9. शंकु प्रक्षेप (Conical Projection)
9. शंकु प्रक्षेप (Conical Projection)
शंकु प्रक्षेप (Conical Projection)⇒
⇒ ग्लोब को कागज के शंकु द्वारा इस प्रकार ढँका जाता है कि कागज के शंकु किसी एक अक्षांश पर ही ग्लोब को चारों ओर स्पर्श करता हो।
⇒ ग्लोब पर अंकित भूग्रिड को कागज के शंकु पर स्थानान्तरित करके एवं स्थानांतरण के बाद शंकु वाले कागज को फैला दिया जाता है।
⇒ शंकु प्रक्षेप में कागज का शंकु विषुवत रेखा और ध्रुव को कभी नहीं छूता।
⇒ शंकु प्रक्षेप में कागज का शंकु ग्लोब के जिस अक्षांश को स्पर्श करता है उस अक्षांश को मानक अक्षांश (Standard Parallel) कहते हैं।
⇒ शंकु प्रक्षेप में अक्षांश की आकृति वृत के चाप (Arc of Circle) के समान होता है तथा दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है।
⇒ देशान्तर रेखा ध्रुव से बाहर निकलता हुआ प्रतीत होता है तथा एक सरल रेखा के समान होती है।
⇒ विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी घटती जाती है।
⇒ शंकु प्रक्षेप पर विषुवतीय एवं ध्रुवीय क्षेत्र को कभी भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।
⇒ शंकु प्रक्षेप में अक्षांश और देशान्तर रेखा एक-दूसरे को समकोण पर काटती है।
⇒ मानक अक्षांश पर मापनी शुद्ध होती है, शेष अक्षांश रेखाओं पर नहीं।
⇒ शंकु प्रक्षेप पर शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र या मध्य अक्षांशीय क्षेत्र के मानचित्र बनाने के लिए उपयोगी माना जाता है। जबकि ध्रुव और विषुवत रेखा के लिए अनुपयोगी माना जाता है।
शंकु प्रक्षेप कई प्रकार के होते हैं-
(i) एक मानक अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप (One Standard Parallel Parallel Projection या Simple Conical Projection with one Standard Parallel)
⇒ इस प्रक्षेप में ध्रुव को केन्द्र मानकर अक्षांश रेखाओं का चाप खींचा जाता है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाएँ संकेन्द्रीय होती है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाएँ एक चाप के समान होती है जबकि देशान्तर रेखाएँ सरल रेखा के समान होती है।
⇒ इसमें ध्रुव को एक चाप के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
⇒ सभी देशान्तर रेखाएँ ध्रुवों पर आकर मिल जाती है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी समान रहती है। लेकिन देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी ध्रुव की ओर जाने पर घटती है जबकि विषुवत रेखा की ओर जाने पर बढ़ती है।
⇒ केवल मानक अक्षांश पर मापनी शुद्ध होती है।
⇒ सभी देशान्तर रेखाओं पर मापनी शुद्ध होती है, इसलिए इसे समदूरस्थ मानचित्र प्रक्षेप (Equidistance Conical Projection) कहते हैं।
⇒ मानक अक्षांश रेखा पर आकृति एवं क्षेत्रफल बहुत सीमा तक शुद्ध रहती है। लेकिन मानक अक्षांश रेखा से दूर जाने पर आकृति एवं क्षेत्रफल में विकृति आती-जाती है।
⇒ यह प्रक्षेप मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में स्थित छोटे-छोटे आकार वाले देशों का मानचित्र बनाने के लिए उपयोगी है। जैसे- स्वीट्जरलैण्ड
⇒ दूसरे शब्दों में यह प्रक्षेप उन देशों के मानचित्र बनाने के लिए उपयोगी है जिनका अक्षांशीय विस्तार कम है।
इस प्रकार के प्रक्षेप में विषुवत रेखा और देशान्तर रेखा की मानचित्र पर दूरियों का अनुपात π के बराबर होता है।
उदाहरण 1. निम्नलिखित विवरण के आधार पर एक मानक अक्षांश वाला साधारण शंकु प्रक्षेप बनाइए :
मापनी: 1:250,000,000; मानक अक्षांश – 60º N, क्षेत्र का विस्तार – 30º N से 75º N अक्षांश तथा 60º W से 60º E देशांतर, अंतराल – 15º
हल : दी गई मापनी के अनुसार, RR = 250000000/250000000 =1″
अब 1″ अर्द्धव्यास लेकर वृत्त का चतुर्थांश ABO खींचिए। OB रेखा के 0 बिन्दु पर 15º अंतराल के बराबर कोण DOB तथा मानक अक्षांश के बराबर कोण COB बनाइए। C बिन्दु पर लंब उठाइए जो बढ़ायी गयी OA रेखा को P बिन्दु पर काटता है। अब OR को केन्द्र मानकर BD अर्द्धव्यास से वृत्तांश खींचिए जो OC रेखा को E बिन्दु पर काटता है। E बिन्दु से OA रेखा पर EF लंब खीचिए।
प्रक्षेप बनाने के लिए एक लंबवत् सरल रेखा P’G खींचिए जो इस प्रक्षेप में केन्द्रीय मध्याह्न रेखा होगी तथा प्रश्न के अनुसार इसका मान 0º देशांतर होगा। अब PC के बराबर दूरी लेकर P’ बिन्दु से एक वृत्तांश खींचिए जो प्रक्षेप में 60º N की मानक अक्षांश रेखा को प्रकट करेगा। अन्य अक्षांश वृत्त बनाने के लिए केन्द्रीय मध्याह्न रेखा पर BD दूरी के अंतर पर मानक आक्षांश रेखा से P’ की ओर को एक चिह्न तथा G की ओर को दो चिह्न लगाइए। P’ बिन्दु को केन्द्र मानकर इन चिह्नों से होते हुए वृत्तों के चाप खींचिए तथा इन चापों पर आक्षांश रेखाओं के अंशों में मान लिखिए।
अब EF दूरी के अंतर पर मानक अक्षांश में केन्द्रीय मध्याह्न रेखा के दोनों ओर को चार-चार चिह्न लगाइए। इन चिह्नों को P’ बिन्दु से मिलाते हुए सरल रेखाएँ खींचिए। ये सरल रेखाएँ प्रक्षेप में देशांतर रेखाओं को प्रकट करेंगे। देशांतर रेखाओं पर उनके मान लिखकर प्रक्षेप पूर्ण कीजिए।
(ii) दो मानक अक्षांश वाला शंकु प्रक्षेप (Two Standard Parallel Conical Projection)
⇒ इस प्रक्षेप की रचना में यह कल्पना की जाती है कि कागज का शंकु ग्लोब को दो अक्षांश वृतों को स्पर्श करती है।
⇒ सभी अक्षांश वृत संकेन्द्रीय वृत्तों के समान होते हैं और उनके बीच की दूरी भी समान रहती है।
⇒ दोनों मानक अक्षांश रेखा पर और समस्त देशान्तर रेखा पर मापनी शुद्ध होती है।
⇒ इस प्रक्षेप पर न आकृति शुद्ध रहती है और न क्षेत्रफल शुद्ध रहती है।
⇒ लेकिन ट्रांस साइबेरियन रेलवे, NH-2 भारत की उतरी सीमा, उत्तरी अटलांटिक जलमार्ग प्रदर्शित करने के लिए दो मानक अक्षांश वाला प्रक्षेप उपयोगी है।
उदाहरण 1. 40º N से 80º N आक्षांश तथा 40º W से 40º देशांतर के मध्य स्थित क्षेत्र का 10º अंतराल तथा 1:250,000,000 मापनी पर मानचित्र बनाने के लिए दो मानक आक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप की रचना कीजिए। प्रक्षेप में 50º तथा 70º N आक्षांश वृत्तों को मानक आक्षांश मानिए।
हल: दी गई मापनी के अनुसार,
RR= 250,000,000/125,000,000= 2″
अब 2″ अर्द्धव्यास लेकर वृत्त का चतुर्थांश ABO खींचिए। OB रेखा के 0 बिन्दु पर अंतराल के बराबर कोण EOB तथा 50º व 70º N के मानक अक्षांशों के बराबर 10º कोण COB तथा कोण DOB बनाइए। EB चाप दूरी से बिन्दु पर वृत्त का चतुर्थांश खींचिए जो OC तथा OD रेखाओं को क्रमशः F तथा G बिन्दुओं पर काटता है। F तथा G बिन्दुओं से OA रेखा पर क्रमशः FI तथा GH लंब गिराइए।
अब एक लंबवत् सरल रेखा खींचिए तथा इस रेखा में CD के बराबर CD’ दूरी काटिए। C’ तथा D’ बिन्दुओं पर FI तथा GH के बराबर क्रमशः C’I’ तथा D’H’ लंब गिराइए। I’ तथा H’ बिन्दुओं को मिलाते हुए एक सरल रेखा खींचिए जो बढ़ायी गयी C’D’ रेखा को P बिन्दु पर काटती है।
अब प्रक्षेप बनाने के लिए P’G’ एक लंबवत् सरल रेखा खींचिए। P’ को केन्द्र मानकर PC’ तथा PD’ अर्द्धव्यासों से क्रमशः 50º व 70º N मानक अक्षांश खीचिए। केन्द्रीय मध्याह्न रेखा पर दोनों मानक अक्षांशों का मध्यवर्ती बिन्दु ज्ञात कीजिए, जिसकी मानक अक्षांशों से दूरी EB के बराबर होगी तथा इससे होकर जाने वाले संकेन्द्र वृत्त का चाप 60° N अक्षांश को प्रकट करेगा। अन्य अक्षांश वृत्त बनाने के लिए EB दूरी के अंतर पर केन्द्रीय मध्याह्न रेखा पर 70º N मानक अक्षांश से उत्तर की ओर एक तथा 50º N मानक अक्षांश से दक्षिण की ओर एक चिह्न लगाइए।
अब P’ को केन्द्र मानकर इन बिन्दुओं से होते हुए वृत्तों के चाप खींचिए। अब 70º N मानक अक्षांश पर GH लंब दूरी अथवा 50º N मानक आक्षांश पर FI लंब दूरी के अंतर पर केन्द्रीय मध्याह्न रेखा के दोनों ओर 4-4 चिह्न लगाइए। इन चिह्नों से P’ को मिलाते हुए सरल रेखाएँ खींचिए जो प्रक्षेप में देशांतर रेखाओं को प्रकट करेगी।
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