7. बिग बैंग तथा स्फीति सिद्धान्त/ महाविस्फोट सिद्धांत-जॉर्ज लैमेण्टर
7. बिग बैंग तथा स्फीति सिद्धान्त/ महाविस्फोट सिद्धांत-जॉर्ज लैमेण्टर
बिग बैंग तथा स्फीति सिद्धान्त
ब्रह्माण्ड तथा आकाशगंगा तथा उनके सदस्य तारों तथा ग्रहों की उत्पत्ति की समस्या के समाधान के लिए ब्रह्माण्ड के अदृश्य घटकों अर्थात् काले पदार्थों के अस्तित्व के आधार पर प्रयास किये गये हैं। आकाश गंगा के निर्माण के विषय में वैज्ञानिकों के दो वैकल्पिक विचार हैं- काले पदार्थों का अस्तित्व ‘गर्म’ या ‘ठंडे’ (Hot or cold forms) रूप में रहा होगा।
गर्म काले पदार्थों (Hot dark matter) की स्थिति में आकाशगंगायें (Galaxies) दूर-दूर होंगी जबकि ठंडे पदार्थों की स्थिति में वे झुण्ड में होंगी (वर्तमान समय में विभिन्न आकाशगंगायें पास-पास समूह में स्थित हैं)।
बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति आज से लगभग 15 बिलियन वर्ष (15 अरब वर्ष) पहले घने पदार्थों वाले विशाल अग्निपिण्ड (fireball) के आकस्मिक जोरदार विस्फोट तथा उससे जनित विकिरण के कारण हुई।
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन मुख्यतः जॉर्ज लैमेण्टर द्वारा 1950-60 तथा 1960-70 दशक में किया गया (इस सिद्धान्त के अनुसार आज से 15 अरब वर्ष पहले एक विशाल अग्निपिण्ड था जिसकी रचना भारी पदार्थों से हुई थी। इस विशालकाय अग्निपिण्ड का अचानक विस्फोट हुआ जिस कारण पदार्थों का बिखराव हो गया। इन पदार्थों को प्रारम्भिक सामान्य पदार्थ (Normal matter) कहा गया। शीघ्र ही सामान्य पदार्थों के अलगाव के कारण (काले पदार्थों का सृजन हुआ। इन काले पदार्थों का आपस में समेकन होने से (अनेकों पिण्डों का निर्माण हुआ। इन पिण्डों के चारों ओर सामान्य पदार्थों का जमाव होने लगा। जिस कारण इनका आकार बढ़ता गया। इन पिण्डों के आकार में वृद्धि होने से आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ।
ज्ञातव्य है कि प्रारम्भ में ब्रह्माण्ड अत्यधिक छोटा था परन्तु इसमें त्वरित गति से फैलाव होने लगा। परिणामस्वरूप आकाशगंगायें, जो प्रारम्भ में पास-पास थीं वे निरन्तर दूर होती गयीं। आज से लगभग 15 अरब वर्ष पहले अपने निर्माण-काल से आज तक ब्रह्माण्ड आकार में लगातार फैलता रहा है तथा उसके पदार्थ शीतल होते रहे हैं। आकाशगंगाओं का भी भयंकर विस्फोट हुआ तथा विस्फोट से निकले पदार्थों के समेकन से बने असंख्य पिण्डों द्वारा प्रत्येक आकाशगंगा के तारों (stars) का निर्माण हुआ। इसी तरह प्रत्येक तारे, के विस्फोट के कारण जनित पदार्थों के समूहन द्वारा ग्रहों (Planets) का निर्माण हुआ।
अमेरिकन वैज्ञानिक अलन गुथ (Alan Guth) ने 1980 में बिग बैंग सिद्धान्त को ब्रह्माण्ड (आकाशगंगा, तारों तथा ग्रहों) की उत्पत्ति की समस्या को सुलझाने में असमर्थ पाया। अत: इन्होंने स्फीति सिद्धान्त (inflationary theory) का प्रतिपादन किया। अलन गुथ की अवधारणा है कि ब्रह्माण्ड के दृश्य द्रव्यमान (visible mass) के घनत्व की तुलना में उसका वास्तविक घनत्व बहुत अधिक है। इससे निष्कर्ष निकलता है कि ब्रह्माण्ड में अदृश्य काले पदार्थों का अस्तित्व है। यद्यपि बिग बैंग तथा स्फीति सिद्धान्त लगभग एक जैसे हैं क्योंकि उनकी कई मान्यतायें उभयनिष्ठ हैं। उनमें अन्तर मात्र इस बात से सम्बन्धित है कि विशालकाय अग्निपिण्ड के विस्फोट के एक सेकेण्ड के अन्दर किस प्रकार की घटनायें घटीं।
स्फीति सिद्धान्त के अनुसार विशालकाय अग्निपिण्ड के जोरदार विस्फोट के बाद अति अल्प काल में ब्रह्माण्ड का असाधारण त्वरित गति से फैलाव (स्फीति, rapaid, expansion or inflation) हुआ। इस प्रक्रिया के दौरान एक सेकेण्ड के अल्पांश के अन्तर्गत ही ब्रह्माण्ड के आकार में कई गुना वृद्धि हो गयी। काले पदार्थों के समूहन से आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ। इनके विस्फोट से जनित पदार्थों के समूहन से निर्मित पिण्डों द्वारा तारों का निर्माण हुआ तथा तारों के विस्फोट से उत्पन्न पदार्थों के एकत्रित एवं संगठित होने से निर्मित पिण्डों से ग्रहों (पृथ्वी इत्यादि) का निर्माण हुआ।