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BSEB CLASS 10

(घ) खनिज संसाधन/ बिहार बोर्ड-10 Geography Solutions इकाई-1. खण्ड (क)

बिहार बोर्ड वर्ग-10वाँ Geography Solutions

खण्ड (क) इकाई-1. (घ) खनिज संसाधन


(घ) खनिज संसाधन खनिज संसाधन

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. भारत में लगभग कितने खनिज पाए जाते है?
(a) 50
(b) 100
(c) 150
(d) 200
उत्तर- (b) 100
2. इन में से कौन लौह युक्त खनिज का उदाहरण है?
(a) मैंगनीज़
(b) अभ्रक़
(c) बॉक्साइट
(d) चुना-पत्थर
उत्तर- (a) मैंगनीज
3. निम्नलिखित में कौन अधात्विक खनिज का उदाहरण है?
(a) सोना
(b) टिन
(c) अभ्रक़
(d) ग्रेफाइट
उत्तर- (c) अभ्रक़
4. किस खनिज की उद्योग की जननी माना गया है?
(a) सोना
(b) तांबा
(c) लोहा
(d) मैंगनीज़
उत्तर- (c) लोहा
5. कौन लौह अयस्क का एक प्रकार है?
(a) लिग्नाइट
(b) हेमेटाइट
(c) बिटुमिनस
(d) इन में से सभी
उत्तर- (b) हेमेटाइट
6. कौन भारत का सबसे बड़ा लौह उत्पादक राज्य है?
(a) कर्नाटक
(b) गोवा
(c) उड़ीसा
(d) झारखंड
उत्तर- (c) कर्नाटक
7. छतीसगढ़ भारत का कितना प्रतिशत लौह अयस्क का उत्पादन करता है?
(a) 10
(b) 20
(c) 30
(d) 40
उत्तर- (b) 20
8. मैंगनीज़ उत्पादन में भारत का विश्व में क्या स्थान है?
(a) प्रथम
(b) द्वितीय
(c) तृतीय
(d) चतुर्थ
उत्तर- (c) तृतीय
9. एक टन इस्पात बनाने में कितने मैंगनीज़ का उपयोग होता है?
(a) 5 कि०ग्रा०
(b) 10कि०ग्रा०
(c) 15 कि०ग्रा०
(d) 20 कि०ग्रा०
उत्तर- (b) 10 कि०ग्रा०
10. उड़ीसा किस खनिज का सबसे बड़ा उत्पादक है?
(a) लौह अयस्क
(b) मैंगनीज
(c) टिन
(d) तांबा
उत्तर- (b) मैंगनीज
11. अल्युमिनियम बनाने के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है?
(a) मैंगनीज़
(b) टिन
(c) लोहा
(d) बॉक्साइट
उत्तर- (d) बॉक्साइट
12. देश में तांबे का कुल भण्डार कितना है?
(a) 100 करोड़ टन
(b) 125 करोड़ टन
(c) 150 करोड़ टन
(d) 175 करोड़ टन
उत्तर- (b) 125 करोड़ टन
13. बिहार-झारखंड में देश का कितना प्रतिशत अभ्रक़ का उत्पादन होता है?
(a) 60
(b) 70
(c) 80
(d) 90
उत्तर- (c) 80
14. सीमेंट उद्योग का सबसे प्रमुख कच्चा माल क्या है?
(a) चुना -पत्थर
(b) बॉक्साइट
(c) ग्रेनाइट
(d) लोहा

उत्तर- (a) चुना-पत्थर 

लघु उत्तरीय  प्रश्नोत्तर: 
प्रश्न 1. खनिज क्या है?
उत्तर- खनिज निश्चित अनुपात में रासायनिक एवं भौतिक विशिष्टताओं के साथ निर्मित एक प्राकृतिक पदार्थ है। दूसरे शब्दों में, खनिज निश्चित रासायनिक संयोजन एवं विशिष्ट आंतरिक परमाणविक रचना वाले ठोस प्राकृतिक पदार्थ को कहा जाता है। संक्षेप में खान से निकाले गए पदार्थ को खनिज कहते है। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, सोना, लौह अयस्क इत्यादि।
प्रश्न 2. धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या है?
उत्तर– धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान-
(l) ये कठोर एवं चमकीले होते है ।
(ll) ये प्रायः आग्नेय चाट्टानों में मिलते हैं।
प्रश्न 3. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये
उत्तर–  खनिजों की विशेषताएँ-
◆ खनिजों का वितरण असमान होता है। 
◆ अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम तथा कम गुणवत्ता वाले खनिज अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
◆ खनिज समाप्य संसाधन है। एक बार उपयोग करने के बाद पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता है। 
प्रश्न 4. लौह अयस्क के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर– शुद्ध लोहे की मात्रा के आधार पर भारत मे पाये जाने वाले  लौह अयस्क तीन प्रकार के है – हेमेटाइट, मैग्नेटाइट और लीमोनाइट। 
प्रश्न 5. लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर – लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्य- कर्नाटक, छतीसगढ़, उड़ीसा,  गोआ एवं झारखण्ड है।
 
प्रश्न 6. झारखंड के मुख्य लौह उत्पादक जिलों के नाम लिखिए।
उत्तर– झारखंड के मुख्य लौह उत्पादक जिला का नाम- पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, पलामू, धनबाद, हजारीबाग, लोहरदगा, तथा राँची।
प्रश्न 7.  मैंगनीज के  उपयोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर– मैंगनीज का उपयोग निम्नलिखित रूपों में किया जाता है-
(i) जंगरोधी इस्पात बनाने में।
(ii) शुष्क सेल के निर्माण में।
(iii) फोटोग्राफी में।
(iv) चमड़ा एवं माचिस उद्योग में।
(v) पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के उत्पादन में इत्यादि।
प्रश्न 8. अल्युमिनियम के उपयोग का उल्लेख कीजिए।
उत्तर– अल्युमिनियम का बहुमुखी उपयोग निम्नलिखित रूपों में किया जाता है-
(i) वायुयान निर्माण में 
(ii) विद्युत उपकरण के निर्माण में 
(iii) घरेलू साज-सज्जा के साधनों के निर्माण में 
(iv) बर्तन बनाने में 
(v) सफेद सीमेंट तथा रासायनिक वस्तुएँ बनाने में इत्यादि।
प्रश्न 9. अभ्रक का उपयोग क्या है?
उत्तर– अभ्रक का उपयोग निम्नलिखित रूपों में किया जाता है-
(i) इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में 
(ii) आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में  
(iii)  विद्युत उपकरण बनाने में।
प्रश्न 10. चुना-पत्थर की क्या उपयोगिता है?
उत्तर– चुना-पत्थर का उपयोग निम्नलिखित रूपों में किया जाता है-
(i) सीमेंट बनाने में 
(ii) लौह इस्पात बनाने में 
(iii)रसायन उद्योग में 
(iii) उर्वरक, कागज एवं चीनी उद्योग में।
प्रश्न 11. खनिजों की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर– खनिजों की मुख्य विशेषताएँ-
 ◆ खनिजों का वितरण असमान होता है। 
 ◆ अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम तथा कम गुणवत्ता वाले खनिज अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
 ◆ खनिज समाप्य संसाधन है। एक बार उपयोग करने के बाद पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता है। 
प्रश्न 12. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से क्या समझते है?
उत्तर- खनिज क्षयशील एवं अनवीकरणीय संसाधन है। इनकी मात्रा सीमित है। इनका पुनर्निर्माण असंभव है। खनिज उद्योगों का आधार है किन्तु औद्योगिक विकास के लिए खनिजों का अतिशय दोहन एवं उपयोग उनके अस्तित्व के लिए संकट है। अतः खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर है-
★ खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण, 
★ उनका बचतपूर्वक उपयोग तथा
★ कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज।
          खनिजों पर नियंत्रण के अलावे उनके विकल्पों को खोजना, खनिजों के अपशिष्ट पदार्थों को बुद्धिमतापूर्वक उपयोग, पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले कुप्रभाव पर नियंत्रण, खनिज निर्माण के लिए चक्रीय पद्धति को अपनाना प्रबंधन कहलाता है। यदि खनिजों के संरक्षण के साथ-साथ प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तो खनिज संकट से निबटा जा सकता है। 
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर:
प्रश्न 1. खनिज कितने प्रकार के होते है?  प्रत्येक  का  सोदाहरण  परिचय दीजिए।
उत्तर- खनिज मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
(i) धात्विक खनिज- 
        वैसे खनिज जिसमें धातु होती है, उसे धात्विक खनिज कहा जाता है। जैसे लौह अयस्क, ताँबा, निकेल, मैंगनीज आदि। पुनः इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है
(क) लौहयुक्त खनिज- 
       जिन धात्विक खनिज में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है उसे लौहयुक्त खनिज कहते हैं, जैसे – लौह अयस्क, निकेल, टंगस्टन।
(ख) अलौहयुक्त खनिज-
       जिन धात्विक खनिज में लोहे की मात्रा न्यून होती है या नहीं होती है, अलौहयुक्त खनिज कहलाते हैं। जैसे – सोना, चाँदी, शीशा, बॉक्साइट ताँबा।
(ii) अधात्विक खनिज-
           वैसे खनिज जिसमें धातु की  मात्रा  नहीं होती है उसे  अधात्विक खनिज कहते है। जैसे-चूना पत्थर, अभ्रक, जिप्सम आदि। 
 अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं-
(क) कार्बनिक खनिज-
         इसमें जीवाश्म होते हैं, ये पृथ्वी में दबे प्राणी, पादप जीवों के परिवर्तन से बनते हैं। जैसे-कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।
(ख) अकार्बनिक खनिज-
              इसमें जीवाश्म नहीं होते हैं। जैसे–अभ्रक, ग्रेफाइट।
प्रश्न 2. धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में क्या अंतर है ? तुलना कीजिये। 
उत्तर- धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में  अंतर  एवं तुलना-
धात्विक अधात्विक
1. धात्विक खनिजों की रासायनिक संरचना में धातुएँ होती हैं। अधात्विक खनिजों की रासायनिक संरचना में धातुएँ नहीं होती है।
2. ये कठोर एवं चमकदार होते हैं। ये चमकदार नहीं होते हैं।
3. ये आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टानों में पाए जाते हैं। ये तलछटी चट्टानों में पाए जाते हैं।
4. धात्विक खनिजों को पिघलाकर/गलाकर धातुएँ प्राप्त की जा सकती है। इन खनिजों को पिघलाकर/गलाकर धातुएँ प्राप्त नहीं की जा सकती है।
5. ये खनिज लचीले होते हैं। ये खनिज लचीले और भंगुर नहीं होते हैं।
6. धात्विक खनिज ऊष्मा और विद्युत के अच्छे संवाहक होते हैं। अधात्विक खनिज ऊष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं।
7. इन खनिजों का गलनांक उच्च होता है। इन खनिजों का गलनांक बहुत कम होता है।
8. लोहा, एल्युमीनियम, सोना, चाँदी आदि के अयस्क धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं। हीरा, स्लेट, पोटाश आदि गैर-धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं।
9. इन्हें पीटकर तार बनाया जा सकता है। ये पीटने पर टूटते नहीं हैं। ये पीटने पर चूर-चूर हो जाते हैं।
10. इन्हें खानों से निकालने के बाद साफ करने की आवश्यकता होती है। इन्हें साफ करने की आवश्यकता नहीं होती है।
11. ये प्रायः अयस्क (ore) के रूप में पाए जाते है। ये अयस्क के रूप में नहीं पाए जाते हैं
प्रश्न 3. भारत क खनिज पट्टियों का नाम लिखकर किन्हीं दो का वर्णन करें।
उत्तर- भारत के अधिकांश खनिज निम्नलिखित तीन पट्टियों में पाई जाती हैं –
(i) उत्तर-पूर्वी पठार 
(i) दक्षिणी-पश्चिमी पठार 
(iii) उत्तर-पश्चिमी प्रदेश
(i) उत्तरी-पूर्वी पठार –
          यह देश की सबसे धनी खनिज पट्टी है जिसमें छोटानागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार, छत्तीसगढ़ का पठार तथा पूर्वी आन्ध्रप्रदेश का पठार अवस्थित है। इस पट्टी में लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, चना पत्थर, डोलामाइट, ताँबा,थोरियम, यूरेनियम, क्रोमियम, सिलिमेनाइट तथा फास्फेट के विशाल भण्डार हैं।
(iii) उत्तर-पश्चिमी प्रदेश – 
            इस पट्टी का विस्तार खम्भात की खाड़ी से लेकर अरावली की श्रेणियों तक है। यहाँ  अनेक अलौह धातुएँ, जैसे–चाँदी, सीसा, जस्ता, ताँबा आदि मिलते हैं। बालु पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम, मुल्तानी मिट्टी, डोलोमाइट, चूना-पत्थर, नमक आदि के भी पर्याप्त भंडार हैं।
             हिमालय एक अन्य खनिज पट्टी है जहाँ ताँबा, सीसा, जस्ता, कोबाल्ट आदि प्राप्त हैं।
प्रश्न 4. लौह अयस्क का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर- लौह अयस्क का वर्गीकरण इस प्रकार है-
(i) हेमेटाइट- इसमें 68% लौह अंश होता है। इसे लाल अयस्क भी कहते हैं।
(ii) मैग्नेटाइट- इसमें 60% लौह अंश होता है। इसे काला अयस्क भी कहते हैं।
(iii) लिमोनाइट- इसमें 40% लौह अंश होता है। इसे पीला अयस्क भी कहते हैं।
प्रश्न 5. भारत में लौह अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर- भारत में लौह अयस्क प्रायः सभी राज्यों में पाया जाता है परन्तु यहाँ के कुल भण्डार का 96% कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गोवा, झारखण्ड, राज्यों में सीमित है। शेष भण्डार तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में अवस्थित है। भारत में 1950-51 में 42 लाख टन लोहे का उत्पादन हुआ जो 2004-05 में बढ़कर 1427.1 लाख टन हो गया। अतः लोहे के उत्पादन में भारी विकास हुआ है।
          कर्नाटक राज्य भारत का लगभग एक-चौथाई लोहा उत्पादन करता है। यहाँ बेल्लारी, हास्पेट, सुदूर क्षेत्रों में लौह अयस्क की खानें हैं।
         
         छत्तीसगढ़ देश का दूसरा उत्पादन राज्य है जो देश का करीब 20 प्रतिशत लोहा उत्पन्न करता है। दाँतेवाड़ा जिले का बैलाडिला तथा दुर्गा जिले के डल्ली एवं राजहरा प्रमुख उत्पादक हैं। रायगढ़, विलासपुर तथा सरगुजा अन्य उत्पादक जिले हैं। यहाँ का अधिकांश लोहा विशाखापट्नम बंदरगाह से जापान को निर्यात किया जाता है।
           
         उड़ीसा देश का 19 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। यहाँ की प्रमुख खानें गुरु माहिषानी, बादम पहाड़ (मगूरगंज) एवं किरिबुरू हैं।
         
        गोवा देश का चौथा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य है तथा 16 प्रतिशत देश का लोहा यहीं से प्राप्त होता है। यहाँ की प्रमुख खाने साहक्वालिम, संग्यूम, क्यूपेम, सतारी, पौडा एवं वियोलिम में स्थित हैं। यहाँ के मर्मागांव पतन से लोहा निर्यात किया जाता है।
           
      झारखण्ड देश का पांचवां बड़ा अयस्क उत्पादक राज्य है और 15 प्रतिशत से अधिक लोहे का उत्पादन करता है। यहाँ के सिंहभूम, पलामू, धनबाद, हजारीबाग, लोहरदगा तथा राँची मुख्य उत्पादक जिले हैं।
   
       महाराष्ट्र में लौह अयस्क की खाने चन्द्रपुर, रत्नागिरि और भण्डारा जिलों में स्थित हैं।
             
       आन्ध्रप्रदेश के कसीमनगर, बारंगल, कुर्नुल, कड़प्पा आदि जिले लौह अयस्क उत्पादक हैं जबकि तमिलनाडु के तीर्थ मल्लाई पहाड़ियों (सलेम) एवं यादपल्ली (नीलगिरी) क्षेत्र में लोहे के भण्डार हैं।
प्रश्न 6. मैंगनीज तथा बॉक्साइट की उपयोगिता तथा देश में इनके वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर- मैंगनीज अयस्क-
       मैंगनीज के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में रूस एवं दक्षिण अफ्रीका के बाद तीसरा है। यह मुख्य रूप से जंगरोधी इस्पात बनाने तथा लोहा एवं मैंगनीज के मिश्रधातु बनाने के उपयोग में आता है। इसका उपयोग शुष्क बैटरियों के निर्माण में, फोटोग्राफी में, चमड़ा एवं माचिस उद्योग में भी होता है। साथ ही इसका उपयोग पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के बनाने में भी किया जाता है। भारत के कुल उत्पादन का 85% मैंगनीज का उपयोग मिश्रधातु बनाने में किया जाता है।
वितरण-
         भारत में मैंगनीज का संचित भण्डार 1670 लाख टन है। विश्व में जिम्बाब्वे के बाद भारत में ही मैंगनीज का सबसे बड़ा संचित भण्डार है जो विश्व के कुल संचित भण्डार का 20 प्रतिशत है।
         
        भारत के उत्पादन में मुख्य क्षेत्र उड़ीसा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आन्ध्रप्रदेश हैं। भारत का 78% से ज्यादा मैंगनीज अयस्क के भण्डार महाराष्ट्र के नागपुर तथा भण्डारा जिलों से लेकर मध्यप्रदेश के बालघाट एवं छिन्दवाड़ा जिलों तक फैली पट्टी में मिलते हैं।
     उड़ीसा भारत में मैंगनीज के उत्पादन में अग्रणी है। यहाँ देश के कुल उत्पादन का 37.6% मैंगनीज उत्पादन होता है। यहाँ मैंगनीज के मुख्य खादानें, सुन्दरगढ़, कालाहांडी, रायगढ़ बोलांगीर, क्योंझर, जालसुर एवं मयूरभंज जिलों में हैं। 
         
           महाराष्ट्र भारत के कुल उत्पादन का लगभग एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन करता है। इस राज्य की मुख्य मैंगनीज उत्पादन पेटी नागपुर तथा भण्डारा जिले में हैं। इस पेटी में उत्तम कोटि के मैंगनीज अयस्क मिलते हैं। रत्नागिरि में उच्चकोटि का मैंगनीज का उत्पादन होता है।
            मध्यप्रदेश 21% मैंगनीज पैदा कर देश का तीसरा बड़ा उत्पादक राज्य है। बालघाट तथा छिन्दवाड़ा जिलों में मैंगनीज का उत्पादन होता है।
            कर्नाटक में मैंगनीज शिमोगा, तुमकुर, बेलारी, धारवाड़, चिकमंगलूर और बीजापुर जिले मुख्य उत्पादक हैं। पहले यहाँ देश का एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन होता था किन्तु अब उत्पादन कम हो रहा है।
         
         आन्ध्रप्रदेश में देश के सकल उत्पादन का 6 प्रतिशत ही मैंगनीज का उत्पादन होता है। यहाँ मुख्य उत्पादक जिला श्रीकाकुलम है। अन्य उत्पादक जिलों में विशाखापतनम, कुडप्पा, विजयनगर, गुंटूर हैं।
बॉक्साइट-
        यह एक अलौह धातु निक्षेप है जिससे अल्यूमीनियम नामक धातु निकाली जाती है। भारत में बॉक्साइट का इतना भण्डार है कि अल्यूमीनियम में हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं। इसका बहुमुखी उपयोग वायुयान निर्माण, बर्तन बनाने, सफेद सीमेंट तथा रासायनिक वस्तुएं बनाने में किया जाता है। भारत में बॉक्साइट का अनुमानित भण्डार 3037 मिलियन टन है।
वितरण-
          बॉक्साइट भारत के अनेक क्षेत्रों में मिलता है किन्तु मुख्य रूप से इसका भण्डार उड़ीसा, गुजरात, झारखण्ड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में अवस्थित है। देश का आधा से अधिक भण्डार उड़ीसा में है। उड़ीसा भारत के कुल उत्पादन का 42 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। कालाहांडी, बोलंगीर, कोरापुट, सुन्दरगढ़ तथा संभलपुर बॉक्साइट के मुख्य उत्पादक जिले हैं।
           
        गुजरात भारत का 17.35 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करके दूसरे स्थान पर है। जामनगर, कैरा, सबरकंठ तथा सूरत महत्वपूर्ण उत्पादक जिले हैं।
 
        झारखण्ड बॉक्साइट के उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है तथा देश का 14 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। इसके लोहरदगा राँची, लातेहार एवं पलामू मुख्य उत्पादक जिले हैं।
        महाराष्ट्र के कोलावा, रत्नागिरि तथा कोल्हापुर जिलों में बॉक्साइट का खनन होता है तथा 12 प्रतिशत उत्पादन करता है।
         
          छत्तीसगढ़ भारत का 6 प्रतिशत से अधिक बॉक्साइट उत्पादन करता है। सरगूजा का पठारी प्रदेश, रायगढ़ तथा विलासपुर जिले इसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।
             
         अन्य उत्पादन राज्यों में कर्नाटक में बॉक्साइट के प्रमुख निक्षेप बेलगाम जिले में पाये जाते हैं।
       तमिलनाडु के नीलगिरि, सलेम, मदुरई और कोयम्बटूर जिले, उत्तरप्रदेश के बांदा जिले बॉक्साइट के अन्य उत्पादक हैं। जम्मू और कश्मीर के पूंछ एवं उधमपुर जिलों में उत्तम कोटि के बॉक्साइट पाये जाते हैं। भारत विभिन्न देशों को बॉक्साइट निर्यात करता है। मुख्य आयातक देश इटली, यू. के., जर्मनी, जापान हैं।
प्रश्न 7. अभ्रक की उपयोगिता एवं वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर- भारत विश्व में शीट अभ्रक का अग्रणी उत्पादक है। अब तक इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में इसका उपयोग होता रहा है, किन्तु कुछ कृत्रिम विकल्प आ जाने से अभ्रक के उत्पादन एवं निर्यात दोनों पर बुरा असर पड़ा है। वैसे तो प्राचीन काल से अभ्रक का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं के लिए किया जाता रहा है, लेकिन विद्युत उपकरण में इसका खास उपयोग होता है। क्योंकि यह विद्युत रोधक होने के कारण उच्च विद्युत शक्ति को सहन कर सकता है।
           
             भारत में उत्पादन की दृष्टि से अभ्रक निक्षेप की तीन पट्टियाँ हैं जो बिहार, झारखंड, आन्ध्रप्रदेश तथा राजस्थान राज्यों के अन्तर्गत आती हैं। भारत में अभ्रक के कुल भण्डार 59065 टन है। 2002-03 में इसका उत्पादन 1217 टन था। बिहार एवं झारखण्ड में उत्तम कोटि के रूबी अभ्रक का उत्पादन होता है। पश्चिम में गया जिले में हजारीबाग, मुंगेर होते हुए पूर्व में भागलपुर तक फैला हुआ है। इसके अतिरिक्त धनबाद, पलामू, राँची एवं सिंहभूम जिलों में भी अभ्रक के भण्डार मिले हैं। बिहार एवं झारखंड भारत का 80% अभ्रक का उत्पादन करते हैं। आन्ध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले में अभ्रक का उत्पादन होता है। राजस्थान देश का तीसरा अभ्रक उत्पादक राज्य है। यहाँ जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर आदि जिलों में अभ्रक की पेटी फैली हुई है। यू. एस. ए. भारतीय अभ्रक का मुख्य आयातक है।
प्रश्न 8. खनिजों के संरक्षण के उपाय सुझायें।
उत्तर- खनिज क्षयशील एवं अनवीकरणीय संसाधन है। इनकी मात्रा सीमित है। इनका पुनर्निर्माण असंभव है। खनिज उद्योगों का आधार है, किन्तु औद्योगिक विकास के लिए खनिजों का अतिशय दोहन एवं उपयोग उनके अस्तित्व के लिए संकट है। अतः खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर है-
(i) खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण, 
(ii) उनका बचतपूर्वक उपयोग एवं
(iii) कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज।

       खनिजों पर नियंत्रण के अलावे उनके विकल्पों को खोजना, खनिजों के अपशिष्ट पदार्थों को बुद्धिमतापूर्ण उपयोग, पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले कुप्रभाव पर नियंत्रण, खनिज निर्माण के लिए चक्रीय पद्धति को अपनाना प्रबंधन कहलाता है। अगर खनिजों के संरक्षण के साथ-साथ प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तो खनिज संकट से निबटा जा सकता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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