अध्याय 3.2 वस्त्र उद्योग
इकाई 3. अध्याय 3.2 (ख) वस्त्र उद्योग
बिहार बोर्ड के 8वीं कक्षा का भूगोल विषय का सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर
सरल एवं आसान शब्दों में उत्तर देना सीखें
I. बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
सही विकल्प को चुनें।
1. टेक्सटाइल का मतलब होता है-
(क) जोड़ना
(ख) बुनना
(ग) नापना
(घ)सिलना
उत्तर – (ख) बुनना
2. देश में कपड़े की मील सबसे पहले लगाई गयी-
(क) कोलकाता में
(ख) मुंबई में
(ग) लुधियाना में
(घ) वाराणसी में
उत्तर – (क) कोलकाता में
3. 1854 में कपड़े की मील लगी-
(क) कोलकाता में
(ख) हैदराबाद में
(ग) सूरत में
(घ) मुंबई में
उत्तर- (घ) मुंबई में
4. सिल्क प्राप्त होता है-
(क) कपास से
(ख) रेयान से
(ग) कोकून से
(घ) पेड़ों से
उत्तर- (ग) कोकून से
5. वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक है-
(क) ऊर्जा
(ख) कच्चा माल
(ग) श्रम
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ख) कच्चा माल
II. खाली स्थान को उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।
1. भागलपुर शहर रेशमी वस्त्र उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
2. सूती वस्त्र उद्योग एक कुटीर उद्योग है।
3. कपड़ों की बुनाई को टेक्सटाइल कहा जाता है।
4. ढाका मलमल के लिए प्रसिद्ध है रहा है।
5. अहमदाबाद को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 50 शब्दों में)
(1) प्राकृतिक रेशे क्या है?
उत्तर- जो रेशे प्राकृतिक रूप से अर्थात भेड़ों, बकरियों, कोकून तथा पौधों से तैयार किये जाते हैं उसे प्राकृतिक रेशे कहा जाता है।
(2) मानव निर्मित रेशे का नाम लिखिए।
उत्तर- मानव निर्मित रेशे का नाम – नाइलान, पालिस्टर, एक्रोलियम, रेयॉन इत्यादि।
(3) मशीनों से कपड़ों का उत्पादन सस्ता होता है। क्यों?
उत्तर- धागे से कपड़े बुनना एक प्राचीन कला है। लेकिन अब यही कला उद्योग का रूप ले चुका है। मशीनों से कपड़े बनाने में कम समय लगता है।इसमें मजदूर भी कम लगते हैं और बहुत अधिक मात्रा में कच्चा माल खरीदना भी सस्ता पड़ता है। इसलिए मशीनों से कपड़ों का उत्पादन सस्ता होता है और जल्दी बनता है।
(4) गर्म कपड़ों की थोक खरीदारी किस जगह पर होती है और क्यों?
उत्तर- गरम कपड़ों की थोक खरीदारी लुधियाना तथा दिल्ली से होती है क्योंकि वहाँ अत्यधिक मात्रा में मिल हैं तथा कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो जाता है जिससे कपड़े कम कीमत पर उपलब्ध हो जाते हैं।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 200 शब्दों में)
1. वस्त्र उद्योग की स्थापना में सहायक कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- (i) कच्चे माल की उपलब्धता- वस्त्रोद्योग हेतु कच्चे माल की उपलब्धता महत्त्वपूर्ण कारक है। समुद्री हवाओं और नमी के कारण गुजरात, महाराष्ट्र में अच्छी गुणवत्ता के कपास कच्चे माल के रूप में उपलब्ध होती है। गुजरात की काली मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए काफी उर्वर है। ऊन से बनने वाले कम्बल, स्वेटर आदि गर्म कपड़े पंजाब कश्मीर में ज्यादा उपलब्ध हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में भारी संख्या में ऐसे जानवर पाये जाते हैं।
(ii) परिवहन की सुविधा- वस्त्रों से संबंधित उत्पादन क्षेत्र निर्यात व आयात करने के लिए मुम्बई, कोलकाता, सौराष्ट्र, कोयम्बटूर (तमिलनाडु) इत्यादि बन्दरगाहों, सड़क, रेलमार्गों व वायुमार्गों से नजदीक अवस्थित है। इससे कच्चा व तैयार माल सम्पूर्ण देश में पहुँचाया जाता है। साथ ही यूरोपीय देशों से आधुनिक मशीनें भी आयात करने में सुविधा होती है।
(iii) जलवायु- वस्त्र उद्योग के लिए नम जलवायु आवश्यक है। अंगर जलवायु नम नहीं होगी तो कपास के रेशे से निर्मित धागे टूटने लगते हैं। इस अवस्था में धागों में गाँठे पड़ जाएँगी तथा कपड़े की बुनावट अच्छी और मजबूत नहीं हो पायेगी। ऐसी जलवायु के अभाव में कृत्रिम रूप से आर्द्र जलवायु उपलब्ध करायी जाती है।
(iv) पूँजी की उपलब्धता- इसके बिना उद्योगों की कल्पना भी नहीं कर सकते है। मुम्बई, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे स्थानों में पर्याप्त पूँजी निवेशक उपलब्ध है। मुम्बई के प्रमुख पारसी व्यापारियों ने विदेशी व्यापार से जो धन अर्जित किया उसे वस्त्र उद्योग में लगाया, जिससे वस्त्रोद्योग को काफी विस्तार मिला।
(v) श्रम की उपलब्धता- मुम्बई की मिलों में काम करने के लिए मजदूर, कोंकण, सतारा, शोलापुर, रत्नागिरि जैसी जगहों से आते हैं। उसी प्रकार कलकत्ता की मिलों के लिए मजदूर बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और असम से उपलब्ध होते हैं जिसके कारण इस उद्योग को विकसित होने में सुविधा हुई है।
(vi) विस्तृत बाजार की उपलब्धता- वस्त्र उद्योग की स्थापना बाजार को देखते हए भी की जाती है। दिल्ली, कलकत्ता, लुधियाना, कानपुर इत्यादि में स्थापित वस्त्रोद्योग की इकाईयाँ बाजार के आधार पर ही विकसित की गई हैं।
(vii) सस्ती ऊर्जा की सुविधा- मुम्बई की कपड़ा मिलों को पश्चिमी-घाट पर स्थित टाटा जल विद्युत योजना से सस्ती विद्युत शक्ति प्राप्त हो जाती है। उसी प्रकार कलकत्ता की मिलों को रानीगंज, झरिया से कोयले की प्राप्ति हो जाती है। तमिलनाडु की मिलों को पायकारा जल विद्युत योजना से सस्ती बिजली प्राप्त होती है।
(vi) इच्छाशक्ति- किसी भी उद्योग की स्थापना के लिए इच्छाशक्ति का होना बहुत जरुरी है।
2. भारत के सूती वस्त्र उद्योग का विवरण दीजिए।
उत्तर- भारत का सूती वस्त्र उद्योग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लगभग एक चौथाई भाग है। भारत में कपड़े का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1950-51 में 4 अरब वर्ग मीटर कपड़ा तैयार किया गया था जो अब 34 अरब वर्ग मीटर हो गया है। आधुनिक सूती वस्त्र उद्योग में वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया कई स्तरों से गुजरती है। शुरू में मशीनों द्वारा कपास से बीज निकाले जाते हैं, जिसे ‘गिनिंग’ कहते हैं। इसके बाद कपास को इकट्ठा कर गाँठ तैयार किया जाता है। गाँठों द्वारा कपास के धागे बनाए जाते हैं। फिर इन धागों की सहायता से मशीनों द्वारा कपड़ा तैयार किया जाता है।
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