Unique Geography Notes हिंदी में

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POLITICAL GEOGRAPHY (राजनितिक भूगोल)

8. सीमान्त एवं सीमाएँ क्या हैं?

8. सीमान्त एवं सीमाएँ क्या हैं?



  सीमान्त एवं सीमा

     सीमान्त एवं सीमाओं का अध्ययन राजनीतिक भूगोल का महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि राजनीतिक भूगोल में राज्यों का अध्ययन किया जाता है। राज्यों के समुचित अध्ययन के लिए आवश्यक हो जाता है कि उनकी निश्चित सीमाएँ हों।

     सीमान्त तथा सीमाओं का प्रयोग सदैव समानार्थक अर्थों में होता रहा है तथा इसके अन्तर के सम्बन्ध में विद्वान एकमत नहीं रहे हैं। सीमा तो एक रेखा के रूप में है जबकि सीमान्त एक क्षेत्र होता है। सीमा रेखा सीमान्त के अन्दर होती है जो राज्यों के मध्य सम्प्रभुता को अलग करती है। सीमाएँ राज्य की अभिन्न अंग हैं, अतः राजनीतिक भूगोल में इन्हें अधिक महत्व दिया गया है।

सीमान्त (Frontiers)

      सीमान्त के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द Frontier की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Frons अथवा Frontis तथा फ्रेंच भाषा के Front शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ‘सम्मुख भाग’ या ‘अग्र भाग’ से है। सीमान्त (Frontier) के लिए Foreland, Borderland, Marchland, आदि समानार्थी शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है। इन सभी का आशय ‘एक ही राज्य के पृष्ठप्रदेश के क्षेत्रयुक्त अग्रिम भाग से है।’

     हिन्दी शब्द सीमान्त का आशय भी राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र से ही है।

प्रेसकाट के अनुसार, “सीमान्त क्षेत्र दो राज्यों के मध्य का राजनीतिक भाग है जो एक ही राज्य के सघन बसे हुए और विकसित मूल क्षेत्र (Core Area) से दूर सीमा के निकट निर्जन और अविकसित क्षेत्र होता है।””

गोबलेट के अनुसार, “सीमान्त वह भौगोलिक स्थिति है, जहाँ उसके विस्तार के विरुद्ध प्रतिरोधक शक्तियाँ तटस्थ हो जाती हैं।” अर्थात् सीमान्त राज्य के बहिर्वर्ती क्षेत्रों में विद्यमान क्षेत्रीय विस्तार है, यहाँ पर राज्य की प्रभुसता अपेक्षाकृत शिथिल हो जाती है।

मुडी के अनुसार, “एक सीमान्त का स्वरूप चाहे प्राकृतिक, भाषायी, धार्मिक या जातीय हो, उसे स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता है। इसके लक्षण परिवर्तित हो सकते हैं अथवा इसके सीमान्त सम्बन्धी कार्य समाप्त हो सकते हैं, परन्तु सीमान्त यथावत ही बना रहता है।”

डी ब्लिज ने सीमान्त का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि “सीमान्त राजनीतिक इकाई के एकीकृत क्षेत्र के बाहर का राजनीतिक भौगोलिक क्षेत्र है और इसमें राजनीतिक इकाई का विस्तार सम्भव है।”

क्रिस्टोक के अनुसार, “सीमान्त एक विस्तृत क्षेत्र है जो राज्य के पृष्ठ प्रदेश का अग्र भाग है।”

कर्जन के अनुसार, “सीमान्त यथार्थ में तीक्ष्ण धार है, जिस पर आधुनिक युद्ध अथवा शान्ति सम्बन्धी परिणाम अथवा राष्ट्रों का जीवन-मरण अवलम्बित है।” यद्यपि यह मान्यता अब समाप्त सी हो गई है, क्योंकि सीमान्तों का स्थान सीमा रेखाओं ने और सीमा रेखाओं का स्थान अतिरिक्त राष्ट्रीय सीमाओं ने ग्रहण कर लिया है। राज्यों के मध्य अनियंत्रित क्षेत्र अब समाप्त हो गए हैं, फिर भी

फिशर ने स्पष्ट किया है कि, “सीमान्त राज्य का वह अंग है जो सीमा रेखा के भीतर की ओर विस्तार लिए हुए होता है एवं अप्रत्यक्ष रूप से अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विलीन हो जाता है।”

वेगेट और प्रियर्स ने दो राज्यों के मध्य संक्रमण क्षेत्र के लिए सीमान्त शब्द को प्रयुक्त किया है, इसे वे सीमान्त स्थल (Borderland) भी कहते हैं।

      उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सीमान्त क्षेत्र राज्यों के मध्य का संक्रमण क्षेत्र है जो राज्य के मूल क्षेत्र से दूर स्थित रहता है और जो सीमा रेखा के रूप में न रहकर एक क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में रहता है। यह प्राकृतिक रूप से निर्मित क्षेत्र होता है और राज्य की सीमाओं की परिधि में किसी भी प्रकार के राजनीतिक परिवर्तन या युद्ध आदि को सबसे पहले सहन करता है। चूंकि सीमान्त दो राज्यों के मध्य संक्रमण क्षेत्र के रूप में है अतः दोनों राज्यों की राजनीतिक विचारधारा का प्रवाह इसी क्षेत्र से होकर जाता है।

सीमाएँ (Boundaries)

      शब्दकोश के अनुसार सीमा का अर्थ क्षेत्र विशेष को घेरकर परिसीमित करना अथवा आबद्ध करना है। राजनीतिक भूगोल में सीमा दो राज्यों के बीच वह रेखाएँ हैं जो एक राज्य की प्रभुसत्ता को पड़ोसी राज्य से पृथक करती हैं। ये मानचित्र पर एक रेखा के रूप में चिह्नित की जाती हैं। मानचित्र एवं धरातल पर रेखात्मक रूप में ये सीमाएँ दो संलग्न राज्यों के पृथक-पृथक अस्तित्व को स्पष्ट करती हैं। साथ ही आकाशीय सीमा और भौमिकीय तल को भी ये सीमा रेखाएँ दो राज्यों के मध्य अलग कर देती हैं।

     सीमा रेखाओं का अध्ययन राजनीतिज्ञों, तिथि विशेषज्ञों, सैन्य विशेषज्ञों, भूगोलवेत्ताओं और इतिहासवेत्ताओं द्वारा किया जाता रहा है। भूगोलवेत्ता सीमा रेखाओं का अध्ययन इसलिए करता है कि वे सांस्कृतिक दृश्यावली के तत्व हैं तथा राजनीतिक प्रभुसत्ता की सीमाएँ भी। भौगोलिक तथ्य सीमा की स्थिति तथा उसके प्रकार के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और एक बार सीमा निर्धारण के पश्चात् ये राज्य की भू-दृश्यावली पर भी प्रभाव डालते हैं।

एन्सेल (Ancel, J.) ने “सीमा को दो राज्यों के मध्य दबाव का परिणाम बताते हुए, इनके मध्य की साम्यावस्था रेखा को सीमा रेखा कहा है।” स्पष्ट है कि सीमा रेखा द्वारा पृथक किए गए राज्य अपनी स्वतंत्र विचारधारा एवं कार्यात्मक इकाई का विकास कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में दोनों राज्यों की प्रभुसत्ता का दबाव सीमाओं पर पड़ता है। इस दबाव के मध्य जहाँ सन्तुलन की स्थिति रहती है, वहीं से होकर सीमा रेखा खींची जाती है।

स्पाइकमेन ने भी “सीमा रेखाओं को उन रेखाओं की संज्ञा दी है जहाँ राज्य दबाव शक्तियाँ प्रायः तटस्थ या निष्क्रिय रहती हैं।”

प्रेसकॉट (Prescott) के अनुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय व संघीय सीमा रेखाएँ सामान्यतः द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौते द्वारा अंकित की जाती हैं।”

बोग्ज (Boggs) के अनुसार, “सीमा के दोनों ओर प्रत्येक राज्य, प्रशासन, व्यापार, सुरक्षा, आर्थिक विकास और अपने अन्य अधिकारों का प्रयोग करता है।” अर्थात् सीमा रेखा के दोनों ओर अलग-अलग स्वरूप वाली राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक पद्धति विकसित होती है और सम्पूर्ण क्षेत्रीय इकाई में इन पद्धतियों का प्रसार होता है।

       सीमा में पृथक्कीकरण कार्य से सम्बन्धित बोग्ज के निम्नलिखित विचार विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, “सीमा की स्थिति लाखों लोगों के लिए इस बात को निर्धारित करेगी कि विद्यालय में बच्चों को कौन-सी भाषा तथा विचार दिए जाएंगे अथवा लोग कौन-सी पुस्तकें तथा समाचार-पत्र खरीद सकेंगे या पढ़ेंगे, वे किस मुद्रा का प्रयोग करेंगे, किन बाजारों में वस्तुओं को खरीदेंगे या बेचेंगे। साथ ही सीमा यह भी निश्चित करेगी कि लोग किस प्रकार की राष्ट्रीय संस्कृति से सम्बन्धित होंगे अथवा किस सेना के अन्तर्गत सेवा करने के लिए बाध्य होंगे तथा किस भूमि की रक्षा अपने जीवन का बलिदान देकर करेंगे चाहे वे इस बात के इच्छुक हो या नहीं।”

मूडी (Moodie) के अनुसार, “सीमा-रेखा उस क्षेत्र का निर्धारण करती है जिसके अन्तर्गत राज्य की आन्तरिक व्यवस्था विकसित होती है एवं इसी के सहारे विभिन्न राज्य प्रणालियाँ एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं अतः यह भौगोलिक लक्षण नहीं होकर राजनीतिक है।”

पाउण्ड्स (Pounds) के अनुसार, “सीमाएँ राज्य की सार्वभौमिकता को पड़ोसी राज्य से पृथक करती है।”

     स्पष्ट है कि सीमा रेखाएँ वस्तुतः जहाँ एक ओर तो दो राज्यों के मध्य विभाजक की भूमिका निभाती हैं वहीं दूसरी ओर एक राज्य क्षेत्र की बाहरी सीमा को निर्धारित कती हैं।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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