27. भारत के आर्थिक जीवन पर मानसून का प्रभाव
भारत के आर्थिक जीवन पर मानसून का प्रभाव
भारत एक मानसूनी जलवायु प्रधान देश है। यहाँ मानसून की उत्पति तिब्बत का पठार, हिमालय पर्वत, उत्तर का मैदानी क्षेत्र, वायुसंचरण और हिन्द महासागर के सम्मिलित प्रभाव के कारण होता है। भारत में मानसून से ग्रीष्म ऋतु में वर्षण का कार्य होती है। यहाँ दक्षिण-पश्चिम मानसून से 80% वर्षा होती है जबकि 20% वर्षा उ०-पू० मानसून एवं पछुआ विक्षोभ से होती है।
भारत के आर्थिक जीवन पर मानसून का प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों पर पड़ता है:-
(1) कृषि पर प्रभाव:-
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। भारत में कृषि मानसून पर निर्भर करती है। जिस वर्ष मानसून भारत में समय पर आती है और मानसून सामान्य रहती है तो उस वर्ष भारतीय किसानों के घर अन्न से भर जाते हैं। यदि मानसून समय पर नहीं आती है और अनावृष्टि या अतिवृष्टि होती है तो फसलें बर्बाद हो जाती है जिससे हमारे भारतीय किसानों को काफी क्षति उठानी पड़ती है। इसीलिए कहा भी जाता है कि-“भारतीय किसान मानसून के साथ जुआ खेलते है।”
(2) उद्योगों पर प्रभाव:-
भारत के कई उद्योग कृषि पर आधारित हैं; जैसे- चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग, कागज उद्योग, जूट उद्योग, चावल मील, इत्यादि। यदि भारतीय मानसून गन्ना, कपास, धान आदि फसलों को बर्बाद करती है तो इन उद्योगों में कच्चे माल की कमी हो जाती हैं। जब मानसून का प्रभाव अच्छा रहता है तो आसानी से इन उद्योगों को पर्याप्त कच्चे माल मिल जाते हैं।
(3) मत्स्य पालन पर प्रभाव:-
भारतीय मानसून से पर्याप्त वर्षा होती हैं तो यहाँ के छोटे-बड़े तालाबों में पर्याप्त जल संग्रहित कर लिये जाते हैं जिससे इन जलाशयों में मत्स्य पालन का कार्य किया जाता है।
(4) पशुपालन पर प्रभाव:-
भारतीय मानसून से अतिवृष्टि या अनावृष्टि होने से फसलें नष्ट हो जाती है। चारागाह पर चारे की फसले नष्ट हो जाती है जिसके कारण पशुओं के लिए चारा की कमी हो जाती है। फलस्वरूप पशुपालन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। यदि मानसून सामान्य प्रकार की होती है तो पशुपालन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। फलतः दुध एवं माँस के उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
प्रश्न प्रारूप
1. भारत के आर्थिक जीवन पर मानसून का प्रभाव का वर्णन करें।