7. प्राचीनतम कल्प के धारवाड़ क्रम की चट्टानों का आर्थिक महत्त्व
7. प्राचीनतम कल्प के धारवाड़ क्रम की चट्टानों का आर्थिक महत्त्व
प्राचीनतम कल्प के धारवाड़ क्रम की चट्टानों का आर्थिक महत्त्व
भारत में प्राचीनतम कल्प से लेकर नवीनतम कल्प की चट्टानें पायी जाती हैं। प्राचीनतम कल्प में एक प्रमुख चट्टान धारवाड़ समूह की है। इसका निर्माण 2500 मिलियन वर्ष पूर्व से 1500 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच मानी जाती है। यह मूलत: प्री कैम्ब्रीयन कल्प की चट्टान है जिसका खोज सर्वप्रथम राबर्ट ब्रशफुट महोदय ने कर्नाटक के धारवाड़ जिला से किया था।
धारवाड़ क्रम के चट्टानों की विशेषताएँ
धारवाड़ चट्टान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं। जैसे-
(1) यह भारत का सबसे प्राचीनतम परतदार चट्टान का उदाहरण है।
(2) लम्बे समय के कारण इसका काफी रूपान्तरण हो चूका है।
(3) धारवाड़ क्रम के चट्टानों से किसी भी प्रकार का जीवाश्म नहीं मिलता है क्योंकि उस वक्त पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति हुई ही नहीं थी।
(4) धारवाड़ समूह की चट्टानों में नीस और शिस्ट प्रकार की चट्टानें मिलती हैं।
(5) प्री कैम्ब्रीयन कल्प में भूपटल के फैलाव और सिकुड़न से कई महासागरों और प्राचीन मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ है। राजस्थान की अरावली की पहाड़ी इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।
(6) भारत में इसका विस्तार 15600 वर्ग किमी० क्षेत्र में हुआ है।
(7) भारत में धारवाड़ प्रकार की चट्टान कर्नाटक के धारवाड़ जिला, विशाखापत्तनम के पास कूदोराइट श्रेणी की चट्टान, रीवा & हजारीबाग के बीच में गोंडाइट क्रम की चट्टान, जम्मू-कश्मीर की सेलखाला क्रम की चट्टान, राजस्थान के अरावली क्षेत्र में, झारखण्ड और उड़ीसा के सीमा पर लौहक्रम की चट्टान, धारवाड़ समूह के चट्टान माने जाते हैं।
आर्थिक महत्व
धारवाड़ क्रम की चट्टानें भारत में धात्विक खनिजों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस चट्टान से लोहा, सोना, मैगनीज, यूरेनियम, ताम्बा, जिंक, क्रोमियम जैसे- धात्विक खनिज प्राप्त किये जाते हैं। राजस्थान की खेतरी का खान ताम्बा के लिए प्रसिद्ध रही है।
कर्नाटक, गोआ, झारखण्ड, उड़ीसा इत्यादि से हेमाटाइट और मैग्नेटाइट जैसे लौह अयस्क प्राप्त किये जाते है।मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, बाला घाट, उड़ीसा के कालाहांडी और बोलांगिर क्षेत्र से मैंग्नीज प्राप्त किया जाता है।
धारवाड़ क्रम की चट्टानों से एस्बेस्ट, कोबाल्ट, अभ्रक, प्लेटीनम, सूरमा, सीसा, फ्यूराइट, इल्मेनाइट (नाभिकीय खनिज का स्रोत), गारनेट, संगमरमर, कोरंडम जैसे खनिज भी प्राप्त किये जाते हैं।
धारवाड़ क्रम चट्टानें भारत में लाल और लैटेराइट मिट्टी के निर्माण में भी सहायक रहा है जो विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों के लिए आधार का कार्य करती है।
निष्कर्ष
इस ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि धारवाड़ क्रम की चट्टानें अपनी विशिष्टता एवं आर्थिक महत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध रही हैं।