Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

GEOGRAPHICAL THOUGHT(भौगोलिक चिंतन)

11. मानवतावादी भूगोल या मानवतावाद एवं कल्याण उपागम 

11. मानवतावादी भूगोल या मानवतावाद एवं कल्याण उपागम


मानवतावादी भूगोल या कल्याण उपागम⇒

              भूगोल के विषय वस्तु को विकसित करने के लिए अनेक उपागम विकसित किये गये। भूगोल में इस उपागम की शुरूआत 1960-70 के दशक के बीच माना जाता है। भूगोल में इस उपागम का जन्म मात्रात्मक भूगोल, प्रत्यक्षवाद और क्षेत्रीय विश्लेषण जैसे उपागम के विरुद्ध हुआ। यह उपागम मात्रात्मक क्रान्ति के विरुद्ध है क्योंकि मात्रात्मक क्रांति में मानवीय विषय तथा मानवीय मुद्दे (जैसे- मानवीय मूल्य, प्रथा, परम्परा, सामाजिक संस्था, सौंदर्य, बोध, प्रेम, घृणा) जैसे तथ्यों का अध्ययन नहीं करता है जबकि ये भूगोल के ही विशिष्ट विषय-वस्तु है।
              मानवतावादी भूगोल प्रत्यक्षवाद के भी विरुद्ध है क्योंकि प्रत्यक्षवाद उन्हीं तथ्यों का अध्ययन करता है जिसे आँखों से देखा जा सके। लेकिन मानवतावाद एवं कल्याणकारी उपागम वैसे तथ्यों का अध्ययन करता है जिसे मात्र अनुभव किया जा सके।
मानवतावादी भूगोल
              मानवतावाद एवं कल्याणकारी भूगोल की एक ऐसी उपागम है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित तथ्यों के ऊपर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
(1) यह उपागम मानव को एक सक्रिय एवं केन्द्रीय उपागम मानते हुए भूगोल का अध्ययन करता है। यह उपागम मानव के विभिन्न संस्थाओं, मानवीय जागरूकता, मानव की क्रियाशीलता, मानव की बौद्धिकता इत्यादि का अध्ययन करता है।
(2) यह उपागम भूगोल का अध्ययन सम्पूर्णता से करके मानव कल्याण की दिशा निर्धारित करना चाहता है।
(3) यह एक ऐसा दर्शन है, जो वैज्ञानिक जाँच के पूर्व विश्व के रहस्यों को उद्घाटित करता है।
(4) मानवतावादी भूगोल किसी स्थान या स्थलाकृति का केवल मूर्त अध्ययन नहीं करता है बल्कि उसके कार्य एवं कारण का भी अध्ययन करता है।
           भूगोल में मानवतावादी भूगोल एवं कल्याणकारी भूगोल शुरुआत करने का श्रेय इमैनुएल काण्ट को जाता है। इसके अलावे फ्रांसीसी भूगोलवेता फेब्रे एवं ब्लाश भी इसके बड़े समर्थक रहे हैं। आधुनिक संदर्भ में गुल्के एनी बंटीमर और यी-फू तुआन जैसे भूगोलवेता इसके सबसे बड़े समर्थक रहे हैं। इसके अलावे व्यवहारवादी भूगोल / आचारपरक भूगोलवेता विलियम किर्क, फेनोमेनोलोजी के समर्थक कार्लसावर एवं टेल्फ जैसे भूगोलवेता भी इसके समर्थक रहे हैं।
            गुल्के महोदय ने इस उपगम का समर्थन करते हुए कहा है कि “मानसिक क्रियाशीलता का नियंत्रण पदार्थ एवं क्रियाशीलताओं से नहीं हो सकता वरन विश्व को अप्रत्यक्ष रूप से विचारों को जाना जा सकता है जो अन्त: व्यक्ति के विषयगत अध्ययन पर आधारित होता है। जैसे-
           एनीबंटीगर अपने पुस्तक “The challange of Geographic Humanic in Humanistic Geographic” में कहा है कि “किसी घटना तथा वहाँ के लोगों का अध्ययन उनके निकट जाकर किया जाना चाहिए न कि दूर हटकर तभी उनके समस्याओं को जानकर आप कल्याण की बात कर सकते हैं।
मानवतावादी भूगोल
यी-फू तुआन
            यी-फू तुआन महोदय ने अपने पुस्तक “Geography, Phenomenology & the study of Human Nature” में कहा है कि मानवतावाद एवं कल्याणकारी उपागम मानव भूगोल का दर्पण है जो मानव अस्तित्व तथा जीवन के सार को बताता है। इस तरह मानवतावाद एवं कल्याणकारी उपागम को विकसित करने में कई भूगोलवेताओं का योगदान रहा है।
         यह एक ऐसा उपागम है जो भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के बीच अन्तर स्थापित करता है तथा जो केवल सहयोगी अवलोकन पर विशेष ध्यान देता है। लेकिन सहयोगी अवलोकन के आधार पर भूगोल में सिद्धांत का निर्माण, निष्कर्ष निकालते का कार्य इत्यादि नहीं किया जा सकता। मानवतावादी भूगोल, भूगोल के विधितंत्र से संबंधित नहीं है बल्कि मानव भूगोल को समझते हेतु एक नई दृष्टिकोण देता है।
आलोचना
           मानवतावाद एवं कल्याकारी उपागम का कई आधारों पर आलोचना भी की जाती है। जैसे:-
(i) यह मानवीय गुणों के प्रति अत्याधिक संवेदनशील होता है।
(ii) यह उपागम मॉडल निर्माण, सिद्धांत निर्माण, स्थानीयकाण विश्लेषण, भूमि उपयोग जैसे तथ्यों के समझने या व्याख्या करने में मदद नहीं करता है।

(iii) 1976 ई० में इन्द्रीकीन महोदय ने इसका आलोचना करते हुए कहा है कि यह एक उपदेश देने वाला उपागम है न कि मात्रात्मक क्रांति जैसे अन्य उपागम की तरह मानव भूगोल के अध्ययन का वैकल्पिक प्रारूप प्रस्तुत करता है।



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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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