Unique Geography Notes हिंदी में

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GEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)

29. पश्चिमी विक्षोभ क्या है? भारतीय कृषि पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

29. पश्चिमी विक्षोभ क्या है? भारतीय कृषि पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?



पश्चिमी विक्षोभ

     पश्चिमी विक्षोभ जाड़े की ऋतु में भूमध्यसागरीय भाग में उत्पन्न होने वाली एक शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात है जो पछुआ हवा के द्वारा पूरब की ओर ढकेल दिया जाता है। यह मार्ग में वर्षा कराते चलती है। यही हवा भारत के पंजाब, हरियाणा और गंगा घाटी क्षेत्र में प्रवेश कर वर्षा करती है जिससे इसमें बची-खुची नमी समाप्त हो जाती है।

         वर्षा के पश्चात् जब शुष्क हवा हिमालय के तलहट्टियों से पूरब की ओर बहती है तो वहाँ भीषण हिमपात होती है। परंतु, जब यह हवा मैदानी भाग में पुरब की ओर बढ़ती है तो राजस्थान के रेगिस्तानी प्रदेश की शीतलता को अपने साथ लेकर चलती है जिससे मैदान का तापमान काफी कम हो जाता है। इसे स्थानीय भाषा में “शीतलहर” कहा जाता है।

         चूँकि भूमध्यसागर की अक्षांशीय स्थिति 37°N अक्षांश है और भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ से 37°6’N अक्षांश है। उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब की पेटी 30°N से 35°N अक्षांश के बीच स्थित है। चूँकि पछुवा हवा 35°N से 60°N अक्षांश के बीच द०-प० से उ०-पू० की सोर चलती है।

        जब पछुआ हवा उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी से चलती है तो वह भूमध्य सागर से नमी ग्रहण करते हुए उ०-पू० दिशा की ओर प्रवाहित होती हैं लेकिन उसके मार्ग में अवरोधक के रूप में भूमध्यसागर के उत्तर में आल्प्स पर्वत से लेकर पूरब में हिमालय पर्वत तक पर्वतों की लगातार लम्बी श्रृंखला मिलती है। फलस्वरूप पछुआ हवा इन पर्वतों के दक्षिणी ढाल के सहारे पश्चिम से पूरब दिशा में प्रवाहित होने लगती है जिसे “पछुआ विक्षोभ” कहते हैं। इसी पछुआ विक्षोभ से भारत के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में जाड़े के दिनों में वर्षा होती है।

पछुआ विक्षोभ का आर्थिक प्रभाव

         भारत के आर्थिक जीवन में पछुआ विक्षोभ का प्रभाव कई क्षेत्रों पर पड़ता है। जैसे-

(1) कृषि पर प्रभाव⇒

          पछुआ विक्षोभ के कारण जाड़े की ऋतु में वर्षा होती है। यह वर्षा गेहूँ की फसल के लिए काफी फायदेमंद होती है। पंजाब में यह वर्षा जनवरी तथा फरवरी महीने में होती है। वहाँ की कृषि के लिए इस वर्षा का काफी महत्व है क्योंकि रबी फसल की सफलता इसी वर्षा पर निर्भर करती है।

     चूँकि पछुआ हवा जब राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों की शीतलता को अपने साथ लेकर मैदानी भागों में प्रवेश करती है तो यहाँ के तापमान में गिरावट आती है। फलतः यहाँ के जायद फसल एवं मसूर के फसलों में पाला लग जाती है और वे बर्बाद होने लगते हैं।

(2) पशुपालन पर प्रभाव⇒

        पछुवा हवा के कारण जाड़े की ऋतु में उत्तर भारत में शीतलहरी पड़ने लगती है जिसके कारण कई पशुओं को ठण्डा लग जाता है और उनकी मृत्यु भी हो जाती हैं। फलत: पशुपालकों को इससे हानि हो जाती हैं।

(3) उद्योगों पर प्रभाव⇒

      पछुआ विक्षोभ के प्रवेश करने से उत्तर भारत में काफी ठण्ड पड़ने लगती है। फलत: ठण्ड से बचने के लिए लोग ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल करते हैं। इसी के निर्माण के लिए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि में ऊनी वस्त्र उद्योगों का विकास किया गया है।

        पंजाब, हरियाणा में गेहूँ का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है जिसमें पछुआ विक्षोभ का फाफी योगदान होता है। फलतः उत्तर भारत में गेहूँ, दलहन, तेलहन आदि की मीलों का विकास काफी संख्या में की गई है।

(4) पर्यटन उद्योग पर प्रभाव⇒

       जम्मू और कश्मीर में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बड़े पैमाने पर बर्फ-बारी होती है। इसी का आनन्द उठाने के लिए यहाँ काफी संख्या में पर्यटक लोग आते हैं। इन पर्यटकों से जम्मू और कश्मीर को काफी आमदनी होती है। यहाँ पर्यटन पर आधारित कई उद्योगों का विकास किया गया है। जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः पर्यटन उद्योग पर ही आधारित है।

(5) परिवहन पर प्रभाव⇒

        जम्मू और कश्मीर में पश्चिमी विक्षोभ के कारण जब काफी मात्रा में कई दिनों तक बर्फ-बारी होने लगती है तो सड़कें बर्फ से ढक जाते हैं। फलस्वरूप परिवहन मार्गों में बाधा उत्पन्न हो जाती है।

(6) शादी-विवाह पर प्रभाव⇒

        जब पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली वर्षा के कारण पंजाब, हरियाणा में रबी फसल का उत्पादन काफी मात्रा में होती है तो किसानों की आमदनी बढ़ जाती है। फलत: जवान बेटा-बेटियों की विवाह काफी धूम-धड़ाके से की जाती है। इस अवसर पर आरकेस्ट्रा, नर्तकी, गायक, बैण्ड बाजा, भोज-भण्डार आदि का बड़े पैमाने पर आयोजन होता है। ‘तिलक’ में वृद्धि हो जाती है। हालाँकि तिलक लेना बहुत बड़ा पाप और अपराध है। मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा।

(7) प्रबंधन पर प्रभाव⇒

         जब किसानों को फसलों के उत्पादन से काफी आमदनी होने लगती है तो वे अपने बच्चों को MCA, BCA, MBA मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन करवाते है जिसके कारण प्रबंधकों की आय में वृद्धि होती है।

(8) शिक्षण संस्थानों पर प्रभाव⇒

       जब पछुआ विक्षोभ के कारण होने वाली वर्षा से किसानों की फसलों की पैदावार काफी अच्छी होती है। तब वे अपने बच्चों को उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए बड़े-बड़े शिक्षण संस्थानों में नामांकन दर्ज करवाते हैं जिसके कारण शिक्षण संस्थानों की आमदनी बढ़ जाती है।

(9) बैंकिंग पर प्रभाव⇒

       जब अच्छी पैदावार के कारण किसानों की आमदनी बढ़ती है तो वे अनाज को बेचकर बैंक में रुपये जमा करते हैं। यदि पछुवा विक्षोभ के कारण उनकी फसल बर्बाद होती है तब उन्हें पूँजी एवं अन्य कार्य के लिए बैंकों से ऋण लेनी पड़ती है। इससे बैंकों को ब्याज के रूप में आमदनी होती है।

(10) शेयर बाजार पर प्रभाव⇒

       जब किसान एवं व्यवसायियों की आमदनी काफी बढ़ने लगती है तो वे अपना पैसा शेयर बाजार में लगाते है, जिसके कारण शेयर बाजार के सूचकांक में उत्तर एवं चढ़ाव आता है।

(11) स्वास्थ्य पर प्रभाव⇒

        जाड़े की ऋतु में पछुआ विक्षोभ के कारण उत्तर भारत में कड़ाके की ठण्ड पड़ने लगती है जिसके कारण कई लोग सर्दी-जुकाम से पीड़ित हो जाते हैं। कई बुढ़ा-बुढ़ी इसके शिकार भी हो जाते हैं।

(12) बाजार पर प्रभाव⇒

          जब पछुआ विक्षोभ के कारण उत्तरी भारत में कड़ाके की ठण्ड पड़ने लगती है तो लोग इससे बचने के लिए ऊनी वस्त्र, कम्बल, रजाई, हीटर आदि का प्रयोग करते हैं। ये सभी वस्तुएँ बाजार से ही खरीदी जाती हैं। दूसरी तरफ जब फसलों के उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ती है तो वे बाजार से अन्य कई उपयोगी वस्तुएँ खरीदतें हैं। फलत: बाजार में चहल-पहल का महौल बना रहता है।

निष्कर्ष

       उपर्युक्त आर्थिक गतिविधियों के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि पछुआ विक्षोभ खासकर उत्तर भारत के कई आर्थिक क्रियाकलापों को सकारात्मक एवं नाकारात्मक दोनों रूपों से प्रभावित करता है।

प्रश्न प्रारूप

1. पश्चिमी जेट प्रवाह जाड़े के दिनों में किस प्रकार पश्चिमी विक्षोभ को भारतीय उपमहाद्वीप में लाने में मदद कता है? भारत के आर्थिक जीवन पर पछुआ विक्षोभ का क्या प्रभाव पड़ता है?

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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