6. भूगोल में मापनी (Scale)
6. भूगोल में मापनी एवं मापनी के प्रकार
भूगोल में मापनी एवं मापनी के प्रकार
⇒ मापनी (Scale) के द्वारा मानचित्र पर के दूरी और धरातल पर के दूरी के बीच सह-संबंध स्थापित किया जाता है।
⇒ मापनी में धरातलीय दूरी को कम करके प्रदर्शित किया जाता है, अर्थात् मानचित्र पर वास्तविक धरातल पर के सापेक्षिक दूरी और वास्तविक दूरी के अनुपात को मापनी कहते हैं। इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। जैसे- अगर धरती पर के वास्तविक दूरी 5km को 1Cm के रूप में दिखलायी जाती है तो मापनी का मान 1Cm = 5Km होगा।
मापक को विभिन्न विद्वानों ने परिभाषित करने का प्रयास किया है। प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएँ यहाँ दी जा रही हैं-
स्ट्रेलर के अनुसार, “मापक धरातल की वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर प्रदर्शित दूरी के पारस्परिक अनुपात को कहते हैं”।
(Scale is the ratio between map distance and the actual ground distance that the map represents.)
मोंकाहाउस एवं विलकिन्सन के अनुसार, “मापक मानचित्र पर प्रदर्शित की गई किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी तथा धरातल पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी के पारस्परिक सम्बन्ध को प्रकट करता है, चाहे वे कथन द्वारा जैसे 1″ = 1 मील या प्रदर्शक भिन्न द्वारा जैसे प्र भि. 1/63360, प्रकट किया गया है।”
(Scale denotes the relationship which the distance between any two points on the map bears to the corresponding distance on the ground, expressed either in words as one inch to one mile or as a representative fraction R.F. 1/63360.)
कनेटकर एवं कुलकर्णी के अनुसार, “किसी मानचित्र या ड्राइंग का मापक, मानचित्र या ड्राइंग की प्रत्येक दूरी तथा उससे सम्बन्धित धरातल की दूरी के निश्चित अनुपात को कहते हैं।”
(The scale of a map or drawing is the fixed proportion in which every distance on the map or drawing bears to the corresponding distance on the ground.)
आर० एल० सिंह के अनुसार, “धरातल की वास्तविक दूरी तथा उसकी मानचित्र पर प्रदर्शित दूरी के सम्बन्ध को मापक कहते हैं।”
मापक का महत्व (Importance of Scale)-
⇒ मापक के माध्यम से छोटे क्षेत्रों को बड़े आकार में तथा बड़े क्षेत्रों को छोटे आकार में मानचित्रों के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
⇒ मापक द्वारा किसी भी मानचित्र में दो स्थानों (बिन्दुओं) के मध्य धरातल की वास्तविक दूरी ज्ञात की जा सकती है।
⇒ मापक के माध्यम से एक मानचित्रकार अपने उद्देश्य के अनुसार किसी भी क्षेत्र का छोटा या बड़ा मानचित्र तैयार कर सकता है।
इस प्रकार मापक मानचित्र का प्राण माना जाता है। इसके बिना मापक का कोई महत्व नहीं होता है। बिना मापक के बनाए गए मानचित्र को रेखा मानचित्र (Sketch Map) कहा जाता है। इसको सहायता से भी धरातल के प्रत्येक भाग का प्रदर्शन कागज पर किया जा सकता है। मानचित्र के उपयुक्त मापक चुनते समय (i) कागज तथा (ii) मानचित्र की रचना करने का उद्देश्य आदि पर विशेष निर्भर रहना पड़ता है।
Or 1Cm = 5x1000m x 100Cm
Or 1Cm = 500000Cm
RF = 1 : 500000
भूगोल में मापनी के प्रकार
(A) आकार के आधार पर मापनी दो प्रकार का होता है:-
(i) लघु मापनी (Small Scale)
(ii) दीर्घ मापनी (Large Scale)
(i) लघु मापनी (Small Scale)
⇒ लघु मापनी में वास्तविक दूरी को मील या किमी० के रूप में और मानचित्र के दूरी को इंच या सेमी० के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
जैसे – 1″ = 50 मील
1 Cm = 50 km
⇒ लघु मापनी पर धरातल के वास्तविक दूरी को मानचित्र पर छोटे से इकाई के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इस प्रकार के मापनी का प्रयोग एटलस और दीवार मानचित्र में किया जाता हैं।
(ii) दीर्घ मापनी (Large Scale)
⇒ दीर्घ मापनी में धरातल के छोटे-2 दूरियों को बड़े इकाई में प्रदर्शित किया जाता है। जैसे – 1Cm = 500cm।
⇒ दीर्घ मापनी का प्रयोग भूसम्पत्ति मानचित्र (Cadastral Map), स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographic Map), सैनिकों के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले मानचित्र इत्यादि में किया जाता है।
नोट : भूसम्पति मानचित्र (Cadastral Map) की मापनी सबसे बड़ी होती है। इसके पश्चात क्रमश: स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographic Map), दीवारी मानचित्र (Wall Map, एटलस मानचित्र (Atlas Map)) का स्थान आता है। (CTWA)
मानचित्र मापनी प्रदर्शित करने की विधि
मानचित्र पर मापनी को तीन प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है-
(1) कथनात्मक विधि (Statement Method)
⇒ कथनात्मक विधि के द्वारा मापनी को शब्दों के रूप में लिखा जाता है। जैसे 1Cm = 1Km
⇒कथनात्मक विधि का प्रयोग प्राय: भूसम्पत्ति मानचित्र, भवन प्लान वाले मानचित्र में किया जाता है।
(2) आलेखी विधि / रैखिक विधि (Graphical or Linear Method)
एक सीधी रेखा को कई समान भागों में विभाजित कर उस पर वास्तविक दूरी को अंकों के रूप में प्रदर्शित कर दिया जाता है।
इस मापनी के दो भाग होते हैं-
(i) Primary Division वाले भाग
(ii) Secondery Division वाले भाग
इस मापनी के द्वारा मानचित्र पर km, m और Cm के रूप में एक साथ दूरियों को ज्ञात कर सकते है।
(3) प्रतिनिधि भिन्न विधि (Representative Fraction Or R.F. Method)
⇒ प्रतिनिधि भिन्न विधि के द्वारा मानचित्र के दूरी को और वास्तविक दूरी को एक रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
⇒ भिन्न में अंश और हर होता है, Numenator (अंश) और Denominator (हर) के रूप में प्रदर्शित जाता किया जाता है।
⇒ अंश मानचित्र पर के इकाई दूरी को व्यक्त करता और हर पृथ्वी पर के वास्तविक दूरी को व्यक्त करता है।
⇒ मानचित्र एवं धरातल पर मापी गई दूरियों के अनुपात को प्रतिनिधि भिन्न (R.F.) कहते है।
⇒ R. F. को हमेशा अनुपात के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
⇒ मानचित्र पर के दूरी को हमेशा ईकाई (1) रूप में प्रदर्शित करते हैं।
⇒ R.F. विधि का सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी भी देश में भाषा ज्ञान के बिना प्रयुक्त कर सकते हैं।
⇒ R.F. विधि का सबसे बड़ा दोष यह है कि जब मानचित्र को बड़ा या छोटा किया जाता है, तो अनुपात में दोष उत्पन्न हो जाता है।
नोट :
1 Cm = 10 mm
100 Cm = 1 m
1000 m = 1 km
8/5 Km = 1 मील
1″ = 2.54 Cm
TMC = Trilian cubic meter
R.F = Map Distance/ Ground Distance
1 Km = 1,00000 cm (1000 m x 100 Cm)
1 मील = 63,360″ (1760 गज x 3 फीट x 12 इन्च)
1 मील = 1760 गज (5280 फीट)
1 गज = 3फीट (36″ = 12″ × 3 फीट)
1 फीट = 12″
1 मील = 8 फर्लांग
Read More:
- 1.Cartography / मानचित्रावली
- 2. मानचित्र के प्रकार
- 3. मानचित्र प्रक्षेपों का वर्गीकरण
- 4. प्रमुख भौगोलिक यंत्र
- 5. भौगोलिक सूचना तंत्र क्या है?
- 6.भूगोल में मापनी एवं मापनी के प्रकार
- 7. मानचित्र का विवर्धन एवं लघुकरण
- 8. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection)
- 9. शंकु प्रक्षेप (Conical Projection)
- 10. बोन तथा बहुशंकुक प्रक्षेप (Bonne’s and Polyconic Projection)
- 11. बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Projection)
- 12. Zenithal Projection (खमध्य प्रक्षेप)
- 13. Mercator’s Projection (मर्केटर प्रक्षेप)
- 14. गॉल प्रक्षेप (Gall Projection)
- 15. मर्केटर एवं गॉल प्रक्षेप में तुलना (Comparison Between Mercator’s and Gall Projection)
- 16. रूढ़ प्रक्षेप, मॉलवीड प्रक्षेप, सिनुस्वायडल प्रक्षेप
- 17. विकर्ण तथा वर्नियर स्केल (Vernier and Diagonal Scale)
- 18. आलेखी / रैखिक विधि (Graphical or Linear Method)
- 19. आरेख का प्रकार एवं उपयोग /Diagram: Types & uses
- 20. हीदरग्राफ, क्लाइमोग्राफ, मनारेख और अरगोग्रफ
- 21. जनसंख्या मानचित्र के प्रकार एवं प्रदर्शन की विधियाँ