8. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection)
8. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection)
मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection)⇒
ग्लोब पर स्थित अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के जाल को समतल कागज पर प्रक्षेपित करने की तकनीक को मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection) कहते हैं।
परिभाषा
स्टीयर्स⇒ ग्लोब की अक्षांश या देशान्तर रेखाओं को सपाट कागज पर प्रदर्शित करने की विधि को मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection) कहते हैं।
इरविन रेज⇒ अक्षांश वृत्तों तथा याम्योत्तर रेखाओं (Meridian) का कोई व्यवस्थित क्रम जिस पर मानचित्र बनाया जा सके प्रक्षेप कहा जाता है।
मैक हाउस⇒ पृथ्वी के अक्षांश वृतों और याम्योत्तर रेखाओं का रेखा जाल के रूप में समतल पर प्रदर्शन प्रक्षेप कहलाता है।
जॉन बीगॉट⇒ ग्लोब की अक्षांश और देशान्तर रेखाओं को कागज पर प्रदर्शित करने की विधि को मानचित्र प्रक्षेप कहते हैं।
मानचित्र प्रक्षेप की आवश्यकता क्यों
मानचित्र का प्रदर्शन ग्लोब और समतल कागज पर प्रदर्शित करते हैं। लेकिन ग्लोब की तुलना में मानचित्रों का समतल कागज पर प्रदर्शन कई अर्थों में भिन्नता रखता है। जैसे-
(1) ग्लोब पर बने मानचित्र को एक बार में समस्त भाग को नहीं देखा जा सकता। लेकिन समतल कागज पर मानचित्र को एक बार में समस्त भाग को देखा जा सकता है।
(2) ग्लोब पर स्थित दो स्थानों के बीच की दूरी मापना एक कठिन कार्य है जबकि समतल कागज पर यह काम आसानी से किया जा सकता है।
(3) ग्लोब को मानचित्र की तरह मोड़ा नही जा सकता है।
(4) पृथ्वी के छोटे-2 भागों को अलग-2 ग्लोब पर नहीं बनाया जा सकता है।
(5) मानचित्र की तुलना में ग्लोब का रख-रखाव और उसके एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने और ले जाने में अधिक कठिनाई होती है।
अक्षांश (Latitude) या Parallel
पृथ्वी के केन्द्र पर बनाये गये उदग्र (Vertical) कोणीय मान को अक्षांश कहते हैं। दूसरे शब्दों में ग्लोब पर किसी स्थान तथा विषुवतरेखा के मध्य कोणीय दूरी को उस स्थान का आक्षांश कहते हैं। यह कोणीय दूरी ग्लोब के केन्द्र से मापी जाती है।
➤ सामान्य परिभाषा के अनुसार ग्लोब पर पूरब से पश्चिम दिशा की ओर खींची गयी काल्पनिक रेखा को अक्षांश रेखा कहते हैं।
➤ ग्लोब पर समान आक्षांश वाले बिन्दुओं को मिलाने वाले काल्पनिक वृत्तों को आक्षांश वृत्त कहा जाता है। विषुवत रेखा पूर्ण वृहत् वृत्त (Great Circle) होती है तथा शेष समस्त आक्षांश वृत्त लघु वृत्त होते हैं।
वृहत वृत्त:-
वृहत वृत्त वह रेखा होती है जो गोलाकार पृथ्वी को दो समान परिधियों वाले गोलाद्धों में विभाजित करती है। पृथ्वी पर सभी देशान्तरों (Meridians) के अतिरिक्त भूमध्य रेखा/विषुवत रेखा एक वृहत वृत्त भी है।
➤ भूमध्यरेखा पृथ्वी के मध्य से होकर गुजरने वाली अक्षांश रेखा है। इसे विषुवत रेखा या 0° अक्षांश भी कहते हैं। इस पर वर्ष भर दिन-रात बराबर होते हैं। इसलिए इसे विषुवत रेखा कहते हैं।
➤ विषुवत रेखा वृहत् वृत का उदाहरण है क्योंकि यह पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती है।
➤ भूमध्यरेखा पृथ्वी को दो गोलार्द्धों (उत्तरी और दक्षिणी) में विभक्त करती है।
➤ अक्षांश रेखाओं का मान न्यूनतम 0º और अधिकतम 90º होता है।
➤ उत्तरी गोलार्द्ध में खीची गई अक्षांश रेखा को N के द्वारा और दक्षिणी गोलार्द्ध में खींची गई रेखा को S के द्वारा निरुपित करते है।
अश्व अक्षांश (Horse Latitude):-
30° से 35° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश के मध्य स्थित पेटी को अश्व अक्षांश कहा जाता है। इसे उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी (Subtropical High Pressure Belt) भी कहते हैं। इसके बनने का कारण इन अक्षांशो के मध्य प्रतिचक्रवातों का उत्पन्न होना है।
0º अक्षांश⇒ भूमध्यरेखा या विषुवत रेखा (Equator)
23½º N अक्षांश⇒ कर्क रेखा (Tropic of Cancer)
23½º S अक्षांश⇒ मकर रेखा (Tropic of Capricorn)
66½º N अक्षांश⇒ आर्कटिक वृत्त
66½º S अक्षांश⇒ अण्टार्कटिक वृत
90º N⇒ उतरी ध्रुव
90º S⇒ दक्षिणी ध्रुव
➤ 23½° से 66½° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य स्थित क्षेत्र को शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहते हैं। यहाँ पर वर्ष भर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं।
➤ प्रति 1° पर एक अक्षांश निर्मित होता है। विषुवत रेखा से ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर जाने पर अक्षांशीय वृत्त का आकार छोटा होता जाता है, जो ध्रुवों पर अंततः एक बिन्दु में परिवर्तित हो जाता है।
➤ 90° अक्षांश एक बिंदु के रूप में पाया जाता है, जिसे ध्रुव (Pole) कहते हैं। 90° उत्तरी अक्षांश को उत्तरी ध्रुव (North Pole) तथा 90° दक्षिण अक्षांश को दक्षिणी ध्रुव (South Pole) के नाम से जाना जाता है।
➤ 66½° से 90° उत्तरी अक्षांशों के मध्य स्थित क्षेत्र को ध्रुवीय क्षेत्र (Polar Region) कहते हैं। यहाँ 6 महीने का दिन तथा 6 महीने की रात होती है।
➤ भूमध्य रेखा की परिधि की आधी लम्बाई 60° अक्षांश रेखा पर प्राप्त होती है।
➤ 90° अक्षांश रेखा एक बिन्दु के समान होती है।
➤ सभी अक्षांश रेखा (90º को छोड़कर) देशान्तर रेखा को समकोण पर काटती है।
➤ सभी अक्षांश रेखाएँ एक-दूसरे के समान्तर और समान दूरी पर अवस्थित होते हैं।
➤ किसी भी स्थान का अक्षांश रेखा का निर्धारण Pole Star से आने वाली किरण और चक्षु अक्ष के बीच बने कोणीय माप के द्वारा निर्धारित करते हैं।
➤ ग्लोब पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 179 है।
नोट: यदि अक्षांश रेखाओं को 1° के अंतराल पर खींचते हैं, तो उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में 89-89 अक्षांश रेखाएँ होंगे। इस प्रकार विषुवत रेखा को लेकर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 179 होगी क्योंकि दोनों ध्रुव एक बिंदु के रूप में है न कि रेखा या वृत्त के रूप में।
➤ मानचित्र पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 है।
नोट: यदि अक्षांश रेखाओं को 1° के अंतराल पर खींचते हैं, तो उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में 90-90 अक्षांश रेखाएँ होंगे। इस प्रकार विषुवत रेखा को लेकर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 होगी क्योंकि दोनों ध्रुव मानचित्रों पर एक रेखा के रूप में होती है न कि बिंदु के रूप में।
➤ अक्षांशों की कुल संख्या 180 है।
नोट: यदि अक्षांशों को 1° के अंतराल पर खींचते हैं, तो उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों में 90-90 अक्षांश होंगे। यहाँ विषुवत रेखा का मान 0 अक्षांश होगा, इस प्रकार कुल अक्षांशों की संख्या 180 होगी क्योंकि दोनों ध्रुवों का अंश 90º मानचित्र या ग्लोब पर होगा, यहाँ पर एक रेखा या बिंदु के रूप में नहीं होगा।
➤ प्रति 1º की अक्षांशीय दूरी लगभग 111 Km के बराबर होती है जो पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण भूमध्यरेखा से ध्रुवों तक भिन्न-भिन्न मिलती है। अर्थात् दो अक्षांशों के बीच की दूरी 111 किमी० होती है।
देशान्तर या याम्योत्तर (Longitude)
ग्लोब पर प्रमुख याम्योत्तर (Prime meridian) तथा किसी दिये गये स्थान के मध्य की कोणीय दूरी को उस स्थान का देशान्तर कहते हैं। यह दूरी ग्लोब के ध्रुवीय अक्ष से मापी जाती है।
⇒ दोनों ध्रुवों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को देशान्तर रेखा कहते हैं।
⇒ देशान्तर रेखा हमेशा उत्तर से दक्षिण दिशा में खींची जाती है।
⇒ दो देशान्तर रेखाओं के बीच में विषुवत रेखा पर अधिकतम दूरी होती है जबकि ध्रुवों की ओर जाने पर दोनों देशान्तर रेखाओं के बीच दूरी घटते जाती है।
⇒ देशान्तर रेखाएँ पृथ्वी के केन्द्र पर क्षैतिज तल में बनाया गया कोण को व्यक्त करता है।
⇒ देशान्तर रेखाओं का न्यूनतम मान 0º और अधिकतम मान 180° होता है।
⇒ इस तरह कुल देशांतर रेखाओं की संख्या ग्लोब पर 360 और मानचित्र पर 361 होती है।
⇒ 0º देशान्तर रेखा को प्रधान मध्यान्ह / प्रधान याम्योत्तर रेखा (Prime Meridian) कहा जाता है। जबकि 180° देशांतर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं।
⇒ 0° देशान्तर रेखा पृथ्वी को दो भागों में बाँटती है – (i) पूर्वी गोलार्द्ध और (ii) पश्चिमी गोलार्द्ध।
⇒ पूर्वी गोलार्द्ध के देशान्तर रेखा को E के द्वारा और पश्चिमी गोलार्द्ध के देशान्तर रेखा को W के द्वारा विरूपित करते हैं।
⇒ 1889 ई0 में वाशिंगटन बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि 0° देशान्तर रेखा लंदन के एक मुहल्ला ग्रीनवीच में स्थित “रॉयल ज्योग्रफिकल सोसाइटी” के कैम्पस में स्थित एक Pointer से होकर गुजरती है। शेष सभी देशान्तर रेखाओं को पूरब एवं पश्चिम में इसके अनुरूप ही खींचते हैं।
भूग्रिड (The Earth Grid):-
किसी प्रक्षेप रचना में एक निश्चित मापनी पर अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के रेखा जाल को भूग्रिड कहते हैं।
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