15. वायुमण्डल का संगठन / Composition of The Atmosphere
15. वायुमण्डल का संगठन
(Composition of The Atmosphere)
वायुमण्डल⇒
ठोस पृथ्वी के चारों ओर गैंसों का एक आवरण मिलता है जिसे वायुमण्डल (Atmosphere) कहते हैं। इसकी कई विशेषताएँ है। जैसे:-
(i) वायुमण्डल के ही अंतर्गत कई प्रकार के मौसमी एवं जलवायु सबंधित घटनाएं घटित होती है। हमारा वायुमण्डल गैस, जलवाष्प और धुलकण से निर्मित है। जलवाष्प की उपस्थिति के कारण मौसमी घटनायें घटित होती है।
(ii) हमारा वायुमंडल कई उपपेटियों में विभक्त है।
(iii) वायुमण्डल में प्रतिरोधात्मक क्षमता है।
(iv) गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वायुमंडल पृथ्वी से चिपका हुआ है।
(v) वायुमण्डल में वायुदाब, वायुसंचरण, जलवायु परिवर्तन जैसे गुण पाये जाते हैं।
(vi) वायुमण्डल अपने आपको लगातार स्वच्छ बनाए रखता है।
वायुमण्डल का संगठन (Composition of the Atmosphere)
हमारा वायुमण्डल मुख्यत: गैस, जलवाष्प और धुलकण से निर्मित है। वायुमण्डल को निर्मित करने वाले संघटन की चर्चा नीचे कर रहे हैं-
(1) गैस (Gases)- हमारा वायुमंडल कई प्रकार के गैसों से निर्मित हैं।
क्रम | गैस | सूत्र | आयतन (% में) |
1. | नाइट्रोजन | N2 | 78.03 |
2. | ऑक्सीजन | O2 | 20.95 |
3. | आर्गन | Ar | 0.93 |
4. | कार्बन डाई ऑक्साइड | CO2 | 0.036 |
5. | नियॉन | Ne | 0.002 |
6. | हीलियम | He | 0.0005 |
7. | क्रिप्टन | Kr | 0.001 |
8. | जेनन | Xe | 0.00009 |
9. | हाइड्रोजन | H2 | 0.00005 |
उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक है। वायुमण्डल में यह दो कार्यों को सम्पन्न करता है-
(i) ऑक्सीकरण की क्रिया को मंद करता है या रोकता है।
(ii) नाइट्रोजन चक्र को संचालित करता है।
हमारे वायुमण्डल में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण गैस ऑक्सीजन है जो ऑक्सीकरण तथा प्रज्वलन की क्रिया में मदद करता है। साथ ही जैविक श्वसन क्रिया का प्रमुख आधार है।
हमारे वायुमण्डल में तीसरा सबसे महत्वपूर्ण गैस अक्रिय गैसे हैं। जैसे- आर्गन, नियॉन
सभी अक्रिय गैसों को मिलाने पर वायुमण्डल में इनकी मात्रा 1% है। इनमें भी सर्वाधिक आर्गन (0.93%) है। ये वायुमण्डल में अति अल्प मात्रा में मौजूद है। वायुमण्डल में रहकर यह कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ को निष्क्रिय करती है।
हमारे वायुमण्डल में ऑक्सीजन का एक अपरूप ओजोन (O3) के रूप में मौजूद है। यह गैस समताप मण्डल के ओजोन परत में पायी जाती है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों को शोखकर पृथ्वी को सुरक्षित करती है। इसलिए ओजन परत को “वायुमण्डल का छतरी” कहा जाता है।
हमारे वायुमण्डल का अगला महत्वपूर्ण गैस ग्रीनहाउस गैसें हैं। इसके अंतर्गत CO2, CO, CFC, CH4 मिथेन जैसे गैसों को शामिल करते हैं। इनमें सिर्फ CO2 को छोड़कर शेष सभी गैस वायुमण्डल में प्रदूषक के रूप में मौजूद रहते हैं। CO2 गैस प्राकृतिक रुप से वायुमण्डल में मौजूद रहता है। CO2 गैस ही पार्थिव विकिरण को अवशोषित कर वायुमण्डल को गर्म बनाये रखता है। CO2 को “वायुमण्डल का कम्बल” भी कहा जाता है।
अंतिम महत्वपूर्ण गैस हाइड्रोजन है जो जलवाष्प एवं जल के निर्माण में मदद करता है।
सामान्यतः समुद्रतल से 80 Km की ऊँचाई तक गैस समान अनुपात में पाये जाते हैं लेकिन उसके बाद गैंसों का भिन्न-2 स्तर पाया जाता है। जैसे:-
ऊँचाई गैसों का स्तर
(i) 80 – 200 किमी०- N2 गैस के अणुओं का स्तर
(ii) 200 – 1100 किमी०- O2 गैस के परमाणु का स्तर
(iii) 1100 – 3500 किमी०- He गैस का स्तर
(iv) 3500 – 10000 किमी०- H2 परमाणु का स्तर
(2) जलवाष्प (Water Vapour)-
जलवाष्प हमारे वायुमण्डल का दूसरा प्रमुख संघटक है। यह वायुमण्डल में 12 किमी० की ऊँचाई तक पायी जाती है। लेकिन 90% हिस्सा 8 किमी० की ऊँचाई तक ही मिलती है। कभी-2 वायु में चलने वाले संवहन तरंगों के कारण जलवाष्प को 50 किमी० की ऊँचाई तक पहुँचा दी जाती है। ये जलवाष्प ब्रह्माण्डीय धुल-कणों के साथ मिलकर विश्व में सबसे ऊँचाई पर मिलने वाले बादल निशा दीप्ति बादल का निर्माण करती है। वायुमण्डलीय जलवाष्प के कारण ही वर्षण क्रिया, बादल निर्माण क्रिया, कुहरा, कुहासा, ओस और आर्द्रण की क्रिया होती है। वायुमण्डल में जलवाष्प की आपूर्ति पृथ्वी के धरातल से ही वाष्पोत्सर्जन, वाष्पीकरण, उर्ध्वपातन (ठोस से गैस) की क्रिया द्वारा होता है।
(3) धुलकण (Dust Particle)-
वायुमण्डल का तीसरा सबसे प्रमुख संघटक धूलकण है। वायुमण्डल में इसकी आपूर्ति दो स्थानों से होती है- ब्रह्माण्ड और पृथ्वी के धरातल से। ब्रह्मण्ड से मिलने वाले धुलकण को ब्रह्मण्डलीय धूलकण कहते हैं। ये धुलकण दूसरे ग्रह, उपग्रह से विखण्डित होकर पृथ्वी पर गिरने वाला पदार्थ है। कभी-2 इनके आकार इतनी बड़ी होती है कि पृथ्वी पर उल्का वृष्टि की घटना घटती है।
पार्थिव धूलकण का मुख्य स्रोत धरातल है। ये परागण एवं हाइग्रोस्कोपिक (आर्द्रताग्राही) कण के रूप में मौजूद रहते हैं। वायुमण्डल में सर्वाधिक धुलकण की आपूर्ति समुद्र तटीय भागों से होती है। ये धूलकण वायुमंडल में जाकर जल की तुलना में पहले ठण्डी होने की प्रवृत्ति रखते हैं। इस कणों के इर्द-गिर्द आर्द्रता या जलवाष्प का संघनन होने लगता है जिससे जलबून्दों का निर्माण होने लगता है। सामान्य तौर पर वायुमण्डल में 12 Km की ऊँचाई तक धूलकण पाये जाते हैं लेकिन इसका अधिकांश भाग 5 किमी० की ऊँचाई तक मिलते हैं।
निष्कर्ष:
सैद्धांतिक रूप से हमारा वायुमण्डल गैस, जलवाष्प और धूलकण से निर्मित है। लेकिन तीव्र औद्योगिकीकरण, नगरीकरण, बढ़ती जनसंख्या इत्यादि के कारण कई प्रदूषक तत्व वायुमण्डल में छोड़े जा रहे हैं जिसके कारण वायु प्रदूषण, ओजोन क्षरण, ग्लोबल वार्मिंग, अम्ल वर्षा जैसी घटनायें घटित हो रही हैं। अत: आवश्यकता इस बात का है कि वायुमण्डल में मौजूद गैस, जलवाष्प एवं धुलकण के अनुपात को नियत बनाकर रखा जाय।
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