Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।
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1. निन्मलिखित में से कौन-सा उस प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लम्बे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?
(क) स्थानांतरी कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) बागवानी
(घ) गहन कृषि
उत्तर –(ख) रोपण कृषि
2. इनमें से कौन-सी रबी फसल है?
(क) चावल
(ख) मोटे अनाज
(ग) चना
(घ) कपास
उत्तर – (ग) चना
3. इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?
(क) दालें
(ख) मोटे अनाज
(ग) ज्वार तिल
(घ) तिल
उत्तर – (क) दालें
4. सरकार निम्नलिखित में से कौन-सी घोषणा फसलों को सहायता देने के लिए करती है?
(क) अधिकतम सहायता मूल्य
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
(ग) मध्यम सहायता मूल्य
(घ) प्रभावी सहायता मूल्य
उत्तर – (ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर- चाय एक महत्वपूर्ण पेय पदार्थ की फसल है।
इसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों निम्नलिखित है-
● उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु।
● ह्यूमस और जीवाश्म युक्त गहरी मिट्टी।
● सुगम जल निकास वाले ढलवाँ भूमि।
● वर्ष भर कोष्ण, नम और पालारहित जलवायु।
● वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पतियों के विकास में सहायक होती है।
● पर्याप्त सस्ते और कुशल श्रमिकों की उपलब्धता इत्यादि।
(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर – भारत मैं अधिकांश लोगों का खाद्यान चावल है । हमारा देश चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है । यह खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है।
चावल उत्तर और उत्तरी पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है । नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है।
(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किये गए संस्थात सुधार कार्यक्रमों की सूची बताएँ।
उत्तर – सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची निम्नलिखित है-
● जोतों की चकबंदी।
● सहकारिता एवं जमींनदारी इत्यादि की समाप्ति करने को प्राथमिकता।
● भूमि विकास कार्यक्रम की शुरुआत किया गया।
● बाढ़, सुखाड़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा का प्रावधान किया गया।
● किसानों को कम दर पर ऋण उपलब्ध कराने हेतु ग्रामीण बैंक, सहकारी समितियाँ और बैंकों की स्थापना किया गया।
● किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना भी शुरू की गई।
● आकाशवाणी और दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी के बुलेटिन और कृषि कार्यक्रम प्रसारित किया जाता है।
● किसानों को बिचौलियों और दलालों के शोषण से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य और कुछ महत्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार घोषणा करती है।
(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते है ?
उत्तर – तीन प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है क्योंकि भारत की बढ़ती जनसंख्या के साथ घटता खाद्य उत्पादन देश की भविष्य खाद्य सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। भूमि के आवासन इत्यादि जैसे गैर-कृषि भूमि उपयोग और कृषि के बीच बढ़ती भूमि की प्रतिस्पर्धा के कारण बोए गए निवल क्षेत्र में कमी आई है।
भूमि की उत्पादकता ने घटती प्रवृत्ति दर्शानी प्रारंभ कर दी है। उर्वरक, पीड़कनाशी और कीटनाशी, जिन्होंने कभी नाटकीय परिणाम प्रस्तुत किए थे, को अब मिट्टी के निम्नीकरण का दोषी माना जा रहा है। जल की कालिक कमी के कारण सिंचित क्षेत्र में कमी आई है। असक्षम जल प्रबंधन से जलाक्रांतता और लवणता की समस्याएं खड़ी हो गई है।
3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किये गए उपाय सुझाइए।
उत्तर – भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में नींव के पत्थर की भाँति महत्त्व रखती है। 2001 में देश की लगभग 63% जनसंख्या कृषि से रोजगार प्राप्त की। किंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगातार घट रहा है जो एक चिंता का विषय है। कृषि में गिरावट समाज के अन्य क्षेत्रों में गिरावट लाएगा तथा यह क्षेत्रीय विषमता को बढ़ावा देगा। यह सर्वथा कृषि पर आश्रित लोगों के हित में नहीं है।
इसीलिए कृषि के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके विकास एवं वृद्धि के लिए इसके आधुनिकीकरण कर प्रयास किया है। इसके अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ तथा पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना, बागवानी-विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास आदि को प्राथमिकता दी गई है।
(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर – वैश्वीकरण का भारतीय कृषि पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है। वैश्वीकरण का अर्थ है देश की की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना। इसने भारतीय बाजार को विश्व के बाजार के लिए खोल दिया है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर सरकारी तंत्र की पकड़ ढीली हो गई है। अब विदेशी उत्पाद जिसमें कृषिजन्य उत्पाद भी शामिल है, आसानी से भारत में बेचे जा सकते हैं। इस अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से भारतीय किसान को एक बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय कृषि कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रही है। इसकी सबसे बड़ी समस्या फसलों का प्रति एकड़ कम उत्पादन है।
भारत में भूमि की प्रति इकाई में फसलों का उत्पादन जापान की 1/3 और संयुक्त राज्य अमेरिका का 1/4 है । वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए भारत को अपनी कृषि संबंधित क्षमताओं को सुनियोजित ढंग से उपयोग करना होगा। जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग के अलावा राष्ट्रीय बाजार का एकीकरण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके लिए सड़क, बिजली, सिंचाई, ऋण की सुविधा आदि उपलब्ध करना परम आवश्यक है। इसके बिना कृषि को वैश्वीकरण के अनुचित प्रभाव से बचा पाना संभव नहीं है।
(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर – चावल एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है जिस पर अधिकांश जनसंख्या निर्भर करती है। विश्व का 22% चावल क्षेत्र भारत में है तथा यह कुल कृषि का 23% है। चावल की कृषि के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएं निम्नलिखित है-
(क) तापमान- यह उष्णकटिबंधीय फसल है। अतः इसकी उपज के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता है। इसके लिए कम से कम 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता है। बोते समय इसे 21 डिग्री सेल्सियस, बढ़ते समय 24 डिग्री सेल्सियस तथा पकते समय 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
(ख) वर्षा- इसकी फसल के लिए 125 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है । इससे कम वर्षा वाले क्षेत्र में सिंचाई की सहायता से फसल उगाई जाती है।
(ग) मिट्टी- इसके लिए अत्यंत उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी मिट्टी चिकायुक्त दोमट होनी चाहिए ताकि पौधों की जड़ें अच्छी तरह विकसित हो सके।
(घ) सस्ते कुशल श्रमिक- इसकी कृषि में मानव श्रम की अधिक आवश्यकता होती है। खेती की तैयारी से लेकर रोपनी-कटनी तक का कार्य मानव श्रम द्वारा ही संपादित होता है। भारत के सस्ते श्रमिक इसकी कृषि के लिए उपयुक्त मानवीय वातावरण बनाते हैं।
I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.
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