9. नकारात्मक विचारों का दुष्प्रभाव
9. नकारात्मक विचारों का दुष्प्रभाव
नकारात्मक विचारों का दुष्प्रभाव⇒
नकारात्मक विचारों का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका स्पष्ट रूप उजागर हुआ फ्रांस में मृत्युदंड पाए एक व्यक्ति पर इसका परीक्षण किया गया। उसे एक स्थान पर लिटाकर उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई। उसे सुनाकर कहा गया, तुम्हारे शरीर की नसों को काटकर इतना अधिक रक्तस्राव कराया। जाएगा कि स्वतः तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।
किसी नुकीली वस्तु को हाथ की नसों पर इस तरह फेरा गया की लगे नसें काट डाली गई हैं, साथ ही शीतोष्ण जल की धारा को धीरे-धीरे हाथ के पास इस प्रकार गिराया जाने लगा कि लगे कि सारा शरीर खून से भींगकर लथ-पथ हो रहा हो। कहा जाने लगा-‘ओह! कितना अधिक रक्त स्राव हो रहा है। लग रहा है जैसे शरीर खून के ही सैलाब में पड़ा हुआ हो। संपूर्ण शरीर रक्त से लाल होता जा रहा है। हाय-हाय ! शरीर के चारों ओर खून ही खून दीख रहा है।’
जैसे-जैसे इन बातों को दुहराया जाता, तदनुरूप चिंतन करते हुए कैदी की छटपटाहट भी बढ़ती जाती। कुछ देर बाद पुनः कहा गया, ‘ओह! शरीर का तो लगभग सारा खून निकल चुका है। चेहरा स्याह पड़ता जा रहा है। अब यह नहीं बच सकता। किसी हालत में नहीं बच सकता।’ इतना सुनना था कि सचमुच कैदी तड़पकर मर गया।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि न व्यक्ति की नसें काटी गई थी, न खून बहा था। निषेधात्मक विचारों का मानव पर प्रभाव जानने के लिए बिना कुछ हुए ही उसे अहसास कराने का प्रयत्न किया गया था कि नसें काट डाली गई हैं और काफी मात्रा में खून बह रहा है। इसके लिए व्यक्ति को बार-बार झूठ ही कहा जा रहा था कि अत्यधिक खून बह जाने के कारण वह मरणासन्न होता जा रहा है। व्यक्ति ने इसे सत्य समझा और असका अंतस् निषेधात्मक विचारों से भरता गया। फलतः उसने दम तोड़ दिया।
स्रोत: चिंता क्यों