Unique Geography Notes हिंदी में

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BA SEMESTER/PAPER IIIGEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)

23. एलनीनो सिद्धांत

23. एलनीनो सिद्धांत


एलनीनो सिद्धांत

         मानसून की उत्पत्ति के संबंध में “एलनीनो सिद्धांत” को एक नवीन सिद्धांत के रूप में मान्यता प्राप्त है। एलनीनो के बारे में विश्व को पहली जानकारी तब मिली जब गिल्बर्ट वाकर महोदय 1924 में मध्य प्रशान्त महासागर में बनने वाला “निम्न वायुदाब क्षेत्र” का अध्ययन कर रहे थे। मध्य प्रशान्त महासागर में निम्न वायुदाब क्षेत्र का कारण उन्होंने अलनीनो जलधारा को बताया। पुन: 1987 ई० में भारत में सूखे की स्थिति उत्पन्न हुई तो अलनीनो का संबंध भारतीय मानसून से जोड़ा गया।

         अलनीनो एक गर्म उपसतही जलधारा है जिसकी उत्पत्ति पेरू के तट पर 3ºS से 33ºS अक्षांश के मध्य होती है। यह वह क्षेत्र है जहाँ दोनों गोलार्द्धों की वाणिज्यिक हवाएं अपने नियत मार्ग से होकर प्रवाहित होती है। पुनः पृथ्वी की घूर्णन गति के विरुद्ध यह जलधारा पूरब से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समान्तर प्रवाहित होने लगती है। यह जलधारा मध्य प्रशान्त महासागर में बिना कोई अवरोध के प्रवाहित होती है। पुन: मलाया प्रायद्वीप और आस्ट्रेलिया के मध्यवर्ती भाग से गुजरकर यह जलधारा हिन्द महासागर में प्रविष्ट कर जाती है और धीरे-2 इसका फैलावा पूर्वी अफ्रीका के तट तक हो जाता है।

        अलनीनो जलधारा के कारण समुद्री जल का तापमान 3º-10ºC तक बढ़ जाती है। पुनः सामान्य नियम के अनुसार भारत में मानसून सक्रिय होने के लिए यह यावश्यक है कि ग्रीष्म ऋतु में समुद्री सतह पर HP और स्थल पर LP का निर्माण हो। लेकिन अलनीनो का प्रभाव समुद्री क्षेत्र में होते ही समुद्र के ऊपर ग्रीष्म ऋतु में LP का निर्माण हो जाता है और उसके तुलना में स्थल पर HP का निर्माण होता है। फलत: वायु स्थल से समुद्र की ओर चलने की प्रवृति रखती है। जिससे भारत में मानसून सक्रिय हो ही नहीं पाता है।

      अलनीनों का प्रभाव सभी वर्ष एक समान नहीं देखा गया है। अत: इसके प्रभाव को स्पष्ट करने के लिए (SOS) ‘साउथ ओसीलेशन स्केल” (दक्षिणी दोलन पैमाना) का विकास किया गया है। इन पैमान में दो तरह के सूचकांक (इंडेक्स) विकासत किये गये हैं। जैसे-

(i) अप्रैल महीने में मध्य प्रशान्त महासागर में स्थित टेहिटी (Tahiti) द्वीप पर HP का निर्माण होता है, और ऑस्ट्रेलिया के डार्विन नगर में LP का निर्माण होता है तो यह सकारात्मक मानसून का सूचक है। और

(ii) जब अप्रैल महीने में टेहिटी द्वीप पर LP और डार्विन नगर पर HP का निर्माण हो तो यह नकारात्मक मानसून का सूचक है।

एलनीनो सिद्धांत
चित्र: एलनीनो सिद्धांत के अनुसार मानसून की उत्पत्ति

आलोचना

       यद्यपि अलनीनो के प्रभाव से सूखे की प्रभाव की व्याख्या होती है। लेकिन मानसून की उत्पत्ति के संबंध में यह कोई भी तर्क प्रस्तुत नहीं करता है। पुन: अलनीनो सिद्धांत सूर्य की उत्पत्ति के संबंध में तापीय सिद्धांत के समान ही सरल तर्क प्रस्तुत करता है। अत: अनेक मौसम वैज्ञानिकों ने इस सिद्धांत को सूखे की उत्पत्ति का सिद्धांत मानते हैं न कि मानूसून की उत्पत्ति का सिद्धांत। यह सिद्धांत सूखे की उत्पत्ति की व्याख्या करने में भी पूर्णरूपेण सक्षम नहीं हैं।

       1875 ई० – 1985 ई० के बीच एलनीनो से संबंधित सूचना एकत्रित किये गये हैं। इन 110 वर्षों में 43 वर्ष मानसून औसत से कम सक्रिय रहा। इन 43 वर्षो में मात्र 19 वर्ष मानसून असफल होने का कारण अलनीनो का प्रभाव था। कई ऐसे वर्ष भी थे जब हिन्द महासागर में अलनीनो का प्रभाव था फिर भी भारत में मानसून से पर्याप्त वर्षा हुई। ये तथ्य अलनीनो सिद्धांत की सीमा/आलोचना को रेखांकित करते हैं।

निष्कर्ष

      इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि भारतीय मानसून की उत्पत्ति के संबंध में कोई भी सिद्धांत पूर्ण व्यख्या करने में सक्षम नहीं है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि उपरोक्त चारों सिद्धांतों को मिलाकर एक संश्लेषित सिद्धांत प्रस्तुत किया जाए। अगर संभव हो सके तो आधुनिक उपग्रह और GIS के माध्यम से मानसून को प्रभावित करने वाले अन्य चरों/कारकों को पहचान कर इसके विश्लेषण में शामिल किया जाय।

नोट: एलनीनो सिद्धांत- एलनीनो का प्रभाव रहने पर ग्रीष्म ऋतु में हिन्द महासागर पर LP तथा भारतीय महाद्वीप पर HP बनता है फलत: वायु स्थल (HP) से समुद्र (LP) की ओर चल पड़ती है जिससे भारत में मानसून सक्रिय नहीं हो पाती

प्रश्न प्रारूप

2 एलनिनो क्या है? भातीय मानसून में एलनिनो प्रभाव प प्रकाश डालिए।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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