अध्याय-8 हमारा राज्य बिहार
बिहार बोर्ड वर्ग-6 Geography Solution
अध्याय-8 हमारा राज्य बिहार
अध्याय-8 हमारा राज्य बिहार
अभ्यास
1. सही विकल्पों पर (√) का निशान लगाएँ
(i) रबी फसलों के लिए मशहूर ताल क्षेत्र अवस्थित है-
(क) तराई क्षेत्र
(ख) पटना से पूरब
(ग) पटना से पश्चिम
(घ) शाहाबाद में
उत्तर- (ख) पटना से पूरब
(ii) सोमेश्वर पहाड़ियाँ हैं-
(क) तराई क्षेत्र में
(ख) राजगीर में
(ग) कैमूर में
(घ) मंदार हिल में
उत्तर- (क) तराई क्षेत्र में
(iii) सरैसा क्षेत्र में शामिल जिले हैं-
(क) सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल
(ख) सुपौल, सहरसा, अररिया
(ग) वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर
(घ) जहानाबाद, गया, पटना
उत्तर- (ग) वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर
(iv) गन्ना उत्पादक जिले हैं-
(क) किशनगंज, अररिया, जोगबनी
(ख) पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर
(ग) गया, नवादा, बिहार
(घ) गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी
उत्तर- (घ) गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी
2. प्रश्नों के उत्तर लिखें-
(क) बिहार की चौहद्दी लिखें।
उत्तर- बिहार के उत्तर दिशा में नेपाल देश, पूरब में पश्चिम बंगाल, दक्षिण में झारखंड तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य स्थित है।
(ख) ताल क्षेत्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- ताल क्षेत्र में किसी का भी घर नहीं होता है। ताल क्षेत्र में हम रबी की फसल ही केवल उगाई जाती हैं। खरीफ की फसल तो बोते ही नहीं हैं। बरसात में नदियों का पानी का बड़ा हिस्सा पूरे इलाके में दूर-दूर तक फैल जाता है और एक बड़ा ताल-सा दृश्य दिखाई देता है, इसीलिए इसे ताल क्षेत्र कहते हैं।
अक्टूबर के महीने में जब सारा पानी धरती सोख लेती है और जमीन दलदली होती है तब हम इनमें दलहन और रबी की फसलों को बो देते हैं। इनमें चना, मसूर, सरसों, तीसी, गेहूँ होता है। मिट्टी दलदली होने के कारण रबी की जबरदस्त फसल होती है।
टाल या ताल क्षेत्र में दुधारू पशुओं के लिए पर्याप्त भूसा मिलता है। यह पशुओं के लिए अत्यंत ही लाभदायक होता है। रबी की फसल अच्छी होने के कारण ही यहाँ दाल छाँटने वाली कई मिलें भी हैं। ताल क्षेत्र में दलहन की फसल अत्यधिक मात्रा में होती है जिससे यहाँ खेती की पैदावार काफी अच्छी होती है।
(ग) सरैसा क्षेत्र में कौन-कौन से जिले आते हैं और उनका क्या महत्व है?
उत्तर- उत्तर बिहार में समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों के कुछ-कुछ प्रखंडों में तम्बाकू उपजाया जाता है। इस इलाके को संयुक्त रूप से ‘सरैसा क्षेत्र’ कहा जाता है। यह किसी खास क्षेत्र न होकर पूरे इलाके का ही नाम है। इस इलाके का तम्बाकू देश के अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है। वहाँ के किसानों की खेती-बाड़ी का अर्थ खेतों को साफ करके तम्बाकू के पौधों को लगाना उसके पत्तों को सुखाना और उन्हें व्यापारियों के हाथों में बेचना है।
इस इलाके के किसान बड़ी मेहनत से तम्बाकू के पौधे को उगाते हैं। यहाँ की मिट्टी भी चूनायुक्त होती है। तंबाकू के पौधे धीरे-धीरे बड़े होकर फैलते हैं। बाद में इसे सुखाते हैं। इसको धीरे-धीरे पत्ते को लपेटकर रखते हैं। चूँकि सरैसा इलाके के तम्बाकू काफी कड़कदार होते हैं। इसलिए तम्बाकू बेचने वाले सरैसा के नाम का इस्तेमाल तम्बाकू को प्रभावशाली बनाने के लिए करते हैं।
(घ) बिहार की ज्यादातर चीनी मिलें उत्तर बिहार में हैं। क्यों?
उत्तर- बिहार की ज्यादातर चीनी मिलें उत्तर बिहार में ही हैं। क्योंकि उत्तर बिहार में नेपाल की पहाड़ियों से पानी बहकर आता है और मिट्टी में चूने का अंश चला आता है। यह मिट्टी ईख की खेती के लिए काफी उपयुक्त है।
यहाँ भारी मात्रा में ईख की खेती की जाती है, और उसकी पैदावार भी अच्छी होती है। एक बड़े किसान अकेले सौ सवा सौ ट्रैक्टर गन्ने बेचते हैं और किसानों के गन्ने खरीदने के लिए मिलें तैयार रहती हैं और उन्हें नकद पैसा भी देती है। इसलिए यहाँ के किसान गन्ना उपजाना पसंद करते हैं। किसान भी गन्ने के फसल एक ही खेत में बार-बार लगातार उपजाते हैं जिससे यहाँ उसकी खरीद-बिक्री भी ज्यादा मात्रा में होती है।
(च) बाढ़ का पानी उतरते ही गाँवों एवं घरों की प्राथमिक जरूरतें क्या होती होगी?
उत्तर- बाढ़ का पानी उतरते ही गाँवों एवं घरों की प्राथमिक जरूरत अपने मवेशियों को ऊँचे स्थानों पर रखकर सुरक्षित करते हैं। ऐसा इसलिए कि बाढ़ का पानी इनकी मवेशियों को बहा न ले जाएँ। बरसात के दिनों में वे लोग बाढ़ से बचने के लिए तटबंधों और स्परों पर रहने चले जाते हैं।
उसकी प्राथमिक जरूरत अपने और अपने मवेशियों को सुरक्षित जगहों तक पहुँचाना होता है ताकि अपने मवेशियों की जान बचा सकें, इसलिए वे फुस और प्लास्टिक के कामचलाऊ छत और दीवार बनाकर रहते हैं। घरों को छोड़कर तटबंध पर जाने से पहले खेतों में मनीजर के बीज छींट देते हैं। बाद में बाढ़ का पानी उतरने पर मनीजर के पौधे डंठल के रूप में तैयार हो जाते हैं। इस प्रकार वह अपने-आपको तैयार करते हैं जिससे वह अपना बचाव कर सकें।
(छ) बरसात में उत्तर बिहार के लोगों को किस प्रकार की कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं?
उत्तर- बरसात में उत्तर बिहार के लोगों को निम्नलिखित प्रकार की कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं:-
⇒ बरसात में उत्तर बिहार के लोगों को वर्ष में लगभग 3-4 महीने दोहरी जिंदगी जीते हैं।
⇒ मवेशियों को बचाने के लिए उसे ऊँचे स्थानों पर रखकर सुरक्षित करना पड़ता है जिससे वह बाढ़ के पानी में बहकर कहीं चले न जाएँ।
⇒ गाँव से पानी उतरते ही लोग वापस गाँव में आते हैं और फिर आठ महीनों के लिए फिर से गृहस्थी जमाते हैं। फिर अगले साल पुनः चार महीने बाढ़ की विभीषिका झेलने को तैयार रहना पड़ता है।
⇒ बरसात के मौसम में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जनजीवन पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है।
⇒ बरसात में किसानों, गरीब मजदूरों पर अन्न, जल और आवास की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
⇒ बाढ़ का पानी बढ़ने से परेशान लोगों को अपने घरों को छोड़कर तटबंधों या अन्य सुरक्षित जगहों पर रहने के लिए जाना पड़ता है।
(ज) बाढ़ से बचाव का क्या समाधान है?
उत्तर- बाढ़ से बचाव का निम्नलिखित समाधान किया जा सकता है:-
⇒ बाढ़ की समस्या का सामना सभी को एक साथ मिल-जुलकर करना चाहिए।
⇒ बाढ़ से बचने के लिए सभी को भूमि अपरदन की क्रिया को रोकना चाहिए।
⇒ बड़े-बड़े नदियों के जल को मजबूत बाँध बनाकर उसकी दिशाओं को बदलकर उससे बचाव किया जा सकता है।
⇒ बरसात के पानी से बचने के लिए नावों की व्यवस्था भी रखनी चाहिए जिससे पानी बढ़ने पर हम उन नावों के द्वारा दूसरे गाँवों की ओर पलायन कर सके।
⇒ बाढ़ से बचने के लिए हमें अपने घरों को छोड़कर किसी दूसरे स्थान पर सुरक्षित पहुँचना चाहिए।
⇒ अपने मवेशियों को किसी ऊँचे स्थानों पर ले जाकर रखना चाहिए।
⇒ अपनी जरूरत की चीजों को पहले से ही अपने पास उपलब्ध करा लेना चाहिए। जिससे सही समय पर उसका उपयोग कर सकें।