Unique Geography Notes हिंदी में

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BA SEMESTER/PAPER IIIGEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)

14. प्रायद्वीपीय भारत के पठार

14. प्रायद्वीपीय भारत के पठार


प्रायद्वीपीय भारत के पठार

               प्रायद्वीपीय भारत का बाहरी किनारा विन्ध्यन, अरावली, गारो, खाँसी, जयन्तिया, पूर्वीघाट और पश्चिमी घाट से निर्मित है। ये श्रृंखलाएँ प्रायद्वीपीय भारत को एक पठार के समय में बदल देती है। पुन: सतपुड़ा, हरिश्चंद्र, बालाघाट, बाबाबूदन, श्रीशैलम जैसी छोटी-2 पहाड़ियाँ इस पठार को कई छोटे-2 पठारों में बाँट देती हैं। इसलिए प्रायद्वीपीय भारत को “पठारों का पठार” कहा जाता है। प्रायद्वीपीय भारत में निम्नलिखित पठार पाये जाते हैं-

(1) दक्कन का पठार-

       दक्कन के पठार का विस्तार महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु में हुआ है। महाराष्ट्र के पश्चिमी भाग में इसे ‘महाराष्ट्र का पठार’ जबकि पूर्वी भाग में पूर्वी ‘विदर्भ का पठार’ कहते हैं। इसी तरह से आन्ध्र प्रदेश में उत्तर वाला भाग को तेलंगाना का पठार जबकि दक्षिण वाला भाग रॉयल सीमा का पठार कहलाता है। तमिलनाडु में इसे कोयम्बटूर का पठार कहते हैं जबकि कर्नाटक में इसे मैसूर और बंगलोर का पठार कहते हैं।

         महाराष्ट्र के पठार का औसत ऊँचाई 300-900 m है। इसी पठार पर अजन्ता की पहाड़ी स्थित है। विदर्भ के पठार की औसत ऊंचाई 700 9am है। यहाँ पर पतली लावा की परत पायी जाती है। आन्ध्र प्रदेश में स्थित पठारों की औसत ऊँचाई 300-900 m है। और इसकी ढाल बंगाल की खाड़ी की ओर है। कर्नाटक में स्थित पठारों की औसत ऊँचाई 600-900 m है।

        सम्पूर्ण दक्कत के पठार का निर्माण क्रिटेशियस कल्प में हुए दरारी लावा उद्‌गार से हुआ है। इस पठार पर क्षारीय लावा के निक्षेपण से बैसाल्टिक चट्टानों का निर्माण हुआ है। कहीं-2 केन्द्रीय उद्‌गार होने से शंकु पहाड़ियों अनेक क्रेटर एवं कोल्डेरा का निर्माण हुआ है।

(2) कठियाबाड़ का पठार-

         गुजरात के काठियाबाड़ क्षेत्र में स्थित है। इसकी औसत ऊँचाई 200-400 m है। इस पठार पर चूनापत्थर और लावा निक्षेपण का प्रमाण मिलता है। इसी पठार पर एक शंकुनुमा गिर की पहाड़ी स्थित है।

(3) उत्तर का पठार- 

               प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर में कई छोटे-2 पठार स्थित है। जैसे:

(i) मारवाड़ का पठार-

         यह राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर जिला में स्थित है। यह शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश के भूदृश्य प्रस्तुत करता है। इनकी औसत ऊँचाई 250-500 m है।

(ii) मेवाड़ का पठार-

           यह राजस्थान के चितौड़, उदयपुर और बाँसवाड़ा जिला में स्थित है। इसकी औसत ऊँचाई 250-500 m है। यह पठार काफी उबड़-खाबड़ है। इसी पठार पर हल्दी घाटी का मैदान अवस्थित है।

(iii) मालवा का पठार-

          यह राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। इसे ढक्कन के पठार का ‘उत्तरी विस्तार’ माना जाता है। मलबा पठार की औसत ऊँचाई 500-600 m मानी जाती है।

(iv) बुंदेलखण्ड के पठार-

          इसका विस्तार दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश और उतरी मध्य प्रदेश के सीमा पर हुआ है। ललितपुर, झाँसी, गुना, विदिशा, ग्वालियर इत्यादि जिले इसी पठार पर अवस्थित है। चम्बल नदी इस पर प्रवाहित होकर उत्खात भूमि का निर्माण करती है। इसकी औसत ऊँचाई 500-600 m है।

(v) बस्तर का पठार और बघेलखण्ड का पठार-

         बस्तर का पठार छतीसगढ़ के दक्षिण में और बघेलखंड का पठार छत्तीसगढ़ के उत्तर में स्थित है। इन दोनों के बीच महानदी के सहायक नदी शिओनाथ (शिवनाथ) सीमा निर्माण करती है। बखेलखण्ड के पठार की औसत ऊँचाई 700-900 m है। जबकि बस्तर के पठार की औसत ऊँचाई 500-700 m है। बस्तर के पठार पर ही दण्डकारण्य क्षेत्र अवस्थित है जो भारत का सबसे अधिक उबड़-खाबड़ वाला क्षेत्र है।

(vi) छोटानागपुर का पठार-

        इसका विस्तार झारखण्ड, द०-पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और छतीसगढ़ में हुआ है। इसकी औसत ऊँचाई 700-900 m है। इस पठार का पश्चिमी भाग सबसे ज्यादा ऊँचा है जिसे पाट (PAT) का पठार कहते हैं। इस पर नेतरहाट नामक पहाड़ी मोनेडनॉक का उदाहरण प्रस्तुत करती है। पाट के पठार के पूरब में में राँची का पठार और हजारीबाग का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में दामोदर नदी सीमा बनाते हुए भ्रंश घाटी में प्रवाहित होती है।

       हजारीबाग पठार पर पारसनाथ के पहाड़ी अवस्थित है। जिसके सबसे अधिक ऊँचाई 1365 m छोटानागपुर पठार के सबसे पूर्वी एवं उतरी भाग को कोडरमा के पठार से सम्बोधित करते हैं। हाजारीबाग और कोडरमा पठार के बीच में कोडरमा की घाटी और चतरा की घाटी स्थित है।

(vii) मेघालय का पठार-

         यह मेघालय राज्य में स्थित है। इसे प्रायद्वीपीय भारत का ही एक भाग माना जाता है। राजमहल गैप के द्वारा यह प्रायद्वीपीय भारत से पृथक है। इस पठार पर गारो, खाँसी और जयन्तिया तीन शंकु पहाड़ी स्थित है।इस प्रकार की औसत ऊँचाई 700-900 m है।

निष्कर्ष

         इस तह ऊप के तथ्यों से स्पष्ट है कि प्रायद्वीपीय भारत अनेक पर्वतों और अनेक पठारों से निर्मित है। इसके भूदृश्य पर वाह्य एवं आन्तरिक कारकों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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