Unique Geography Notes हिंदी में

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GEOGRAPHICAL THOUGHT(भौगोलिक चिंतन)

 13. अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट का भूगोल के विकास में योगदान

 13. अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट का भूगोल के विकास में योगदान


अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट

प्रश्न प्रारूप

Q. भूगोल के विकास में अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट द्वारा दार्शनिक तथा विधितंत्र योगदान का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।

          अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट एक महान जर्मन भूगोलवेता था। जिसका जन्म 1769 ई० में और मृत्यु 1859 ई० में हुआ। हम्बोल्ट छायावादी युग (1800-59 ई०) का भी महान भूगोलवेता था। इनके समकालीन जर्मनी में रिटर और हॉर्टशोन जैसे महान भूगोलवेत्ता तथा शिलर और गेटे जैसे साहित्यकार भी सक्रिय थे।

अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्टअलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट की जीवनी

        अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट को आधुनिक भूगोल का जन्मदाता माना जाता है। हेटनर महोदय ने कहा है कि आधुनिक भूगोल की शुरुआत 1799 ई० से माना जाना चाहिए क्योंकि हम्बोल्ट ने इसी वर्ष विश्व प्रसिद्ध द० अमेरिका की यात्रा पर निकला था। हम्बोल्ट का जन्म बर्लिन में एक करोड़पति के घर में हुआ था। इसकी शिक्षा-दीक्षा जर्मनी के बड़े-2 विद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में हुई थी। इसने फ्रैंकफर्ट विश्व विद्यालय में वनस्पतिशास्त्र, गाटिंगन विश्वविद्यालय में भूगर्भशास्त्र का अध्ययन किया। 1789 ई० में हम्बोल्ट ने बैसाल्ट के उद्भव पर भूगोल लिखा जिसकी सर्वत्र चर्चा हुई। किशोरावस्था में ही जॉर्ज फोस्टर के साथ हॉलैंड, बेल्जियम, फ्रांस और इंगलैंड का यात्रा कर चुका था। अक्सर हम्बोल्ट अपने बड़े भाई विल्हेम वॉन हम्बोल्ट से मिलने स्वीट्जरलैण्ड के ‘जेना’ नगर में आता जाता रहता था। अर्थात हम्बोल्ट के जीवन में यात्रा की नींव बचपन में ही रख दी गई थी। हम्बोल्ट अपने जीवन में लगभग 60,000 मील की यात्रा किया। इस यात्रा के दौरान उसने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जो अनुभव किया उसे ‘Cosmos’ नामक पुस्तक में लिपिबद्ध कर पूरे विश्व में अपनी पहचान स्थापित कर दिया। 

हम्बोल्ट की यात्राएँ

        1799 ई० में हम्बोल्ट के द्वारा की गई यात्रा का अगर विश्लेषण की जाय तो स्पष्ट होता है कि उसने अपनी यात्रा का प्रारंभ किरुना (स्पेन) नामक बंदरगाह से किया था। स्पेन से चलकर वह सबसे पहले बेनेजुएला के कुमाना बंदरगाह पर उतरा। हम्बोल्ट वेनेजुएला में बहनेवाली औरिनिको नदी के सहारे आमेजन नदी के स्रोत क्षेत्र पहुँचा और आमेजन नदी के स्रोत क्षेत्र का खोज किया।         

           आमेजन नदी के स्रोत क्षेत्र खोजे जाने के बाद वह क्यूबा लौट आया। पुन: हम्बोल्ट लौटकर मैग्डालिना घाटी के सहारे एण्डीज पर्वत के ऊपर चढ़ाई किया। एण्डीज पर्वत पर चढ़ने के क्रम में वह चिम्बराजो चोटी पर चढ़ाई किया था, चिम्बराजो के क्रेटर में उत्तरा और बैसाल्ट का अध्ययन किया। चिम्बराजो पर चढ़ाई करने के बाद क्वीटो घाटी के सहारे पेरू की राजधानी लीमा पहुँचा। पेरू के तट पर उसने पेरू की ठण्डी जलधारा का खोज किया और उसका नामाकरण अपने नाम पर किया। हम्बोल्ट पेरू के तट पर गवानो पक्षी का विशिष्ट रूप से अध्ययन किया। लीमा के बाद एकापुल्का बंदरगाह से होते हुए वह मैक्सिको पहुँचा और सलाह दिया कि प्रशान्त महासागर और अटलांटिक महासागर जोड़ने के लिए पनामा नहर का निर्माण किया जाए। मैक्सिको से पूरब क्यूबा की राजधानी हवाना और हवाना से USA के प्रसिद्ध नगर फिलाडेल्फीया और वाशिंगटन का यात्रा किया। पुनः वाशिंगटन से वह पेरिस लौट आया और पेरिस में ही वह बस गया। पुनः 1827 ई० में रूसी सरकार के निमंत्रण पर  यूराल पर्वत, साइबेरिया और अल्टाई पर्वत श्रृंखला का यात्रा किया। इस यात्रा के लौटने के बाद ही उसने अपने ‘Cosmos’ नामक पुस्तक की रचना प्रारंभ किया। हम्बोल्ट के जीवन पर श्रीमती कैरोलीन फान वाल्सगाने के इस कथन का जबरदस्त प्रभाव था। जैसे- पृथ्वी के एक-एक तत्व परस्पर एक-दूसरे से गुथे हुए हैं। प्रत्येक तत्व एक-दूसरे को जीता और जीलाता है।” हम्बोल्ट ने अपने यात्रा के दौरान इस कथन का प्रत्यक्ष दर्शन किया था और इसे सत्य माना।

अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट के दर्शन एवं विधितंत्र

          अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट ने भूगोल के दर्शन एवं अध्ययन विधि या विधितंत्र में निम्नलिखित योगदान दिया है।

    हम्बोल्ट अपनी पुस्तक ‘कॉसमास’ में सात प्रकार की संकल्पना विकसित की हैं:-

(1) पृथ्वी के सतह का अध्ययन मानवीय अधिवास के रूप में करते हैं।

(2) भूगोल का अध्ययन क्षेत्रीय वितरण के रूप में करते हैं।

(3) सामान्य भूगोल ही भौतिक भूगोल है।

(4) भूगोल का मुख्य उद्देश्य भौतिक वातावरण मानवीय संबंधों का अध्ययन होना चाहिए।

(5) भूगोल में पृथ्वी के सभी घटकों का अध्ययन किया जाना चाहिए। 

(6) भूगोल में क्रमबद्ध पद्धति का विकास किया जाना चाहिए।

(7) भूगोल प्रकृति के एकता का भी अध्ययन करता है।

           हम्बोल्ट के द्वारा विकसित उपरोक्त 7 संकल्पनाओं के अलावे भी उसने कई और दर्शन विकसित किए। जैसे उसने कहा कि प्रकृति जीवन्त समष्टि हैं। उसने इसे अन्योन्याश्रिता के माध्यम से समझाने का प्रयास किया है। उसने कहा है कि मुझे आमेजन के वनों में विचरण करते हुए एण्डीज पर्वत पर चढ़ाई करते हुए इसका सदा बोध होता रहा कि सम्पूर्ण प्रकृति एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक बसा हुआ है तथा उन सबमें एक ही आत्मा से अनु-प्रामाणिक है।

            हम्बोल्ट ने भूदृश्य की संकल्पना प्रस्तुत करते हुए कहा है कि “एक ही जीवंत समष्टि (आत्मा) भूतल के विभिन्न भागों में विभिन्न रूपों में प्रकट होती है जिसकी अपनी विशिष्टता होती है।” इसी संदर्भ में उन्होंने “वन लाइफ” एक जीवन की संकल्पना प्रस्तुत किया।

          हम्बोल्ट पार्थिव एकता की संकल्पना को समझाने के लिए ‘वाटर फ्लाई संकल्पना’ प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कहा है कि एक तितली विषुवतीय प्रदेश में अपना पंख हिलाती है तो इसका असर संपूर्ण विश्व के जलवायु पर पड़ता है।

          हम्बोल्ट वेनेजुएला के वेलेन्सिया झील के सूखने का कारण बताया कि इस झील के किनारे में अवस्थित वनों का तेजी से कटाव किये जाने के कारण यह झील सूख रहा है।

         हम्बोल्ट ने बताया कि भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन प्रत्यक्ष रूप से अपने ज्ञानेन्द्रियों से अनुभव करके किया जाना चाहिए। यही कारण है कि इनके अध्ययन की पद्धति को प्रत्यक्ष अनुभव परक कहा जाता है। पुन: इन्होंने बताया कि भौगोलिक तत्त्वों का विकास आगमानात्मक (Inductive) रूप से हुआ है। इससे लगता है कि इनके जीवन पर डार्विन के द्वारा विकसित जैव उद्दविकास के सिद्धांत का प्रभाव था।

           अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट को भूगोल में जलवायु विज्ञान, पादप भूगोल का श्रीगणेश करने का श्रेय जाता है। अर्थात हम्बोल्ट को जैव भूगोल का संस्थापक माना जाता है क्योंकि इन्होंने ही सर्वप्रथम विश्व की प्राकृतिक वनस्पति तथ फसलों का ऊँचाई तथा तापमान से सम्बन्ध को स्पष्ट किया था। उसने अपने यात्रा के दौरान समताप रेखा (Isotherm) पहली बार खींचने का प्रयास किया था। हम्बोल्ट अपनी पुस्तक को कई खण्डों में बाँटकर लिखा है। इसका सबसे अन्तिम खण्ड 1859 ई० में पूरा किया। पूरे जीवन में उसने लगभग 40 ग्रंथ लिखे। 

आलोचना

   हम्बोल्ट मूलतः नियतिवादी दर्शन का समर्थक था जिसमें उसने प्रकृति की श्रेष्ठता को स्वीकार किया था। इसी विचारधारा के विरोध में फ्रांसीसी भूगोलवेताओं ने मानव की श्रेष्ठता को स्वीकार करते हुए संभववाद की संकल्पना का विकास किया। इस तरह भूगोल में नियतिवाद बनाम संभववाद का द्वैतवाद का प्रारंभ हुआ। 

निष्कर्ष 

        इस तरह उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि हम्बोल्ट एक महान भूगोलवेता था। इसके विचारधारा से निश्चित रूप से कई द्वैतवाद का विकास हुआ। लेकिन हम्बोल्ट का उद्देश्य भूगोल को विभाजित करना नहीं था बल्कि उसके प्रत्येक अंगों का सम्पूर्ण विकास करना था।

नोट : हम्बोल्ट ने प्राकृतिक प्रदेश की आधारभूत समरसता को “जुसामेनहैंग” की संज्ञा दी।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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