Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

BSEB CLASS 10

इकाई 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग / बिहार बोर्ड-10 GEOGRAPHY SOLUTIONS  खण्ड (क)

बिहार बोर्ड वर्ग-10वाँ GEOGRAPHY SOLUTIONS 
खण्ड (क)

इकाई 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

संसाधन एवं उपयोग


संसाधन एवं उपयोग

वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर
1.कोयला किस प्रकार का संसाधन है?
(a) अनवीकरणीय
(b) नवीकरणीय
(C) जैव
(d) अजैव
उत्तर- (a) अनवीकरणीय
2.सौर ऊर्जा निम्नलिखित में से कौन-सा संसाधन है:
(a) मानवकृत
(b) पुनः पूर्तियोग्य
(C) अजैव
(d) अचक्रीय
उत्तर- (b) पुनः पूर्तियोग्य
3. तट रेखा से कितने कि०मी० क्षेत्र सीमा अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र कहलाते है?
(a) 100 N.M.
(b) 200N.M.
(C) 150 N.M.
(d) 250N.M.
उत्तर- (b) 200 N.M.
4. डाकुओं की अर्थव्यवस्था का संबंध है:-
(a) संसाधन संग्रहण से
(b) संसाधनों के अनियोजित विदोहन से
(C) संसाधन के नियोजित दोहन से
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर- (b) संसाधनों के अनियोजित विदोहन से
5. समुद्री क्षेत्र में राजनैतिक सीमा के कितनी कि०मी० क्षेत्र तक राष्ट्रीय सम्पदा निहित है:-
(a) 10.2 कि०मी०
(b) 15.5 कि०मी०
(C) 12.2 कि०मी०
(d) 19.2 कि०मी०
उत्तर- (d) 19.2 कि०मी०
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1. संसाधन को परिभाषित कीजिये।
उत्तर- संसार में उपलब्ध वे सभी वस्तुएँ जिसका मानव अपने उपयोग में करता हो उसे संसाधन कहते है। जिमरमैन के अनुसार, संसाधन होते नहीं बनते हैं। संसाधन भौतिक एवं जैविक दोनों हो सकते हैं। भूमि मृदा,जल खनिज जैसे भौतिक संसाधन मानवीय आकांक्षाओं की पूर्ति संसाधन बन जाते हैं। जैविक संसाधन वनस्पति, वन्यजीव तथा जलीय जीव जो मानवीय जीवन को सुखमय बनाते हैं।
प्रश्न 2. संभावी एवं संचित-कोष संसाधन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संभावी संसाधन- संभावी संसाधन ऐसे संसाधन को कहते है जिसका उपयोग भविष्य में लाये जाने की संभावना बनी रहती है। यह किसी विशेष क्षेत्र में मौजूद होते है। जैसे- हिमालयी क्षेत्र का खनिज, राजस्थान एवम गुजरात क्षेत्र में पवन और सौर ऊर्जा का उपयोग अभी तक नहीं किया किया गया।
संचित-कोष संसाधन- ऐसे संसाधन जिसे वर्तमान में उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है, संचित-कोष संसाधन कहलाता है। यह भी भविष्य की पूँजी है। जैसे – नदी जल का उपयोग भविष्य में व्यापक रुप से जल विधुत निर्माण में किया जाएगा।
प्रश्न 3. संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर – संसाधनों का योजनाबद्व समुचित एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संसाधन संरक्षण कहलाता है। संसाधनों  का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग विविध प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देते है। अतः इन समस्याओं से बचने हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता है। इस संदर्भ में महान दार्शनिक महात्मा गांधी के विचार प्रासंगिक है – “हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत कुछ है लेकिन पेटी के लिए कुछ नहीं”। मेधा पाटेकर का ‘नर्मदा  बचाओ आंदोलन’ सुंदर लाल बहुगुणा का ‘चिपको आंदोलन’ एवं संदीप पाण्डे  द्वारा वर्षा -जल संचय कर कृषित भूमि का विस्तार,संसाधन संरक्षण दिशा में अत्यंत सराहनीय  कदम है।
प्रश्न 4. संसाधन निर्माण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संसाधन-निर्माण में तकनीक की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है, केवल संसाधनों की उपलब्धता से ही विकास संभव नहीं है बल्कि संसाधनों में वांछित परिवर्तन के साथ-साथ तकनीकी  का उपयोग करना अति आवश्यक है। क्योंकि अनेक प्रकृति-प्रदत्त वस्तुएँ तब तक संसाधन का रूप नहीं लेती जबतक कि किसी विशेष तकनीक द्वारा उन्हें उपयोगी नहीं बनाया जाता। जैसे- नदियों के बहते जल से पनबिजली उत्पन्न करना, बहती हुई वायु से पवन ऊर्जा उत्पन्न करना, भूगर्भ में उपस्थित खनिज अयस्कों का शोधन कर उपयोगी बनाना, इन सभी में अलग-अलग तकनीकों की आवश्यकता होती है। 
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1. संसाधन के विकास में ‘सतत विकास’ की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
उत्तर- पर्यावरण को क्षति पहुँचाये बिना भविष्य की आवश्यताओं के मद्देनजर, वर्तमान विकास को कायम रखने की धारणा ही ‘सतत विकास’ की अवधारणा कहलाता है। संसाधन मनुष्य के जीविका का आधार है। जीवन की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए संसाधनों के सतत विकास की अवधारणा अति आवश्यक है। ‘संसाधन प्रकृति प्रदत उपहार है’ की अवधारणा के कारण मानव ने इनका अंधाधुंध दोहन किया, परिणामस्वरूप अनेकों पर्यावरणीय समस्याएं उतपन्न हो गयी है। जैसे- भूमण्डलीय तपन (Global Warming), ओज़ोन क्षय, पर्यावरण-प्रदूषण, मृदाक्षरण, भूमि-विस्थापन, अम्लीय वर्षा, असमय ऋतु-परिवर्तन इत्यादि। 
                    अतः उपरोक्त समस्याओं से निजात पाने हेतु वर्तमान समय में सतत विकास की अवधारणा को विश्व स्तर पर पालन करने की आवश्यकता है ताकि विश्व शांति के साथ साथ जैव जगत को भी गुणवत्तापूर्ण जीवन लौट सके और वर्तमान विकास के  साथ भविष्य भी सुरक्षित हो सके।
प्रश्न 2. स्वामित्व के आधार पर संसाधन के विविध स्वरूपों का वर्णन कीजिये।
उत्तर- स्वामित्व के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते है-
व्यक्तिगत संसाधन: ऐसे संसाधन जिस पर किसी खास व्यक्ति का अधिकार हो उसे व्यक्तिगत संसाधन कहते है। जैसे- भूखंड, घर व अन्य जायदाद, बाग-बगीचा, तालाब, कुआँ इत्यादि जिस पर व्यक्ति निजी स्वामित्व रखता है।
सामुदायिक संसाधन- ऐसे संसाधन जिस पर किसी खास समुदाय का आधिपत्य होता है, उसे सामुदायिक संसाधन कहते है। जैसे- गाँवों में  श्मशान, मंदिर या मस्जिद परिसर, सामुदायिक भवन, तालाब आदि। शहरों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल मैदान, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, एवं गिरिजाघर।
राष्ट्रीय संसाधन- ऐसे संसाधन जिस पर राष्ट्र या देश का अधिकार हो, उसे राष्ट्रीय संसाधन कहते है। जैसे- किसी राजनीतिक सीमा के अंतर्गत भूमि, खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन व वन्यजीव एवं समुद्री जीव (200 KM महासागरीय क्षेत्र तक) राष्ट्रीय संसाधन है।

अंतरार्ष्ट्रीय संसाधन- ऐसे संसाधन जिस पर दो या दो से अधिक देशों का अधिकार हो, उसे अंतराष्ट्रीय संसाधन कहते है। जैसे- किसी देश की तट रेखा से 200 KM की  दूरी तक का क्षेत्र (अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र)।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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