष
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि सीमान्त एवं सीमाएँ दो अलग-2 संकल्पना है। लेकिन दोनों की मौलिक भावनाएँ एक ही है। सीमान्त जहाँ ऐतिहासिक अभिव्यक्ति थीं वहीं सीमा वर्तमान की अभिव्यक्ति है।